यूपी के इन 70 गाँव को होगा फायदा, जमीन अधिग्रहण अगले 6 महीने में होगा पूरा
देश में यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए केंद्र सरकार एक से बढ़कर एक हाईवे प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है। केंद्र सरकार भारतमाला परियोजना के अंतर्गत देश के कोने.कोने को जोड़ने के लिए हाईवे और सड़कों का जाल बिछा रही है। इनमें से कुछ एक्सप्रेसवे को बनाकर वाहनों के लिए खोल दिया गया है। वहीं कुछ पर तेजी के साथ काम किया जा रहा है। देश भर में बहुत सारे एक्स्प्रेसवे और हाइवे बन रहे हैं।
इस बीच, उत्तर प्रदेश को केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक महत्वपूर्ण उपहार दिया है। यूपी में बहुत से एक्सप्रेसवे का निर्माण हो चुका हैं और अभी भी बन रहे हैं, और कई निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे नए एक्सप्रेसवे के साथ जोड़े जा रहे हैं। बरेली से बदायूं के बीच बाइपास निर्माण और चौड़ीकरण के लिए जमीन चिह्नित की गई है। मुआवजा निर्धारित हो चुका है। मुआवजे का भुगतान अब होना चाहिए।
भूमि अध्याप्ति अधिकारी निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने के बाद मुआवजे देंगे। अधिग्रहण को अगले छह महीने में पूरा करने की योजना है। बरेली-बदायूं फोरलेन परियोजना के लिए दो साल पहले जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की गई है। इसके लिए 70 गांवों (बरेली और बदायूं) में 118 हेक्टेयर जमीन मिली थी, लेकिन बजट की मंजूरी में देरी होने के कारण काम रुका हुआ था। बजट अब स्वीकृत होने के बाद कार्य तेज़ी से चलेगा।
बरेली के फरीदपुर क्षेत्र में गौसगंज क्रॉसिंग पर जाम की समस्या को दूर करने के लिए जल्द ही एक बाईपास बनाया जाएगा। इस बाईपास, जो छभ्-24 को बुखारा रोड से जोड़ेगा, की चौड़ाई सात मीटर होगी और इसके निर्माण पर लगभग 22 करोड़ रुपये खर्च होंगे। योजना को लखनऊ मुख्यालय भेजा है और उम्मीद है कि बजट जल्द ही जारी होगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिवाली के अवसर पर बरेली-मथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बदायूं से बरेली तक एक फोरलेन का निर्माण मंजूर किया है, जिसका बजट 1527 करोड़ रुपये है। इस परियोजना के जल्द ही शुरू होने से बरेली से मथुरा की दूरी कम होगी। गडकरी ने निर्माण कार्य को जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया छह महीने के भीतर पूरी करने का वादा किया है।
बरेली से मथुरा तक 216 किमी लंबी सड़क चार चरणों में बनाई जाएगी। योजना का पहला चरण मथुरा से हाथरस और दूसरा चरण हाथरस से कासगंज के बीच शुरू हो गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिलने के कारण तीसरे चरण में काम कासगंज से बदायूं तक रुक गया है।