यूपी में ख़त्म होगी जाम की समस्या?, डीएम ने कही यह बात

जाम की समस्या से निपटने में क्यों कामयाब नहीं जिला प्रशासन

यूपी में ख़त्म होगी जाम की समस्या?, डीएम ने कही यह बात
LKO DM (1)

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि जनवरी तक सभी स्कूलों और कॉलेजों में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाए। इस दौरान छात्रों को सड़क सुरक्षा के नियमों और सावधानियों के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिया कि किसी भी तरह से ओवरलोडिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जाम की समस्या से निपटने में क्यों कामयाब नहीं जिला प्रशासन

प्रदेश की राजधानी में यातायात प्रबंधन को लेकर नित नए प्रयोग हो रहे हैं। बावजूद इसके प्रशासन इससे निपटने में नाकाम है अनियोजित विकास, अतिक्रमण, शहर के मुख्य हिस्से में प्रमुख कार्यालयों के होने जैसी तमाम समस्याएं हैं, जिनका अब तक कोई निदान नहीं निकल पाया है। राजधानी के लोग भी अभी यातायात नियमों का पालन करने के अभ्यस्त नहीं हुए हैं, जिससे समस्या और बढ़ती जा रही है, वर्ष 2011 बैच के आईएएस अधिकारी विशाख ने रविवार को जिलाधिकारी लखनऊ का पदभार संभाल लिया। पूर्व जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री सचिव सूर्य पाल गंगवार ने चार्ज हैंडओवर करते हुए उनको शुभकामनाएं दीं। नए जिलाधिकारी ने अपनी प्राथमिकताएं बताईं। उन्होंने कहा कि लखनऊ राजधानी है। यह एक बड़ी जिम्मेदारी है जो उनको मिली है। इसे पूरी गंभीरता से निभाएंगे। साथ ही कहा कि सड़क और सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश का हर शहर अतिक्रमण की गिरफ्त में है, कारोबारी अपनी दुकानों के बाहर उत्पाद सजाए कहीं भी देखे जा सकते हैं, सड़कों और पुलों पर ठेलों और खोमचों की भरमार है, अवैध कब्जे भी अपनी जगह हैं, ऐसे में सड़कें लगातार सिकुड़ रही हैं, कार्रवाई न होने के कारण उद्दंड अतिक्रमणकर्ता बेखौफ होकर ऐसे सड़कों पर कब्जा जमा लेते हैं, जैसे यह उनकी ही जागीर हो। राजधानी लखनऊ की ही बात करें तो ज्यादातर पुलों पर फल मंडियां लगी दिखाई देती हैं, लगभग सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवैध सब्जी मंडियां लगती हैं। सड़क पर आवागमन सुगम हो इसके लिए सभी संबंधित विभागों में समन्वय आवश्यक है। डीएम विशाख ने कहा कि पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, एलडीए और एनएचएआई सड़क बनाने वाले विभाग हैं। रोड इंजीनियरिंग बड़ी मायने रखती है। साथ ही ट्रैफिक पुलिस आवागमन को दुरुस्त रखने का कार्य करती है। इन सभी विभागों में समन्वय जरूरी है। यदि कहीं जाम लग रहा है तो उसका समाधान भी ढूंढ़ा जाएगा। इसके पूर्व उन्होंने कहा कि जन समस्याएं, जनता की सुनवाई उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। साथ ही सरकार की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं पर गंभीरता से ध्यान रहेगा।

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सीएम ने हादसों में हुई मौतों पर जताया दुख

यातायात नियमों की बात भी उत्तर प्रदेश के शहरों में बेमानी साबित हो रही है, जब राजधानी की पुलिस करोड़ों रुपये खर्च कर ट्रैफिक सिग्नल लाइट तो लगवा लेती है, पर नियमों का पालन न करने वालों को दंड नहीं दे पाती। आपको लगभग हर चौराहे पर ऐसे सैकड़ों लोग दिख जाएंगे जो न रेड लाइट की फिक्र करते हैं और न पुलिस की परवाह, स्वाभाविक है कि जाम तो लगेगा ही। शहर के हजरतगंज, विधानसभा मार्ग, लाटूश रोड, कैसरबाग चौराहा और लालबाग आदि में दिनभर वाहन रेंगते रहते हैं। जबकि यहां की सड़कें सकरी नहीं हैं, बस अव्यवस्था है जो सब पर भारी है, लालबाग में तो थाने के सामने ही सड़कों पर पूरा कारोबार होता देखा जा सकता है, पर पुलिस है कि मुंह नहीं खोलती, अक्सर किसी बड़ी परियोजना में कई विभाग शामिल होते हैं। उनके समन्वय की कमी से एक ओर प्रोजेक्ट में देरी होती है, वहीं आमजन को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में वह परियोजनाओं में विभागीय स्तर पर बेहतर समन्वय बनाएंगे। एक सवाल के जवाब में नवगांतुक डीएम ने कहा कि लखनऊ की पहचान यहां के दर्शनीय पर ध्यान दिया जाएगा। उनका विकास होगा। इसके अलावा सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करने, अवैध खनन करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। विशाख वर्ष 2011 बैच के आईएएस अधिकारी वह मूल रूप से केरल के रहने वाले हैं। इसके पूर्व कानपुर के दो बार जिलाधिकारी रह चुके हैं। साथ ही अलीगढ़, हमीरपुर और चित्रकूट में भी जिलाधिकारी रह चुके हैं। वाराणसी और मेरठ में सीडीओ रह चुके हैं। विशाख जी. नागरिक उड्डयन निदेशक का पद भी संभाल चुके हैं। मुख्यमंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं में हर वर्ष हो रही 23-25 हजार मौतों पर चिंता जताते हुए इसे देश व राज्य की क्षति बताया है। यह दुर्घटनाएं जागरूकता के अभाव में होती हैं। सड़क सुरक्षा माह सिर्फ लखनऊ तक सीमित न रहे, इसे प्रदेश के सभी 75 जिलों में संपन्न कराया जाए। हर माह जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा की बैठक होंए जिसमें पुलिस अधीक्षक,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, आरटीओ, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षकए बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी आदि उपस्थित रहें। जनपद स्तर पर हुए कार्यों की प्रगति लेकर हर तीसरे महीने शासन स्तर पर मूल्यांकन किया जाए।

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