यूपी के इस जिले में मिला क्रूड ऑइल का भंडार, 300 किमी तक है तेल
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उत्तर प्रदेश का बलिया जिला, जो पहले अपने पिछड़े हुए विकास के लिए जाना जाता था, अब एक नए और चमकते हुए आर्थिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। यह जिला न केवल राज्य के भीतर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है, और अब यह अरब देशों को भी मात देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। बलिया के विकास की राह में नए अवसरों और योजनाओं ने इसे एक अभूतपूर्व मुकाम तक पहुंचाया है।
मिला क्रूड ऑयल का
बलिया का चेहरा पिछले कुछ वर्षों में पूरी तरह बदल चुका है। कृषि प्रधान इस जिले ने अब उद्योग, व्यापार और इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश और सुधार देखा है। खासकर व्यापारिक गतिविधियाँ और उत्पादन क्षेत्र में इस जिले ने अभूतपूर्व प्रगति की है। बलिया में हो रहे इन परिवर्तनों ने इसे अरब देशों के मुकाबले एक मजबूत प्रतिस्पर्धी बना दिया है, जहां कई उद्योगों में बलिया की स्थिति मजबूत हो रही है। बलिया जिले के सागरपाली गांव के पास कच्चे तेल का कुआं मिलने की संभावना पर ONGC ने खुदाई शुरू कर दी है. इससे आसपास के किसानों की जमीन अधिग्रहित होने की संभावना है, जिससे किसान मालामाल हो सकते हैं. बलिया में स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय के परिवार की जमीन पर कच्चे तेल का विशाल भंडार मिला है. इस जमीन में 3,000 मीटर की गहराई में तेल के भंडार की खोज गंगा बेसिन में किए गए तीन महीने के सर्वेक्षण के बाद हुई है. ONGC ने सेनानी परिवार से साढ़े छह एकड़ जमीन तीन साल के लिए पट्टे पर ली है और सालाना 10 लाख रुपये का भुगतान कर रही है। जमीन के स्वामी नील पांडे ने बताया कि ONGC कंपनी ने 3 सालों के लिए हमारी जमीन को 10 लाख सालाना देने पर एग्रीमेंट किया है. 3 साल के बाद इसे 1 साल और बढ़ाया जाएगा. यहां कच्चे तेल के भंडारण होने की संभावना पर खुदाई की जा रही है. अगर खुदाई में तेल मिल जाता है, तो आसपास की सभी जमीनों को महंगे दामों में अधिग्रहण ONGC कंपनी कर लेगी, जिससे किसानों को बहुत फायदा होगा.
300 किमी तक तेल ही तेल
बलिया का प्रमुख आकर्षण इसके बढ़ते उद्योग हैं। विशेष रूप से, यहाँ के छोटे और मझोले उद्योगों ने अपनी पहचान बनाई है। बलिया में विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों में कपड़ा उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, धातु उत्पादन और निर्माण क्षेत्र प्रमुख हैं। इन उद्योगों ने न केवल स्थानीय रोजगार सृजन किया है, बल्कि निर्यात को बढ़ावा देते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी जगह बनाई है। बताया जा रहा है कि 3,000 मीटर की गहराई में तेल है. व्छळब् के अधिकारियों के मुताबिक, यहां तेल का भंडार तो है, लेकिन बहुत गहराई में है. इसके लिए 3,001 मीटर गहरी बोरिंग कराई जा रही है. इस खुदाई के लिए रोजाना 25,000 लीटर पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक, खुदाई का काम बहुत तेजी से चल रहा है. उम्मीद है कि अप्रैल महीने के आखिर तक तेल की सतह तक बोरिंग का काम पूरा हो जाएगा. यहां से पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद गंगा बेसिन में चिन्हित अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के कुएं खोदे जाएंगे।