UP में 69000 शिक्षक भर्ती पर एक बार फिर बड़ा बवाल, हाईकोर्ट के आदेश के बाद कई जिलों में बर्खास्त हुए शिक्षक!

UP में 69000 शिक्षक भर्ती पर एक बार फिर बड़ा बवाल, हाईकोर्ट के आदेश के बाद कई जिलों में बर्खास्त हुए शिक्षक!
Big uproar once again over 69000 teacher recruitment in UP, teachers sacked in many districts after High Court order!

उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित 69,000 शिक्षक भर्ती एक बार फिर सुर्खियों में है। हाईकोर्ट के हालिया आदेश के बाद अब इस भर्ती से जुड़े कई शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। कोर्ट के सख्त रुख के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) एक्शन मोड में आ गए हैं और जांच के बाद कई शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त भी किया जा चुका है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 मई 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश दिया जिसमें कहा गया कि जिन अभ्यर्थियों ने नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान अंतिम निर्धारित तिथि के बाद अपने शैक्षणिक प्रमाणपत्र जमा किए हैं, उनकी नियुक्ति रद्द की जाएगी। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि सभी दस्तावेज समय पर देना अनिवार्य था। अगर किसी ने देरी की है, तो वह नियम का उल्लंघन माना जाएगा और उनकी नियुक्ति अमान्य मानी जाएगी।

इस आदेश के बाद कई जिलों से उदाहरण सामने आ रहे हैं। बलिया जिले में पांच शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। जांच में यह पाया गया कि इन शिक्षकों ने जो मार्कशीट या डिग्री दी थी, वह कटऑफ डेट के बाद की थी यानी जिस समय भर्ती के लिए दस्तावेज मांगे गए थे, उस समय उनके पास वह आवश्यक योग्यता नहीं थी।

बलिया के BSA मनीष सिंह ने जानकारी दी कि बर्खास्त शिक्षकों में सोनाडी गांव में तैनात दिलीप कुमार यादव, निवेदिता सिंह और खुशबू प्रजापति शामिल हैं। साथ ही सुहाव ब्लॉक में तैनात गुलाब चंद्र और स्निग्धा श्रीवास्तव का भी नाम है। स्निग्धा श्रीवास्तव फिलहाल ट्रांसफर के बाद अमेठी जिले में हैं और बलिया से वहां की BSA को रिपोर्ट भेज दी गई है कि नियमानुसार कार्रवाई की जाए।

असल में यह पूरा मामला 69000 शिक्षक भर्ती 2018 से जुड़ा है। उस समय इस भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 6 दिसंबर 2018 से शुरू हुई थी और अंतिम तारीख 22 दिसंबर 2018 निर्धारित की गई थी। परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी और परिणाम मई 2020 में घोषित किया गया था।

इस भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता के तौर पर B.Ed डिग्री और प्राथमिक स्तर की शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास होना अनिवार्य था। साथ ही दस्तावेजों की कटऑफ डेट भी तय की गई थी, जो कि 22 दिसंबर 2018 थी। यानी इसके बाद प्राप्त की गई डिग्रियां मान्य नहीं थीं।

अब कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अगर किसी अभ्यर्थी ने इस अंतिम तिथि के बाद की मार्कशीट या सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पाई है, तो उसे रद्द किया जाएगा। यही कारण है कि बलिया समेत अन्य जिलों में अब ऐसे शिक्षकों की जांच की जा रही है और बर्खास्तगी की कार्रवाई भी शुरू हो गई है।

बलिया के BSA ने यह भी बताया कि जिले में ऐसे कुल 5 मामलों की पहचान हुई है जिनमें अभ्यर्थियों ने नियमों का पालन नहीं किया था और उनके दस्तावेज नियत तारीख के बाद के थे। इन्हीं आधारों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें हटाया गया।

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि केवल अभ्यर्थियों ही नहीं, बल्कि जिन अधिकारियों ने ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्त किया था, उनकी भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। यानी अब दोषी चयन समिति के सदस्य, संबंधित कर्मचारी और बीएसए तक की जांच होगी।

बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने सभी बीएसए को निर्देशित किया है कि वह दोषी अधिकारियों और चयन समिति के सदस्यों की सूची तैयार करें और परिषदीय कार्यालय को उपलब्ध कराएं। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब यह मामला केवल गलत दस्तावेज देने वालों का नहीं रहा, बल्कि इसमें प्रशासनिक स्तर पर हुई लापरवाही पर भी कार्रवाई होगी।

आपको यह भी बता दें कि यह भर्ती पहले ही विवादों में रही है। कभी EWS को लेकर, तो कभी आरक्षण व्यवस्था पर। अभ्यर्थियों ने कई बार कोर्ट का रुख किया, धरना-प्रदर्शन भी किए और मामला सालों तक खिंचता रहा। अब जब नियुक्ति मिल चुकी थी, तो इस तरह का फैसला अभ्यर्थियों के लिए एक और बड़ा झटका बनकर सामने आया है।

इस मामले के सामने आने के बाद अन्य जिलों में भी हलचल शुरू हो गई है। हर जिला प्रशासन अब अपने यहां नियुक्त शिक्षकों की जांच कर रहा है, ताकि यदि कोई अन्य मामला इस तरह का है तो उस पर भी समय रहते कार्रवाई की जा सके।

इस पूरी प्रक्रिया से यह साफ हो गया है कि शिक्षक भर्ती जैसे गंभीर विषय में अब सरकार और न्यायपालिका दोनों सख्ती से नियम लागू करना चाहती है। इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी या लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

जहां एक ओर यह कदम पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करता है, वहीं दूसरी ओर उन अभ्यर्थियों के लिए यह बहुत बड़ी सजा है, जिन्होंने शायद किसी कारणवश समय पर दस्तावेज न दे पाए हों।

अब देखना यह होगा कि बाकी जिलों में कितने और मामलों का खुलासा होता है और कितने और शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराता है।

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