यूपी के इस जिले में भी चलेगी मेट्रो, बाहरी रूट पर होगा निर्माण

यूपी के इस जिले में भी चलेगी मेट्रो, बाहरी रूट पर होगा निर्माण
यूपी के इस जिले में भी चलेगी मेट्रो, बाहरी रूट पर होगा निर्माण

उत्तर प्रदेश: यूपी में स्थित वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत काशी में रोपवे का निर्माण तेज़ी से जारी है, और अब एक बार फिर मेट्रो परियोजना को लेकर सरकार और प्रशासन सक्रिय हो गया है. जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने साल 2016 में तैयार की गई मेट्रो की फिजिबिलिटी रिपोर्ट फिर से मंगाई है, और साथ ही ‘कॉम्प्रिहेन्सिव मोबिलिटी प्लान’ की वैकल्पिक विश्लेषण रिपोर्ट का गहराई से अध्ययन शुरू हो चुका है. प्रशासन की मंशा है कि शहर के विस्तारित हिस्सों में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए, ताकि बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर समय रहते तैयार हो सके.

वाराणसी के शहरी विस्तार को ध्यान में रखते हुए अब योजना सिर्फ पुराने शहर तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बाबतपुर एयरपोर्ट से लेकर मुगलसराय और वाराणसी-प्रयागराज राजमार्ग के किनारे विकसित हो रहे नए क्षेत्रों को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ने का विचार है. यह ध्यान देने योग्य है कि इन इलाकों में अगले कुछ वर्षों में पूरी तरह से जनसंख्या बस जाएगी, जिससे ट्रैफिक का दबाव स्वाभाविक रूप से बढ़ेगा. प्रशासन का मानना है कि यदि अभी से व्यापक योजना नहीं बनाई गई, तो भविष्य में इन क्षेत्रों में यातायात की समस्या गंभीर रूप ले सकती है. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में तत्कालीन सरकार ने काशी में मेट्रो चलाने की पहल की थी. उस समय तैयार की गई रिपोर्ट में दो मेट्रो कॉरिडोर प्रस्तावित किए गए थे. पहला कॉरिडोर भेल (तरना, शिवपुर) से बीएचयू तक लगभग 19.35 किलोमीटर लंबा था, जबकि दूसरा कॉरिडोर बेनियाबाग से सारनाथ तक लगभग 9.88 किलोमीटर प्रस्तावित किया गया था. 

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इन दोनों मार्गों पर कुल 26 स्टेशन बनाए जाने की योजना थी, जिनमें से 20 भूमिगत और 6 एलिवेटेड होने थे. मेट्रो परियोजना को लेकर भारत के प्रसिद्ध मेट्रो विशेषज्ञ श्रीधरन ने खुद बनारस आकर क्षेत्रीय स्थिति का मूल्यांकन भी किया था. परंतु वर्ष 2021 में यह परियोजना तकनीकी और प्रशासनिक अड़चनों, जैसे सीवरेज लाइन, पेयजल पाइपलाइन और अन्य यूटिलिटी सेवाओं की शिफ्टिंग में आने वाली दिक्कतों के कारण सफल नहीं हो सका. जिला प्रशासन को उम्मीद है कि अब पिछली बार की तरह तकनीकी बाधाएं सामने नहीं आएंगी, क्योंकि योजनाओं को पहले से ही इन पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा. नया प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे जाने की तैयारी में है और उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में मेट्रो को लेकर ठोस फैसले सामने आएंगे.

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