यूपी के इस जिले में संपत्ति कर पर राहत, 2 साल का माफ !
ये बात भी निकली जुमलाई झूठ चल रहा बड़ा खेल
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि सरकार बातें एक देश एक टैक्स की करती हैं लेकिन हकीकत में एक टैक्स कई स्लैब का काम कर रही है, उन्होंने कहा कि इसके चक्कर में आम जनता ही पिसेगी।
ये बात भी निकली जुमलाई झूठ चल रहा बड़ा खेल
अब 2 वर्षों का ही देना होगा बढ़ा कर
दरअसल टैक्स की रेट्स को बेतहाशा बढ़ाने के पीछे एक बड़ा खेल है, ये राजस्व बढ़ाने से ज़्यादा भ्रष्टाचार बढ़ाने और फिर अधिकारियों के माध्यम से दुकानदारों, कारोबारियों पर दबाव बढ़ाकर ज़्यादा वसूली की भाजपाई योजना है, दुनिया का नियम है कि जितनी अधिक कर की दर होती है, उतनी ही अधिक कर की चोरी होती है और जितनी अधिक कर की चोरी होती है, उतनी ही अधिक भ्रष्ट सत्ताधारियों की कमाई होती है। बैठक में पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने जीआईएस का मुद्दा उठाया। इस पर कार्यकारिणी ने फैसला लिया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 में रिवाइज टैक्स जमा करने वालों को राहत दी जाएगी। इस बाबत शासन को पत्र भेजकर गाइड लाइन ली जाएगी। शासन से राहत मिलती है तो जमा हुई अतिरिक्त रकम को आगामी बिल में समायोजित किया जाएगा। इसके लिए कार्यकारिणी समिति ने मंजूरी दे दी है। अब निगम शासन को पत्र लिखकर इसमें मार्गदर्शन लेगा। नगर निगम कार्यकारिणी समिति की सातवीं बैठक मंगलवार को मेयर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। सपा के सदस्यों ने बढ़े टैक्स के मुद्दे पर बैठक का बहिष्कार किया। कार्यकारिणी ने निगम में कार्यरत और सेवानिवृत कर्मचारियों को हाउस टैक्स और सीवर टैक्स से राहत के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। कार्यकारिणी में निर्णय लिया गया कि नगर निगम के आवास में रह रहे लोगों का किराया बढ़ाया जाएगा। इसके लिए किराया रिवाइज किया जाएगा। शहर में धुलाई सेंटर और आरओ प्लांट संचालकों से पंजीकरण शुल्क के साथ राजस्व शुल्क लिए जाने की स्वीकृति कार्यकारिणी ने दे दी, ताकि भू-जल का संरक्षण किया जा सके। इस प्रस्ताव को सदन की बैठक में भी रखा जाएगा। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी विनय कुमार राय ने कहा कि धुलाई सेंटर और आरओ प्लांट संचालक काफी ज्यादा मात्रा में पानी का दोहन करते हैं। बदले में सरकार को कुछ नहीं देते। बैठक में पार्षद वरीयता को 50 लाख से बढ़ाकर 55 लाख रुपये करने पर सहमति बनी। इस रकम में से 50 फीसदी निर्माण कार्यों पर और 25 फीसदी जलकल के साथ पथ प्रकाश पर खर्च किया जा सकता है।