यूपी के इस जिले में संपत्ति कर पर राहत, 2 साल का माफ !

ये बात भी निकली जुमलाई झूठ चल रहा बड़ा खेल

यूपी के इस जिले में संपत्ति कर पर राहत, 2 साल का माफ !
Property Tax (1)

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि सरकार बातें एक देश एक टैक्स की करती हैं लेकिन हकीकत में एक टैक्स कई स्लैब का काम कर रही है, उन्होंने कहा कि इसके चक्कर में आम जनता ही पिसेगी।

ये बात भी निकली जुमलाई झूठ चल रहा बड़ा खेल

अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला करते हुए एक्स पर लंबी चौड़ी पोस्ट लिखा और कहा कि कहां तो भाजपाई कह रहे थे एक देश, एक टैक्स लेकिन उनकी ये बात भी जुमलाई झूठ निकली क्योंकि अब वो टैक्स की नयी स्लैब ला रहे हैं, जब एक टैक्स कई स्लैब हैं तो एक टैक्स का नारा सही मायनों में झूठा ही साबित हुआ। कार्यकारिणी की बैठक का समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने बहिष्कार किया। जीआईएस सर्वे में मनमाने टैक्स को लेकर कार्यकारिणी सदस्य जुबेर अहमद और रमेश यादव ने पार्टी के निर्णय के आधार पर बहिष्कार किया। सपा पार्षद दल के नेता अशोक यादव ने बताया कि कार्यकारिणी सदस्यों की सुनवाई नहीं हो रही है। शहरवासियों को दो साल के बढ़े हुए संपत्ति कर से राहत मिलने की उम्मीद है। उन्हें केवल वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 का बढ़ा हुआ टैक्स देना पड़ेगा। वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 का बढ़ा टैक्स नहीं लगेगा। यदि इसमें किसी ने बढ़ा टैक्स जमा किया है, तो उसको समायोजित किया जाएगा। दो से तीन अधिकारी पूरे नगर निगम को मनमर्जी चला रहे हैं। मेयर की भूमिका भी शून्य दिख रही है। ऐसे में सपा के पास बहिष्कार से सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है। सदस्य जुबेर अहमद ने कहा कि जनता बढ़े हुए टैक्स से परेशान है। यदि कोई शिकायत भी कर रहा तो उसकी संपत्ति को नाप और बढ़ा दे रहे हैं। कार्यकारिणी में भी बात नहीं सुनी जा रही है। गोरखपुर नगर निगम के तहत आने वाले वार्ड में संपत्ति कर लगाए जाने को लेकर फैसला हुआ है। इसके तहत उन्हें अब वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 का बढ़ा हुआ टैक्स देना पड़ेगा। वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 का बढ़ा टैक्स नहीं लगेगा। यदि इसमें किसी ने बढ़ा टैक्स जमा किया है, तो उसको समायोजित किया जाएगा। पार्षद पवन त्रिपाठी ने कहा कि बढ़े हुए कर पर आपत्ति के प्रोफॉर्मा को सार्वजनिक किया जाए, ताकि नागरिकों को राहत मिल सके। बैठक में नगर निगम की तरफ से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1281.88 करोड़ रुपये के आय और 910.93 करोड़ रुपये के व्यय के बजट को मंजूरी दे दी। कार्यकारिणी ने टैक्स के साथ दुकानों का किराया बढ़ाने से आय में बढ़ोतरी को लेकर चर्चा की। संपत्ति कर वसूली में तेजी के लिए निगम कार्यकारिणी ने डिजिटल पेमेंट पर 15 फीसदी तक छूट देने का निर्णय लिया है। निर्णय लिया गया कि पहली अप्रैल से 30 जून तक ऑनलाइन पेमेंट करने पर 15 प्रतिशत और अन्य माध्यम से भुगतान पर 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

अब 2 वर्षों का ही देना होगा बढ़ा कर

दरअसल टैक्स की रेट्स को बेतहाशा बढ़ाने के पीछे एक बड़ा खेल है, ये राजस्व बढ़ाने से ज़्यादा भ्रष्टाचार बढ़ाने और फिर अधिकारियों के माध्यम से दुकानदारों, कारोबारियों पर दबाव बढ़ाकर ज़्यादा वसूली की भाजपाई योजना है, दुनिया का नियम है कि जितनी अधिक कर की दर होती है, उतनी ही अधिक कर की चोरी होती है और जितनी अधिक कर की चोरी होती है, उतनी ही अधिक भ्रष्ट सत्ताधारियों की कमाई होती है। बैठक में पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने जीआईएस का मुद्दा उठाया। इस पर कार्यकारिणी ने फैसला लिया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 में रिवाइज टैक्स जमा करने वालों को राहत दी जाएगी। इस बाबत शासन को पत्र भेजकर गाइड लाइन ली जाएगी। शासन से राहत मिलती है तो जमा हुई अतिरिक्त रकम को आगामी बिल में समायोजित किया जाएगा। इसके लिए कार्यकारिणी समिति ने मंजूरी दे दी है। अब निगम शासन को पत्र लिखकर इसमें मार्गदर्शन लेगा। नगर निगम कार्यकारिणी समिति की सातवीं बैठक मंगलवार को मेयर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। सपा के सदस्यों ने बढ़े टैक्स के मुद्दे पर बैठक का बहिष्कार किया। कार्यकारिणी ने निगम में कार्यरत और सेवानिवृत कर्मचारियों को हाउस टैक्स और सीवर टैक्स से राहत के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। कार्यकारिणी में निर्णय लिया गया कि नगर निगम के आवास में रह रहे लोगों का किराया बढ़ाया जाएगा। इसके लिए किराया रिवाइज किया जाएगा। शहर में धुलाई सेंटर और आरओ प्लांट संचालकों से पंजीकरण शुल्क के साथ राजस्व शुल्क लिए जाने की स्वीकृति कार्यकारिणी ने दे दी, ताकि भू-जल का संरक्षण किया जा सके। इस प्रस्ताव को सदन की बैठक में भी रखा जाएगा। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी विनय कुमार राय ने कहा कि धुलाई सेंटर और आरओ प्लांट संचालक काफी ज्यादा मात्रा में पानी का दोहन करते हैं। बदले में सरकार को कुछ नहीं देते। बैठक में पार्षद वरीयता को 50 लाख से बढ़ाकर 55 लाख रुपये करने पर सहमति बनी। इस रकम में से 50 फीसदी निर्माण कार्यों पर और 25 फीसदी जलकल के साथ पथ प्रकाश पर खर्च किया जा सकता है।

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