UP के पुराने खस्ताहाल भवन होंगे ध्वस्त, अब मिलेगी पुनर्विकास की अनुमति

UP के पुराने खस्ताहाल भवन होंगे ध्वस्त, अब मिलेगी पुनर्विकास की अनुमति
UP के पुराने खस्ताहाल भवन होंगे ध्वस्त, अब मिलेगी पुनर्विकास की अनुमति

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के पुराने शहर अब यादों की वजह से नहीं, बल्कि आधुनिक विकास के कारण भी जाने जाएंगे. सरकार एक ऐसी व्यवस्था लागू करने जा रही है, जिसके बाद दशकों से खड़े खस्ताहाल भवनों को तोड़कर उनकी जगह ऊंची-ऊंची सुरक्षित इमारतें बनाई जा सकेंगी. इस कदम से शहरों का रूप तो बदलेगा ही साथ ही इनके आसपास रह रहे हजारों लोगों को राहत भी मिलेगी.

पुराने इलाकों में कई मकान ऐसे हैं जो बारिश, हवा और हल्के झटके से भी खतरा बन जाते हैं. इनमें से कई इमारतें व्यस्त बाजारों और प्रमुख सड़कों के पास स्थित हैं, जहां दुर्घटनाओं का जोखिम सबसे ज्यादा है. सरकार मानती है कि अगर इन्हें आधुनिक तरीके से विकसित किया जाए तो आसपास का पूरा क्षेत्र आर्थिक रूप से मजबूत हो सकता है.

नई नीति से लोगों को घर और शहरों को नई चमक

प्रस्तावित योजना के तहत ऐसी जमीनों पर मिश्रित भू-उपयोग की अनुमति देने का प्लान है. यानी एक ही परिसर में दुकानें, कार्यालय और घर—सबका विकास हो सकेगा. इससे खास तौर पर निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ते और मजबूत मकान मिलने का रास्ता साफ होगा. मुंबई, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ऐसी नीतियां पहले ही अच्छी सफलता दे चुकी हैं.

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25 साल पुराने भवन होंगे दायरे में

नीति के अनुसार:

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  • 25 साल से अधिक पुराने भवन पुनर्विकास में शामिल किए जाएंगे.
  • स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट के आधार पर अंतिम अनुमति मिलेगी.
  • कम से कम 1500 वर्ग मीटर जमीन होना अनिवार्य होगा.
  • एकल आवास या छोटी निजी इमारतें इस नियम में शामिल नहीं होंगी.
  • लीज पर मिली जमीन को पुनर्निर्माण की मंजूरी नहीं मिलेगी.

बंद पड़े उद्योगों को भी दूसरी जिंदगी मिल सकती है

तीन साल से अधिक समय से बंद उद्योग या ‘रूग्ण इकाई’ घोषित परिसरों को भी इस नीति में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. जिन उद्योगों को विस्तार की जरूरत है और जो शहर के बीचों-बीच दिक्कत बन रहे हैं, उन्हें भी इस नीति से नया विकल्प मिल सकता है.

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शुल्कों में मिलेगी बड़ी राहत

नीति में विकास कार्यों पर लगने वाले शुल्क में भारी छूट देने पर भी विचार हो रहा है:-

  • विकास शुल्क में 50% छूट.
  • भू-उपयोग बदलने पर 25% छूट.
  • तय उपयोग से अलग इस्तेमाल पर लगने वाले प्रभाव शुल्क में 25% छूट.

ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के लिए भी घर अनिवार्य

जो भी नया प्रोजेक्ट बनेगा, उसमें 10% मकान EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) और 10% LIG (लो-इनकम समूह) को देना अनिवार्य होगा, ताकि विकास के फायदे सभी वर्गों तक पहुंच सकें.

इस पूरी पुनर्विकास नीति का सबसे बड़ा उद्देश्य है पुरानी, जर्जर और असुरक्षित इमारतों को हटाकर आधुनिक, सुरक्षित और आर्थिक रूप से फायदेमंद ढांचा तैयार करना. इससे शहरों की खूबसूरती बढ़ेगी, लोगों को बेहतर घर मिलेंगे और पुराने क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.

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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।