यूपी के अयोध्या ,लखनऊ हाईवे पर अब एंट्री लेने पर भी कटेगा टोल !
अब से यात्रियों को जितना अधिक सफर करना होगा, उतना ही अधिक टोल टैक्स चुकाना पड़ेगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने नई टोल व्यवस्था को लागू करने की योजना बनाई है, जो सबसे पहले लखनऊ से अयोध्या के मध्य ट्रायल के रूप में शुरू की जाएगी। यदि इस ट्रायल का परिणाम सकारात्मक रहा, तो इसे अन्य राजमार्गों पर भी जल्द ही लागू किया जाएगा।
अगले कुछ हफ्तों में इस ट्रायल के परिणामों का मूल्यांकन किया जाएगा, जिसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि इसे अन्य मार्गों पर कैसे लागू किया जाए। इस पहल से यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलने की संभावना है।
लखनऊ और अयोध्या के मध्य में लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर एक नया टोल सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिसमें ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का उपयोग किया जाएगा। इस प्रणाली के तहत, वाहन की यात्रा के दौरान टोल टैक्स अपने आप कट जाएगा। यह प्रणाली सेटेलाइट तकनीक की सहायता से टोल की गणना करेगी, जिससे यात्रियों को केवल उतना ही टैक्स देना होगा, जितना कि उन्होंने यात्रा के दौरान किलोमीटर तय किए हैं।
इस नए टोल सिस्टम के शुरू होने से यात्रियों को टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे यात्रा अधिक सुविधाजनक और तेज हो जाएगी। यह कदम न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि समय की भी बचत करेगा। इस प्रणाली के लागू होने से परिवहन क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत होने की संभावना है।
लखनऊ और अयोध्या के मध्य के मार्ग पर जल्द ही प्राधिकृत विभाग स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) तकनीक का उपयोग करने वाले कैमरे स्थापित करेगा, जो सेटेलाइट से जुड़े होंगे। इस नई प्रणाली के तहत, जब वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा करेगा, तो उसे टोल टैक्स का भुगतान करने के लिए रुकने की आवश्यकता नहीं होगी।
अभी के समय में, यदि कोई वाहन 60 किलोमीटर की दूरी तय करता है, तो उसे एक बार में ही टोल टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। लेकिन इस नए सिस्टम के लागू होने से यात्रियों को टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे यात्रा अधिक सुगम और तीव्र हो जाएगी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिसके तहत अगले पांच से दस वर्षों में टोल प्लाजा को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इन टोल प्लाजा की जगह जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) का उपयोग किया जाएगा। इस परिवर्तन से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होगा, जो वर्तमान में निजी कंपनियों द्वारा टेंडर के माध्यम से अर्जित किया जाता है।
नई प्रणाली के तहत, टोल की दरें किलोमीटर के हिसाब से निर्धारित की जाएंगी, जिससे यात्रियों को अधिक पारदर्शिता और सुविधा मिलेगी। इस कदम से न केवल सरकारी खजाने में बढ़ोतरी होगी, बल्कि यह सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए भी एक बेहतर अनुभव प्रदान करेगा। मंत्रालय का मानना है कि यह पहल देश के सड़क परिवहन को अधिक सुविधाजनक और प्रभावी बनाने में मदद करेगी।
सरकार ने फास्ट टैग सिस्टम को खत्म करने का निर्णय लिया है और इसके स्थान पर गाड़ियों में ऑन-बोर्ड यूनिट डिवाइस लगाने की योजना बनाई है। यह नई तकनीक यात्रा की सटीक दूरी के आधार पर टोल की गणना करेगी, जिससे यात्रियों को अधिक पारदर्शिता और सुविधा मिलेगी।
यदि इस प्रणाली का परीक्षण सफल रहता है, तो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) इसे पहले अयोध्या मार्ग पर लागू करेगा। इसके बाद, लखनऊ से कानपुर, लखनऊ से सीतापुर और लखनऊ से रायबरेली हाईवे पर भी इस विधि को अपनाया जाएगा।
इस कदम से न केवल टोल संग्रहण की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि यह सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए एक बेहतर अनुभव भी सुनिश्चित करेगा। सरकार की यह पहल देश के सड़क परिवहन को और अधिक प्रभावी और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई व्यवस्था के तहत, अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को 20 किलोमीटर तक की दूरी पर टोल शुल्क नहीं देना होगा। यह नई प्रणाली सेटेलाइट वाहनों द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल शुल्क का निर्धारण करेगी। भुगतान प्रक्रिया को मौजूदा फास्टैग इकोसिस्टम के समान विकसित किया जा रहा है, जो सीधे आपके बैंक खाते से जुड़ा होगा। जैसे ही आप हाईवे समाप्त करेंगे, आपके खाते से टोल की राशि स्वतः कट जाएगी और इस संबंध में एक संदेश आपके मोबाइल फोन पर भेजा जाएगा। इस नई व्यवस्था से यात्रियों को सुविधा मिलेगी और टोल भुगतान की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जाएगा। यह कदम सड़क परिवहन को सुगम बनाने के लिए उठाया गया है, जिससे यात्रियों को यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर अब जीपीएस प्रणाली के माध्यम से टोल कटने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके लिए एक विस्तृत सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ किया गया है। इस नई व्यवस्था के तहत, वाहन चालकों को अपनी यात्रा के दौरान हाईवे पर तय की गई दूरी के अनुसार ही टोल शुल्क का भुगतान करना होगा।
सौरभ चौरसिया, जो कि परियोजना निदेशक हैं, उन्होंने बताया कि "भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा लखनऊ से अयोध्या के बीच की सड़क को दुरुस्त करने के लिए 250 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। यह सड़क 100 मीटर चौड़ी होगी, जिससे यात्रा में सुविधा और सुरक्षा दोनों बढ़ेंगी।"
सड़क की मोटाई को 100 एमएम तक बढ़ाने का कार्य प्राधिकरण द्वारा प्रारंभ कर दिया गया है। लखनऊ और अयोध्या के मध्य में लगभग 120 किलोमीटर लंबी सड़क को और अधिक बेहतर बनाया जाएगा। यह महत्वपूर्ण परियोजना आगामी कुंभ मेले से पहले पूरी करने का लक्ष्य निश्चित किया गया है। सड़क की मोटाई बढ़ाने से यात्रा करना और भी आसान हो जाएगा। परियोजना निदेशक सौरभ चौरसिया ने जानकारी दी है कि इस संपूर्ण प्रोजेक्ट पर लगभग 250 करोड़ रुपये का निवेश आएगा।
इस सुधार के अंतर्गत सड़क की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ यातायात की सुविधा भी बढ़ेगी, जिससे लोगों को यात्रा के दौरान अधिक सुविधा मिलेगी। प्राधिकरण की यह पहल क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और आने वाले समय में यात्रियों के लिए बेहतर अनुभव सुनिश्चित करेगी।