पूर्वांचल में तबाही मचाएगा नेपाल का पानी! नदियों का जलस्तर बढ़ा, इन जिलों के कुछ इलाकों में बाढ़ का खतरा
Flood In UP
nepal water release

Nepal के पानी छोड़ने का असर उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के कुछ जिलों में दिख सकता है. नेपाल में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से पूर्वी यूपी की नदियां उफान पर हैं. गोरखपुर में राप्ती खतरे के निशान से महज 48 सेंटीमीटर नीचे है. वहीं रोहिण नदी खतरे का निशान पार कर चुकी है.
गोरखपुर में राप्ती नदी कभी भी खतरे का निशान पार कर सकती है. राप्ती नदी खतरे के निशान 74.98 से महज 48 सेंटीमीटर नीचे बह रही है. राप्ती 29 सितंबर की शाम 4:00 की रिपोर्ट के अनुसार 74.260 पर बह रही है.
29 सितंबर की शाम 4:00 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक राप्ती नदी का जलस्तर 36 घंटे में 28 सितंबर की सुबह 8:00 बजे की रिपोर्ट 72.500 मीटर से 2 मीटर की रिकार्ड स्पीड से बढ़कर 74.500 मीटर पर पहुंच गया. 24 घंटे में राप्ती का जलस्तर 63 सेंटीमीटर बढ़ा है, हालांकि जलस्तर बढ़ने की गति में काफी कमी आई है.
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रोहिण नदी का क्या है हाल?
रोहिण नदी खतरे का निशान 82.44 से 48 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. रोहिण नदी 29 सितंबर की शाम 4:00 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक 82.920 मीटर पर बह रही है. राहत की बात यह है कि रोहिण 29 सितंबर की शाम 4:00 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 8 घंटे में 7 सेंटीमीटर नीचे उतर गई है. रोहिण नदी 29 सितंबर की सुबह 82.990 पर बह रही थी.
रोहिण नदी बीते 24 घंटे में 1.9 मी., तो वहीं 36 घंटे में रिकॉर्ड 3.14 मीटर ऊपर आकर 79.780 से 82.920 पर आकर खतरे के निशान को पार कर गई. राप्ती और रोहिण के उफान पर आने से पूर्वी यूपी में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.नेपाल में बारिश और बाढ़ की वजह से फिर बैराज खोले गए, तो नदियों के उफान आने से एक बार फिर ग्रामीणों को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.

महाराजगंज में क्या है स्थिति?
इन सबके बीच 28 सितंबर को महाराजगंज के जिलाधिकारी अनुनय झा ने स्थिति का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि, "गुरुवार शाम से यूपी और नेपाल में लगातार हो रही बारिश के कारण नेपाल से आने वाली नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. सिंचाई अधिकारियों के साथ मैंने महाव नाला समेत तटबंधों का निरीक्षण किया और अलर्ट जारी किया. नेपाल ने गंडक बैराज से 6.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा, जिससे चांदन, व्यास और महाव नाला में जलस्तर बढ़ गया. हालांकि महाव तटबंध सुरक्षित है, लेकिन नेपाल में दरार आने से पानी कुछ भारतीय गांवों की ओर बढ़ गया है. राहत कार्य चल रहा है और प्रभावित किसानों को सत्यापन के बाद तत्काल मदद दी जाएगी."
नेपाल में क्या है स्थिति?
नेपाल में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण पूर्व में संखुवासभा के अरुण से लेकर पश्चिम में कपिलवस्तु के बाणगंगा तक लगभग सभी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है. अरुण, दूधकोशी, सुनकोशी, बागमती, नारायणी, तिनौ और बाणगंगा नदियां और उनकी सहायक नदियां चेतावनी स्तर को पार कर गई हैं और कुछ खतरे के निशान को पार कर गई हैं. इन सभी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में लगातार बारिश के कारण जलस्तर और बढ़ने की आशंका है.
नेपाल के जल विज्ञान और मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 24 घंटों में और भारी बारिश की आशंका जताई है. नतीजतन, सभी को अनावश्यक यात्राएं नहीं करने और सुरक्षित रहने के लिए सावधानी बरतने को कहा गया है.
मकवानपुर के इंद्रसरोवर ग्रामीण नगर पालिका में कुलेखानी I जलविद्युत परियोजना के जलाशय के स्लुइस गेट खोल दिए गए हैं क्योंकि जलाशय में बारिश का पानी भर गया है. गेट आज सुबह खोले गए. परिणामस्वरूप, बांध से बहने वाले पानी से भीमफेड़ी, इंद्रसरोवर और बागमती की ग्रामीण नगरपालिकाओं पर असर पड़ने की संभावना है.
जिला प्रशासन कार्यालय मकवानपुर ने कुललेखानी के नीचे निचले तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से हाई अलर्ट पर रहने की अपील की है और सुरक्षा कर्मियों और स्वयंसेवकों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है क्योंकि कुललेखानी बांध से सिसनेरी तक बागमती नदी के किनारे की बस्तियों में अचानक बाढ़ आने की संभावना है.
सप्तकोशी नदी का जल स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया और कोशी बैराज के सभी 56 स्लुइस गेट खोल दिए गए हैं. पिछले कुछ दिनों से पूर्वी क्षेत्र में बहुत भारी बारिश होने के कारण नदी के जल स्तर पर लगातार निगरानी की जा रही है.
बाढ़ में 58 घर बह गए
मकवानपुर जिले के सिसनेरी और खानीखेत में बारिश से आई बाढ़ में 58 घर बह गए हैं. नेपाल पुलिस और नेपाल सशस्त्र पुलिस बल काठमांडू घाटी के नखू, त्रिपुरेश्वर बंसी घाट, थिमी कौसलतार और कुलेशोर इलाकों में बचाव अभियान चला रहे हैं. बाढ़ और जलप्लावन के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है. लगातार बारिश के बाद भूस्खलन ने हेटौडा-काठमांडू मार्ग, कुललेखानी-फाखेल-काठमांडू मार्ग, त्रिभुवन राजमार्ग और कुललेखानी-माता तीर्थ-काठमांडू सड़क खंड को बाधित कर दिया है.
वाहनों की आवाजाही फिर से शुरू करने के लिए भूस्खलन के मलबे को हटाने के प्रयास जारी हैं. मानसून की बारिश से होने वाली आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़ और जलप्लावन आदि के संभावित जोखिम को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है.