यूपी में नए कानून के तहत सभी जिलों के एसपी-पुलिस कमिश्नरों को निर्देश
पुलिस की पाठशाला पारदर्शिता एवं प्रभावशीलता सुनिश्चित
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने नए कानूनों के तहत सभी पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करना और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में पारदर्शिता एवं प्रभावशीलता सुनिश्चित करना है। इसके लिए डीजीपी ने सभी अफसरों से कार्यशाला आयोजन करने का आदेश भी जारी किया है।
पुलिस की पाठशाला पारदर्शिता एवं प्रभावशीलता सुनिश्चित
पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार उत्तर प्रदेश को साइबर अपराध और आधुनिक फोरेंसिक जांच के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की योजना का ऐलान किया है। सभी 18 जोन में फोरेंसिक विज्ञान और साइबर सुरक्षा की अत्याधुनिक लैब स्थापित की जाएंगी। उन्होंने इस दिशा में उठाए गए कदमों को साझा करते हुए तकनीक को जनहित के लिए उपयोग करने का आह्वान किया। प्रदेश के सभी 18 जोनों में साइबर सुरक्षा और फोरेंसिक लैब की स्थापना जल्द ही की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 1.775 पुलिस थानों में पहले ही साइबर हेल्पलाइन शुरू कर दी गई है। साथ ही सभी जोनों में साइबर थाने भी स्थापित किए जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में अगर वांछित अपराधी की गिरफ्तारी किसी दूसरे जिले से होती है तो वहां की पुलिस को सूचना जरूरी दी जाएगी। साथ ही जिस कोर्ट से गिरफ्तार अपराधी का वारन्ट जारी हुआ है, वह कोर्ट अगर 30 किलोमीटर से दूर है तो गिरफ्तारी वाले जिले की संबंधित कोर्ट से ट्रांजिट रिमाण्ड भी अवश्य लिया जाएगा। नए अपराधिक कानून के तहत दूसरे जिले में गिरफ्तारी होने पर तय किये प्रावधान के बारे में यूपी डीजीपी ने सभी जिलों के एसपी व पुलिस कमिश्नरों को ये निर्देश दिए हैं और पुलिस की पाठशाला का आयोजन किया गया। इसमें साइबर सुरक्षा का पाठ पढ़ाया। अपराध सामान्य अपराध से अलग है। इसमें अपराधी नहीं दिखता, यह भी पता नहीं पता चलता कि वह किस देश में है। ऐसे में इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय अधिक जरूरी होता है सतर्क रहना। खुद को साइबर हाइजिन रखें। सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से बात न करें, प्रोफाइल निजी रखने जैसी सावधानियां बरतें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बड़ी संख्या में लोग इंस्टाग्राम का इस्तेमाल कर रहे हैं। अधिक लोगों तक पहुंच बनाने के लिए लोग अपने अकाउंट को सार्वजनिक कर देते हैं। इससे ऐसे लोग भी जुड़े सकते हैं जो फोटो वीडियो आदि डाटा का दुरुपयोग कर सकते हैं। इसलिए अकाउंट को निजी रखें। अपराध से बचने के बताए तरीके
डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी जिलों के एसपी और पुलिस कमिश्नरों को भेजे पत्र में निर्देश दिया है कि जहां गिरफ्तारी की गई है, अगर वहां से वारंट जारी करने वाली कोर्ट 30 किमी के अंदर है तो वहीं मजिस्ट्रेट अथवा डीएम-पुलिस कमिश्नर की कोर्ट में आरोपी को पेश किया जाएगा। अगर किसी दूसरे जिले के थाने में आरोपी को गिरफ्तारी के बाद रखा गया है तो उस जिले के वरिष्ठ अधिकारी को भी सूचना जरूर दी जाएगी। डिजिटल दुनिया में जो भी देखें और सुनें, उस पर आंख बंदकर विश्वास न करें। जिम्मेदार अफसरो को प्रोत्साहित करते हुए अपने प्रशिक्षण के दिनों के अनुभव साझा किए। कहा कि जीवन में जो भी करें, योजना बनाएं। उसके लिए कठिन परिश्रम भी करें। साइबर सुरक्षा कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जिससे इंटरनेट कनेक्ट हो सकता है, उसके माध्यम से साइबर अपराध हो सकता है। ऐसे में फोन में टू स्टेप वेरिफिकेशन का इस्तेमाल करें। इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं होने पर उसे बंद कर दें। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लिए फोटो से छेड़खानी कर लोग साइबर अपराध करते हैं।डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी पुलिस अधीक्षकों और कमिश्नरों को भेजे गए पत्र में यह भी निर्देश दिया है कि नए कानून में धारा-82 के तहत आने वाले प्रावधानों से पुलिस कर्मियों को अवगत कराने के लिए हर जिले में एक कार्यशाला जरूरी कराई जाए। इसकी तैयारी की जाए। इस कार्यशाला में विशेषज्ञों के जरिए सभी थानेदार, राजपत्रित अधिकारियों और विवेचकों की मौजूदगी अवश्य रहे। उधर, नए अपराधिक कानून में पीड़ित को एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार और मजबूती से मिलेगा। डीजीपी ने डीजीपी ने इस सम्बन्ध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर सभी एसपी व पुलिस कमिश्नर को पत्र भेजा है।