यूपी में भू -माफिया को लेकर सरकार सख्त, जल्द लाएगी नया कानून
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कानून से होगी अवैध कब्जों पर सख्त कार्रवाई
सरकार का कहना है कि इस नए कानून के जरिए भू माफिया और अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाएगी. ताकि राज्य में भूमि से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और कानून का शासन स्थापित किया जा सके. प्रदेश सरकार भू माफिया घोषित करने के लिए नया कानून लाएगी। सिर्फ शासनादेश के तहत कार्रवाई किए जाने से मामले अदालत में टिक नहीं पा रहे हैं। इसलिए अध्ययन करके नया कानून लाने या पहले से मौजूद कानून में संशोधन का फैसला उच्चस्तर पर लिया गया है। इसलिए भू माफिया घोषित करने के लिए कानून में ही व्यवस्था करने की योजना बनाई गई है। शासन के स्तर पर अब तक हुए मंथन के अनुसार, गैंगस्टर एक्ट में भू माफिया को परिभाषित करके संशोधन करने पर इसे इस अधिनियम के दायरे में लाया जा सकता है। या फिर आवश्यकतानुसार नया अधिनियम भी बनाया जा सकता है।
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भू माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का लाभ
शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, कुछ मामले ऐसे भी प्रकाश में आए, जिनमें व्यक्ति का बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, फिर भी जिलास्तर पर उसे भू माफिया घोषित कर दिया गया. मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो प्रशासन के लिए स्थितियां असहज हो गईं. वरिष्ठ अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि जिलास्तर पर अपनाई जाने वाली यह प्रक्रिया किसी एक्ट के तहत नहीं है. यूपी में भू माफिया चिह्नित करने के लिए एक मई 2017 को शासनादेश जारी किया गया था. इसमें कहा गया था कि जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व्यक्ति का विश्लेषण कर भू माफिया के तौर पर उसको चिह्नित करेंगे. इस व्यवस्था के तहत तहसील स्तर पर एसडीएम, सीओ और संबंधित थानाध्यक्ष की एक कमेटी होती है, जो किसी व्यक्ति को भू माफिया घोषित करने के लिए डीएम को रिपोर्ट भेजती है.
जिलास्तर पर डीएम और एसएसपी की कमेटी इस पर निर्णय लेती है और फिर उस व्यक्ति का नाम भू माफिया के तौर पर संबंधित पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भू माफिया के खिलाफ नए कानून के लाने का निर्णय राज्य में भूमि से संबंधित अपराधों को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह कानून न केवल अवैध कब्जों को रोकने के लिए जरूरी है. बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों के लिए भी एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करेगा. उम्मीद की जा रही है कि इस नए कानून से न केवल भूमि विवादों का समाधान होगा. बल्कि यह उत्तर प्रदेश में कानून का शासन और प्रशासनिक दक्षता को भी बढ़ाएगा.