यूपी के इस जिले में 1 करोड़ के कीमत के 425 मोबाईल मालिकों को मिले वापस

गाजियाबाद पुलिस ने हाल ही में एक सराहनीय पहल के तहत कुल 425 खोए हुए मोबाइल फोन उनके मालिकों को वापस लौटाए हैं. इन फोनों की कुल अनुमानित कीमत लगभग ₹ 1 करोड़ रुपए की कीमत है . यह अभियान गाजियाबाद रेलवे पुलिस और ट्रांस हिंडन पुलिस की संयुक्त कार्रवाई का परिणाम है, जिसमें तकनीकी साक्ष्यों और सर्विलांस की मदद से खोए हुए मोबाइलों की पहचान की गई और उन्हें उनके वास्तविक मालिकों तक पहुँचाया गया.
डीसीपी की पहल से खोए हुए मोबाइल फोन वापस
पुलिस ने सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर पोर्टल और अन्य तकनीकी माध्यमों का उपयोग करके खोए हुए मोबाइलों की पहचान की. गाजियाबाद के विभिन्न थानों जैसे इंदिरापुरम, कौशांबी, खोड़ा, साहिबाबाद, लिंकरोड़, शालीमार गार्डन, और टीलामोड़ से चोरी, स्नैचिंग, लूट और गुम हुए मोबाइल बरामद किए गए. कुछ मोबाइल उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और अन्य राज्यों से भी बरामद किए गए, जो विभिन्न माध्यमों से वहां तक पहुंचे थे।. मोबाइल वापस मिलने पर यात्रियों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई. कई यात्रियों ने पुलिस की इस पहल की सराहना की और उन्हें धन्यवाद दिया. यह अभियान न केवल खोए हुए मोबाइलों की वापसी में सफल रहा, बल्कि गाजियाबाद पुलिस की तत्परता और समर्पण को भी उजागर करता है. इस पहल से यह संदेश जाता है कि पुलिस और नागरिकों के सहयोग से किसी भी समस्या का समाधान संभव है. गाजियाबाद पुलिस की इस पहल से यह भी साबित होता है कि तकनीकी साक्ष्यों और समर्पण से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है. यह कदम नागरिकों के विश्वास को बढ़ाता है और समाज में सुरक्षा की भावना को मजबूत करता है.
सर्विलांस और तकनीकी सहायता
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में पुलिस उपायुक्त डीसीपी की सक्रियता और तकनीकी सहायता से खोए हुए मोबाइल फोन उनके असली मालिकों तक पहुंचाए गए हैं. इस पहल से यात्रियों और नागरिकों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई है. डीसीपी की निर्देश पर सर्विलांस टीम और साइबर सेल ने खोए हुए मोबाइल फोन की पहचान और बरामदगी के लिए तकनीकी उपकरणों और ऑनलाइन डेटाबेस का उपयोग किया. बरामद मोबाइल फोन उनके असली मालिकों को लौटाए गए. जिससे उनकी खोए हुए फोन को वापस पाने की उम्मीद पूरी हुई. डीसीपी की इस पहल की नागरिकों और पुलिस अधिकारियों ने सराहना की. जिससे पुलिस और जनता के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ा है. यह पहल यह सिद्ध करती है कि तकनीकी सहायता और सक्रिय प्रयासों से खोए हुए सामान की बरामदगी संभव है. जिससे नागरिकों का पुलिस पर विश्वास और बढ़ता है.