सीएम योगी का बड़ा ऐलान, प्रदेश बनेगा ग्रोथ इंजन

उत्तर प्रदेश आज एक नए आर्थिक युग में प्रवेश कर रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश ने देश के आर्थिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है. एक समय पर जहां यूपी की अर्थव्यवस्था देश में सातवें या आठवें पायदान पर थी, वहीं अब यह 27.5 लाख करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर आ चुकी है. मुख्यमंत्री का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक उत्तर प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया जाए.
भारतीय रिज़र्व बैंक की अगस्त 2023 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में निवेश आकर्षित करने के मामले में उत्तर प्रदेश का योगदान 16.2% रहा, जिससे यह पूरे भारत में पहले स्थान पर आ गया. नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में यूपी को 'फ्रंट रनर' राज्यों में शामिल किया गया है, जो यह दर्शाता है कि राज्य आर्थिक सुधारों की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.
कर संग्रह के मामले में भी यूपी ने अपनी स्थिति मजबूत की है. RBI के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश कर राजस्व में देश में दूसरे स्थान पर है. क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो यानी सीडी रेशियो में भी राज्य ने सराहनीय सुधार किया है – जहां 2016-17 में यह 46% था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 61% तक पहुंच गया है. राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इसे जल्द ही 67 से 70% तक लाया जाए.
उत्तर प्रदेश का देश की जीडीपी में 9.2% का योगदान है. योजना विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि यूपी के पास 56% युवा जनसंख्या, विविध कृषि-जलवायु क्षेत्र, जल संसाधनों की प्रचुरता और अनेक भौगोलिक विशेषताएं हैं, जो इसे एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सक्षम बनाते हैं.
प्रदेश सरकार ने पहले से ही "एक जिला एक उत्पाद" (ODOP) और "एक जिला एक जीआई" जैसी योजनाएं शुरू की हैं. अब सरकार इससे भी आगे बढ़ते हुए "एक जिला एक पकवान" योजना की तैयारी में है, जिससे स्थानीय संस्कृति और रोजगार को बढ़ावा मिल सके.
मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उस समय यूपी की अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर पिछड़ रही थी. लेकिन अब, सात साल बाद, राज्य ने अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति की है. मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश है "अब उत्तर प्रदेश सिर्फ देश का हिस्सा नहीं, बल्कि उसकी तरक्की की धुरी बनेगा."