यूपी के इस जिले में 45 गांव हो जाएंगे शहर, नदी के किनारे नहीं होगा अब कोई काम
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Ghazipur News In Hindi: गाजीपुर शहर की बढ़ती जरूरतों और जनसंख्या के संदर्भ में तैयार की गई महायोजना-2031 को सरकारी स्तर से मंजूरी प्राप्त हुई है. उच्च सचिव डॉ. नितिन रमेश गोकर्ण ने जिलाधिकारी को इस विषय पर पत्र भेजा है. फिलहाल अभी तक नक्शा जारी नहीं हुआ है, लेकिन इसके प्रभाव से शहर में निर्माण कार्यों को व्यवस्थित करने की योजना है. साथ ही, 45 गांवों के नगरीकरण की योजना के साथ उनके विकास कार्यों की भी प्रक्रिया शुरू की जाएगी और गंगा नदी के किनारे मौजूद एरिया में किसी भी तरीके का कोई भी कार्य नहीं करवाया जाएगा.
Ghazipur master plan 2031
इस परियोजना का प्रस्तावित क्षेत्रफल 3002.08 हेक्टेयर से अधिक निश्चित किया गया है. इसमें शहर की बढ़ती जनसंख्या और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सभी आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक, कार्यालयी, सार्वजनिक और आंशिक सार्वजनिक सुविधाओं के लिए विभिन्न इलाकों को निश्चित किया गया है. इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक उपयोग, पार्क और हरित पट्टियां, यातायात और परिवहन सहित बाकी सभी स्थान के लिए क्षेत्रफल निश्चित किए गए हैं.
इस इलाके के अंतर्गत आने वाले 45 गांवों को विनियमित इलाकों से मिलने की तैयारी शुरू हो गई है. इन गांवों में रौजा, बीकापुर, मिरनपुर शक्का, सौहिलपुर, बबेड़ी, चकअब्दुल बहाव, नुरूल्लाहपुर, गौसाबाद, फतेहपुर सिकंदर, चकबिसंभर, बकुलियापुर, अंघऊ, बिराईच, बेलवा, नसीरपुर, सरैय्या, अतरौली, हेतीमपुर, पहाड़पुर उर्फ लंगड़पुर, चकसहरूल्लाह, महराजगंज, देवकठिया, शेखपुर, अरशदपुर, सहादतपुर, और जंगी शामिल हैं. खबरों के मुताबिक महायोजना के प्रारंभ होने के बाद, नदी किनारे स्थित शहरों में निश्चित इलाकों में कोई भी कार्य नहीं होगा. सभी सामान्य श्रेणी के इमारतों की मरम्मत और अभियांत्रिकी कार्य किए जाएंगे.
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वागार्थ सांकृत्यायन
संपादक, भारतीय बस्ती
वागार्थ सांकृत्यायन एक प्रतिबद्ध और जमीनी सरोकारों से जुड़े पत्रकार हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। भारतीय बस्ती के संपादक के रूप में वे खबरों को सिर्फ़ घटनाओं की सूचना तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उनके सामाजिक और मानवीय पक्ष को भी उजागर करते हैं।
उन्होंने भारतीय बस्ती को एक मिशन के रूप में विकसित किया है—जिसका उद्देश्य है गांव, कस्बे और छोटे शहरों की अनसुनी आवाज़ों को मुख्यधारा की मीडिया तक पहुंचाना। उत्तर प्रदेश की राजनीति, समाज और संस्कृति पर उनकी विशेष पकड़ है, जो खबरों को गहराई और विश्वसनीयता प्रदान करती है