शहद से जुड़े इन भ्रमों को सही मानते हैं लोग, जानिए इनकी सच्चाई

शहद से जुड़े इन भ्रमों को सही मानते हैं लोग, जानिए इनकी सच्चाई
शहद से जुड़े इन भ्रमों को सही मानते हैं लोग, जानिए इनकी सच्चाई

 

शहद एक बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि है क्योंकि इसमें कई प्रकार के खनिज और पोषक तत्व सम्मिलित होते हैं। इसलिए कई लोग इसे डाइट में शामिल करना फायदेमंद मानते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इससे जुड़े भ्रमों को सच मानते हैं और शहद को डाइट में शामिल करने से कतराते हैं, लेकिन इनकी सच्चाई कुछ और ही है। आइए आज हम आपको शहद से जुड़े ऐसे ही कुछ सामान्य भ्रमों और उनकी सच्चाई के बारे में बताते हैं।

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भ्रम- क्रिस्टलाइज्ड शहद खराब होता है

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कई लोगों का ऐसा मानना है कि जब शहद क्रिस्टलाइज्ड हो जाता है तो इसका अर्थ है कि वह खराब हो चुका है, लेकिन यह सिर्फ एक भ्रम से ज्यादा और कुछ नहीं है क्योंकि लंबे समय के बाद शहद की बनावट बदल सकती है, लेकिन लेकिन इसकी संरचना वही रहती है। साफ शब्दों में कहें तो क्रिस्टलाइज्ड होने के बाद भी शहद का स्वाद और पोषक तत्व भी सही रहते हैं। इसलिए ऐसे शहद को खराब कहना गलत होगा।

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भ्रम- सभी तरह की मधुमक्खियां शहद बनाती हैं

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यह भी सिर्फ एक भ्रम है कि सभी तरह की मधुमक्खियां शहद बनाती हैं और यह बात सच से कोसों दूर है। हालांकि यह बात सच है कि शहद मधुमक्खियों से मिलता है, लेकिन यह कहना गलत होगा कि सभी तरह की मधुमक्खियां शहद बनाती हैं। दरअसल, दुनिया में मधुमक्खी की लगभग 20,000 प्रजातियां हैं। इस संख्या से सिर्फ पांच प्रतिशत ही खाने योग्य शहद बनाती हैं, जिसका सेवन इंसान के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

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भ्रम- मेटल के चम्मच से शहद नहीं खाना चाहिए

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शायद यह सबसे आम भ्रम है कि मेटल के चम्मच से शहद नहीं खाना चाहिए क्योंकि क्योंकि शहद धातु के साथ जहर का काम करता है, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। सच तो यह है कि शहद एसिडिक होता है और ऐसे में अगर आप मेटल चम्मच से इसका सेवन करते हैं तो यह तुरंत फायदा नहीं पहुंचाता है। इसलिए आपको लंबे समय तक शहद की बोतल में मेटल के चम्मच को नहीं रखना चाहिए।

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भ्रम- शहद को फ्रिज में न रखा जाए तो वह खराब हो जाता है

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यह भी सिर्फ एक भ्रम है कि अगर शहद को फ्रिज में न रखा जाए तो यह खराब हो सकता है क्योंकि शहद कमरे के तापमान में भी लंबे समय तक ठीक रह सकता है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुरातत्वविदों ने फिरौन की कब्रों में 3,000 साल से अधिक पुराने शहद, शराब और जैतून के तेल से भरे मिट्टी के बर्तनों की खोज की थी, जिनमें से शहद खराब नहीं हुआ था।

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