OPINION : क्या किसी को याद है Ryan International School का प्रद्युम्न?

रेयान इंटरनेशनल स्कूल (Ryan International School) में आज से दो साल 3 दिन पहले यानी 8 सितंबर 2017 को प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या हुई थी. उस वक्त से लेकर करीब अगले 20 दिन तक प्रद्युम्न और उसका परिवार मीडिया के ‘निशाने’ पर था.
बीते कुछ दिनों के भीतर श्रीनगर डाउनटाउन (Srinagar Down town) से लेकर चांद (Moon) के क्रेटर तक के बारे में शुभ समाचार दे चुके वरिष्ठ पत्रकार/ एंकर प्रद्युम्न ठाकुर के परिजनों की सुध भी लेना भूल गए.

बिहार (Bihar) में चमकी बुखार (Chamki fever) के दौरान देखा देखी आईसीयू में पहुंच चुके पत्रकार लोग, उस ‘मौके’ पर रेयान स्कूल के भीतर भी गए थे.
Ryan Internation School मामले में पुलिस पर सवाल क्यों नहीं?
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हमारी पत्रकारिता के कथित महान स्तंभों ने प्रद्युम्न की हत्या में पकड़े गए कथित आरोपी अशोक को दरिंदा और न जाने-जाने क्या-क्या बता दिया था.
जांच हरियाणा (Haryana) की गुड़गांव पुलिस से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई -CBI) को हैंडल हुई. सुप्रीम जांच एजेंसी ने पुलिस की कहानी की कलई खोल दी.
Ryan International School घटना का हश्र क्या हुआ?
जांच एजेंसी ने पाया कि हत्यारा अशोक नहीं बल्कि उसी स्कूल का एक लड़का था जो उससे सीनियर था.
मामला बड़ा था. स्कूली बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा था. तमाम वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने सोशल मीडिया वॉल पर बहुत कुछ लिखा. कुछ तो फेसबुक लाइव के दौरान रो पड़े.
लेकिन हश्र क्या हुआ? वही ढाक के तीन पात! अब हम सब प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या, उसके परिवार के बारे में भूल चुके हैं.
हम भारतीय नागरिकों की बड़ी आदत है.
कौन था Pradyuman Thakur?
प्रद्युम्न ठाकुर रेयान इंटरनेशनल स्कूल में एक छात्र था, जिसकी गुड़गांव (Gudgaon- Gurugram)में 8 सितंबर 2017 को रहस्यमय परिस्थितियों में ग्राउंड फ्लोर वॉशरूम के अंदर हत्या कर दी गई थी.
उसकी मृत्यु विवादास्पद थी. शुरुआत में दावा किया गया कि हत्या किसी अन्य अज्ञात अपराध को छिपाने के लिए हुई थी.
स्थानीय पुलिस और राज्य सरकार ने हत्या की जांच जारी नहीं रखी. हालाँकि, पीड़ित के माता-पिता द्वारा मिन्नतें करने के बाद और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप के बाद CBI ने 23 सितंबर 2017 को मामले की जांच को संभाल लिया.
क्या कहती है गुड़गांव पुलिस की रिपोर्ट?
पुलिस रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या उसके स्कूल पहुंचने के आधे घंटे के भीतर ही कर दी गई थी, जब उसे और उसकी बड़ी बहन को उसके पिता ने स्कूल में छोड़ा. उनके पिता सुबह 7:55 बजे स्कूल पहुंचे और दावा किया कि उन्हें प्रद्युम्न की स्थिति के बारे में लगभग 8:10 बजे फोन आया. बच्चे को स्कूल स्टाफ ने अस्पताल पहुंचाया.
विभिन्न स्थानीय मीडिया रिपोर्टों ने दावा किया कि पुलिस के पहुंचने से पहले स्कूल के प्रबंधन ने सबूत नष्ट कर दिया या छिपाने का प्रयास किया.
स्थानीय मीडिया ने यह भी दावा किया कि प्रबंधन ने कथित रूप से छात्रों से खून और अन्य सबूतों को धोने के लिए कहा, ताकि उंगलियों के निशान और अन्य निशानों की पहचान न हो सके.

ठाकुर पर चाकू से गर्दन पर दो बार वार किया गया. डॉक्टरों ने कहा कि अत्यधिक रक्तस्राव के दो मिनट बाद उसकी मृत्यु हो गई. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वह सांस न ले पाने के कारण मदद के लिए रोने में असमर्थ था.
स्कूल के अधिकारियों ने दावा किया कि जब वह अस्पताल ले जाया गया तो बच्चा जीवित था. प्रत्यक्षदर्शियों ने इस दावे का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने दो शिक्षकों को स्कूल के बस कंडक्टरों में से एक अशोक कुमार को एक कार में बच्चे को अस्पताल ले जाने का आदेश दिया. दावा किया गया कि कंडक्टर अपनी शर्ट पर खून के निशान छिपा रहा था.
पुलिस पूछताछ के कुछ ही मिनटों के भीतर, अशोक कुमार ने कथित रूप से कबूल कर लिया, जबकि एक अन्य स्कूल बस चालक सौरभ राघव ने दावा किया कि वह एक बलि का बकरा था.
गुड़गांव पुलिस ने जिला अदालत को सूचित किया कि अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ की गई थी और उन्हें संदेह था कि एक तीसरा व्यक्ति शामिल था.
फिर मामला CBI को मिला
21 सितंबर 2017 को, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बीरेन सिंह ने कहा ‘केवल अशोक ने प्रद्युम्न की हत्या की है, कोई अन्य व्यक्ति शामिल नहीं है.
हालांकि, कुमार ने बाद में अपने वकील के माध्यम से मीडिया को बताया कि उन्हें पुलिस यातना देकर अपराध कबूल करने के लिए मजबूर किया.
11 सितंबर 2017 को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को बच्चे के पिता वरुण ठाकुर की याचिका पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें उनके बेटे की हत्या की सीबीआई जांच और सुरक्षा दिशानिर्देशों देने के लिए कहा गया था.

इसके बाद, रेयान इंटरनेशनल स्कूल के दो अधिकारियों को एक जांच के बाद गिरफ्तार किया गया, जिसमें गंभीर सुरक्षा चूक थे. स्कूल के अधिकांश क्लोज-सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरे काम नहीं कर रहे थे और घटना के क्षेत्र में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था.
कुमार ने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने हत्या को अंजाम दिया, लेकिन बाद में दावा किया कि उसके साथ जबरदस्ती की गई थी और उसने ऐसा नहीं किया. कुमार को तब से जमानत पर है.
CBI ने किया इसे गिरफ्तार
8 नवंबर 2017 को मामले की जांच कर रही सीबीआई ने ठाकुर की हत्या के लिए 16 साल की उम्र के ग्यारहवीं कक्षा के छात्र को रेयान इंटरनेशनल स्कूल से गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने कहा कि लड़के ने प्रद्युम्न को स्कूल में परीक्षा और पैरेंट टीचर मीटिंग स्थगित करने के लिए मार दिया.
आरोपियों की हिरासत के लिए सीबीआई ने अपने रिमांड आवेदन में कहा कि लड़का अपने पिता के सामने कबूल कर लिया गया था, लेकिन उसने जो स्वीकारोक्ति बताई थी, उसे वापस ले लिया गया. जांच अभी भी जारी है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आश्वासन दिया कि अपराधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हत्या के एक सप्ताह बाद 15 सितंबर 2017 को वह ठाकुर के घर भी गए. सीबीआई को यह भी पता चला कि ग्यारहवीं कक्षा के छात्र ने हत्या के लिए कई तरह के जहर की खोज भी की.
छात्र ने एक हथियार से उंगलियों के निशान को हटाने का तरीका भी खोजा. विभिन्न स्रोतों ने अपने सहपाठियों के प्रति आरोपी के आक्रामक और धमकाने वाले स्वभाव के बारे में बताया. उसे डर था कि इसकी चर्चा पीटीएम में की जाएगी.
JJB ने क्या कहा-
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) ने एक समिति का गठन किया, जिसमें पंडित भागवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PGIMS, रोहतक) के एक मनोवैज्ञानिक को आरोपियों पर विशेषज्ञ राय के लिए शामिल किया गया.
पैनल ने दो सीलबंद लिफाफों में अपनी रिपोर्ट सौंपी. जेजेबी ने उल्लेख किया कि अभियुक्त अपने कार्यों के परिणामों को पहचानने के लिए पर्याप्त परिपक्व था.
20 दिसंबर 2017 को, जेजेबी ने घोषणा की कि आरोपी लड़के को एक वयस्क के रूप में माना जाएगा और अदालत में एक नियमित परीक्षण से गुजरना होगा.
बोर्ड ने कहा कि अगर आरोपी को दोषी ठहराया जाता है, तो उसे 21 साल की उम्र तक सुधारगृह में रहना होगा और फिर जेल में स्थानांतरित किया जाना चाहिए.
परिवार ने दायर की याचिका
किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत बोर्ड द्वारा यह कार्रवाई की गई थी. इससे अदालत 16-18 आयु वर्ग के किशोर को एक वयस्क के रूप में जघन्य अपराध में शामिल मान सकती है (जो सात साल से अधिक की सजा भुगतता है).
आरोपी के परिवार ने जेजेबी के इस आदेश के खिलाफ अपील दायर की, जिसका सीबीआई ने अदालत में एक लिखित विरोध किया.
28 फरवरी 2018 को, विशेष बाल अदालत ने सीबीआई द्वारा अनुरोध के अनुसार बस चालक कुमार को बरी कर दिया, क्योंकि हत्या में किसी भी तरह से शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला.
आखिर कब मिलेगा Pradyuman को न्याय?
12 अगस्त को इस पूरे घटनाक्रम पर DNAIndia की एक रिपोर्ट आई. इसमें कहा गया कि ‘हत्या के मामले को सुलझाने के दो साल बाद भी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) गलत गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने में विफल रही है, जिन्होंन हत्या के मामले में निर्दोष अशोक को फंसाया.’
सूत्रों ने कहा कि ‘सीबीआई के निदेशक आरके शुक्ला ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है क्योंकि उनके पूर्ववर्ती आलोक कुमार वर्मा ने गुरुग्राम पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार नहीं करने का फैसला किया था.
फिलहाल इस मामले में क्या होगा? आखिर कब प्रद्युम्न और उसके परिजनों को न्याय मिलेगा यह कोई नहीं जानता.
हम सिर्फ आशा कर सकते हैं कि यह होगा… वह होगा… लेकिन क्या होगा… फिलहाल पता नहीं.
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