यूपी के इस जिले में जल्द मिल सकता है यूरेनियम का भंडार, करोड़ों का होगा फायदा

यूपी के इस जिले में जल्द मिल सकता है यूरेनियम का भंडार, करोड़ों का होगा फायदा
यूपी के इस जिले में जल्द मिल सकता है यूरेनियम का भंडार, करोड़ों का होगा फायदा

उत्तर प्रदेश: यूपी में स्थित सोनभद्र अब ऊर्जा के क्षेत्र में देश का एक बड़ा स्रोत बन सकता है. यहां की म्योरपुर तहसील स्थित कुदरी पहाड़ियों में यूरेनियम के भंडार के संकेत मिले हैं. यह संकेत देश के परमाणु ऊर्जा विभाग की ओर से आए हैं, जो बीते 5 वर्षों से इस क्षेत्र में गहन जांच और अध्ययन कर रहा है.

सूत्रों के अनुसार, कुदरी की आजनगिरा पहाड़ियों में अब तक की जांच से संकेत मिला है कि यहां करीब 100 टन या उससे अधिक यूरेनियम की मौजूदगी संभव है. यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो उत्तर प्रदेश के ललितपुर के बाद सोनभद्र देश का दूसरा प्रमुख यूरेनियम उत्पादक क्षेत्र बनकर उभर सकता है. बता दें कि कुदरी गांव में वर्ष 2017 में भारत सरकार ने अत्याधुनिक एयरोमैग्नेटिक सिस्टम के माध्यम से हेलीकॉप्टर से खनिजों की खोज करवाई थी. इस प्रणाली की सहायता से धरती की गहराई में छिपे खनिजों का पता लगाया जाता है. इस प्रणाली के माध्यम से वैज्ञानिकों को यहां यूरेनियम जैसे कीमती खनिजों के संकेत मिले थे. इसके बाद लगातार जमीन पर खुदाई, सैंपल संग्रहण और वैज्ञानिक परीक्षण किए जा रहे हैं. बीएचयू (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) के भू-विज्ञानी और प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ. वैभव श्रीवास्तव के अनुसार, यह खोज प्रणाली अत्यंत सटीक है और बेहद गहराई में स्थित खनिजों को भी पहचानने में सक्षम है. हाल के हफ्तों में भी इसी तकनीक का दोबारा उपयोग किया गया है. परमाणु ऊर्जा विभाग की टीमें बीते 5 वर्षों से म्योरपुर क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं. कुदरी के आसपास के क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर खुदाई, सर्वेक्षण और वैज्ञानिक परीक्षण हो रहे हैं. वहीं, भूतत्व एवं खनन विभाग सोनभद्र के भूवैज्ञानिक अनुज कुमार के मुताबिक, यूरेनियम एक चमकदार, चांदी जैसे रंग की रेडियोधर्मी धातु है जिसका उपयोग न सिर्फ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में होता है, बल्कि अत्याधुनिक सैन्य हथियारों जैसे कि मिसाइल और तोप को निर्मित कराने में भी इसका प्रयोग होता है.

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जानकारों की मानें तो एक किलो यूरेनियम से करीब 24 मेगावॉट तक बिजली का उत्पादन संभव है. यही कारण है कि यह धातु वैश्विक स्तर पर अत्यधिक मूल्यवान मानी जाती है. यह ध्यान देने योग्य है कि कुदरी के अलावा चोपन ब्लॉक के हर्रा की पहाड़ियों में भी 3 साल पूर्व जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) लखनऊ की टीम ने यूरेनियम के संकेत दिए थे. अब कुदरी की पुष्टि के बाद यह उम्मीद और भी मजबूत हो गई है कि सोनभद्र आने वाले समय में भारत के परमाणु ऊर्जा अभियान में अहम भूमिका निभा सकता है. परंतु, अभी तक इस विषय में कोई आधिकारिक घोषणा या प्रमाणित रिपोर्ट सामने नहीं आई है. लेकिन परमाणु ऊर्जा विभाग के सूत्रों के मुताबिक, जांच के शुरुआती परिणाम अत्यंत उत्साहजनक हैं और आगे की प्रक्रिया भी जारी है. विशेष बात है कि सोनभद्र पहले से ही प्राकृतिक खनिज संपदाओं का भंडार रहा है. यहां की स्लेटी चट्टानें लगभग 180 करोड़ साल पुरानी मानी जाती हैं, वहीं यहां 160 करोड़ साल पुराने जीवाश्म (फॉसिल्स) भी मिल चुके हैं. यूरेनियम भंडार की खोज इस जिले की खनिजीय महत्वता और भी मजबूत कर सकती है. आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में और भी वैज्ञानिक गतिविधियों के बढ़ने की संभावना जताई गई है.

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