16 जून और 30 जून से बदल जाएगा UPI सिस्टम: जानिए क्या होंगे बड़े बदलाव और कैसे बढ़ेगी आपकी सुरक्षा

आज के समय में डिजिटल पेमेंट हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे किराने की दुकान हो या ऑनलाइन शॉपिंग, हममें से ज्यादातर लोग Google Pay, PhonePe, Paytm जैसे यूपीआई एप्स का इस्तेमाल करते हैं। इस डिजिटल सुविधा ने पैसे भेजना और लेना बेहद आसान बना दिया है। लेकिन जैसे-जैसे इसका इस्तेमाल बढ़ा है, वैसे-वैसे इसकी चुनौतियां भी सामने आई हैं – जैसे सर्वर स्लो होना, ट्रांजैक्शन फेल होना या फ्रॉड के केस बढ़ना।
इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने दो बड़े फैसले लिए हैं जो UPI यूज़र्स के अनुभव को और बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए लागू किए जा रहे हैं। पहला बदलाव 16 जून 2025 से और दूसरा 30 जून 2025 से लागू होगा। आइए इन दोनों बदलावों को विस्तार से समझते हैं।
पहला बदलाव: 16 जून से ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग होगी और भी तेज
NPCI ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर सभी UPI पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स और बैंकों को निर्देश दिया है कि वे UPI सेवाओं का रिस्पॉन्स टाइम घटाएं। इसके तहत अब UPI से जुड़ी विभिन्न सेवाओं का प्रोसेसिंग टाइम घटाकर सेकंडों में पूरा किया जाएगा, ताकि यूज़र को रियल टाइम में फास्ट अनुभव मिल सके।
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ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक: पहले 30 सेकंड लगते थे, अब सिर्फ 10 सेकंड में स्टेटस मिल जाएगा।
पेमेंट रिवर्स: किसी गलती से किए गए भुगतान को वापस पाने का समय अब घटकर 10 सेकंड हो जाएगा।
पेमेंट रिक्वेस्ट भेजना और रिस्पॉन्स देना: पहले 30 सेकंड लगते थे, अब सिर्फ 15 सेकंड में पूरा हो जाएगा।
UPI एड्रेस वेरिफिकेशन: पहले यह प्रक्रिया 15 सेकंड में होती थी, अब सिर्फ 10 सेकंड में पूरी होगी।
इसका मतलब यह है कि अब जब भी आप पैसा भेजेंगे, स्टेटस चेक करेंगे या पेमेंट वापस मांगेंगे – सभी प्रक्रियाएं पहले से कहीं अधिक तेजी से होंगी। यह बदलाव उन घटनाओं के बाद लिया गया है जब मार्च और अप्रैल 2025 में कई बार UPI सर्वर डाउन हुए थे और यूज़र्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
NPCI का मकसद है कि UPI सिस्टम को यूज़र्स के लिए और बेहतर, भरोसेमंद और स्मूद बनाया जाए ताकि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।
दूसरा बदलाव: 30 जून से UPI पेमेंट्स होंगे और भी सिक्योर
UPI सिस्टम को सुरक्षित बनाने के लिए एक और नया नियम 30 जून 2025 से लागू किया जाएगा। इस नियम के अनुसार अब जब भी कोई व्यक्ति UPI के जरिए ट्रांजैक्शन करेगा, उसे रिसीवर का वही नाम दिखेगा जो उसके बैंक खाते में आधिकारिक रूप से दर्ज है।
यानी अगर आप किसी को Google Pay या PhonePe से पेमेंट कर रहे हैं, तो वहां आपको उस व्यक्ति का असली बैंक रजिस्टर्ड नाम दिखाई देगा – कोई भी शॉर्ट नाम या फर्जी नाम नहीं।
इस नियम की मुख्य बातें:
UPI ऐप्स में रजिस्टर्ड नाम अनिवार्य: अब हर UPI ऐप में यूज़र का वही नाम दिखेगा जो उनके बैंक अकाउंट में है।
लेनदेन के समय रियल नाम अनिवार्य: ट्रांजैक्शन करते वक्त वही नाम दिखाई देगा जो बैंक से लिंक है।
P2P और P2M दोनों पर लागू: यह नियम पर्सन-टू-पर्सन (P2P) और पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) दोनों प्रकार के लेनदेन पर लागू होगा।
इस बदलाव का उद्देश्य है फ्रॉड से सुरक्षा। अक्सर देखा गया है कि लोग किसी गलत नंबर या फर्जी नाम से पेमेंट भेज देते हैं और बाद में धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। अब इस नए नियम के बाद यह जोखिम काफी हद तक कम हो जाएगा क्योंकि पेमेंट भेजने से पहले सामने वाले का असली नाम स्क्रीन पर दिखाई देगा।
इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, भरोसे में इज़ाफा होगा और ट्रांजैक्शन में धोखाधड़ी की संभावना काफी घटेगी।
डिजिटल इंडिया को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम
इन दोनों बदलावों से यह साफ है कि सरकार और NPCI डिजिटल पेमेंट सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए गंभीर है। भारत में हर महीने करोड़ों की संख्या में UPI ट्रांजैक्शन होते हैं। ऐसे में ट्रांजैक्शन की स्पीड और सुरक्षा – दोनों ही बहुत अहम हैं।
जहां एक तरफ 16 जून से लेनदेन और रिवर्सल प्रोसेस सेकंडों में पूरी होगी, वहीं 30 जून से हर ट्रांजैक्शन के साथ यूज़र की पहचान भी और स्पष्ट हो जाएगी। यह न सिर्फ ग्राहकों को बेहतर अनुभव देगा, बल्कि सिस्टम को सुरक्षित भी बनाएगा।
अगर आप भी UPI का इस्तेमाल करते हैं तो ये दोनों बदलाव आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। आने वाले दिनों में आपका डिजिटल पेमेंट अनुभव और ज्यादा तेज़ और सुरक्षित होने वाला है। यह भारत की डिजिटल क्रांति में एक और मील का पत्थर साबित हो सकता है।