यूपी के इन 16 जिलों में सड़कों पर नहीं लगेगा जाम! खास तरीके से बनेंगी सड़के
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उत्तर प्रदेश के बनारस शहर में नगर निगम ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत छह प्रमुख सड़कों को मॉडल बनाने की योजना बनाई है. इस पहल का उद्देश्य शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार, अतिक्रमण मुक्त वातावरण, और नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करना है.
निविदा प्रक्रिया और बजट
इन कार्यों के लिए नगर निगम ने निविदा प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी है. इस परियोजना पर करोड़ो रुपये खर्च किए जाएंगे. वर्तमान में शहर में सड़कों की मरम्मत का कार्य चल रहा है और जल्द ही निविदा प्रक्रिया पूरी कर इन सड़कों को मॉडल बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा. वर्तमान में यूपी के चार शहरों समेत पूरे देश में 19 नगरीय निकायों के म्युनिसिपल बॉन्ड लिस्टेड हैं। म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिये जुटाए गए धन का उपयोग शहरों में सड़कों, जलापूर्ति, सीवरेज सिस्टम, स्ट्रीट लाइटिंग, और अन्य बुनियादी सुविधाओं के विकास में किया जा रहा है। वाराणसी गंजारी के पास बन रहे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के समीप 10 हजार वाहनों की मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जाएगी. इसे लेकर वीडीए ने तैयारी शुरू कर दी है. वहां पार्किंग के लिए जमीन की तलाश तेज हो गई है. इसके लिए यहां पर जमीन लेकर वीडीए पार्किंग स्थल का विकास करेगा. यूपी जल्द देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है, जिसने सर्वाधिक म्युनिसिपल बॉन्ड जारी किए हैं.
लखनऊ, गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज के बाद अब वाराणसी नगर निगम भी म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने की तैयारी में है. इस पहल के साथ प्रदेश ने महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है, जो इस क्षेत्र में अब तक अग्रणी रहे हैं. इससे प्रदेश के बड़े शहरों के ढांचागत विकास को गति मिलने के साथ 10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य भी हासिल करने में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में शुरू किए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत वाराणसी में 200 एमएलडी क्षमता के एसटीपी स्थापित किए हैं. इसके अतिरिक्त जेएनएनयूआरएम के तहत 120 एमएलडी क्षमता का एसटीपी गोइठहां में है। इसके अलावा पांच छोटे छोटे एसटीपी हैं. जल निगम के अनुसार वर्ष 2017 तक वाराणसी में एसटीपी की शोधन क्षमता मात्र 100 एमएलडी थी, जो कि वर्तमान में 420 एमएलडी हो गई है. शहर की छह सड़कों को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा. सीएम ग्रिड योजना के तहत इन सड़कों का काम 18 महीनों में पूरा कराया जाएगा.
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विकास कार्यों की योजना
मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (सीएम ग्रिड योजना) के तहत शहर की छह सड़कों को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा. इनमें फुटपाथ, पार्किंग, वेंडिंग जोन, लैंडस्केपिंग और मार्ग प्रकाश जैसी सुविधाएं होंगी. इसकी कुल लागत 47.84 करोड़ रुपये है. पहले चरण में करीब 16-17 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके बाद दूसरे चरण में बची हुई राशि से अन्य निर्माण कार्य किए जाएंगे. प्रदेश के 16 शहरों में इस योजना के तहत काम कराए जा रहे हैं। इनमें वाराणसी के अलावा झांसी, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, फिरोजाबाद, अलीगढ़, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, गोरखपुर, अयोध्या, गाजियाबाद, शाहजहांपुर, बरेली शामिल हैं. ग्रीन एनर्जी, ग्रीन टेक्नोलॉजी और ग्रीनहाउस के बाद अब ग्रीन सड़कें भी होंगी. इन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाया जाएगा. इसके बाद बार-बार होने वाली खोदाई, अतिक्रमण की समस्या नहीं होगी. यहां की सड़कें सबसे अधिक जाम रहती है. इसके चलते आए दिन कोई न कोई समस्या आती है.
एक इलाके से दूसरे इलाके को जोड़ने वाली सड़कों को इस प्रकार से बनाया जाएगा ताकि बार बार समस्या न आए. अधिकारियों ने बताया कि इस योजना के तहत बनने वाले सड़कों में अंडरग्राउंड केबल लाइन, बिजली के तार, पानी की पाइप सहित कई सुविधाओं को भूमिगत डाला जाएगा. भूमिगत नाली का निर्माण होगा. फुटपाथ, स्ट्रीट लाइट, सड़कों की ऊपरी सतह अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी. सड़कों के किनारे पौधरोपण होंगे. इन सड़कों पर बार-बार रोड कटिंग नहीं होगी. इन सड़कों के निर्माण में 7 प्रतिशत प्रतिबंधितत प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाएगा. इसी प्रकार की सड़कें अन्य जगहों पर बनाई जाएंगी. ग्रीन रोड की खासियत ग्रीन रोड का विदेशों में प्रमुखता से निर्माण हो रहा है. यह सड़कें पूरी तरह से इको फ्रेंडली होती हैं. इन्हें वेस्टज चीजों जैसे प्लास्टिक आदि से मिलाकर बनाया जाता है. इस वजह से यह सड़कें पर्यावरण के लिए काफी अच्छी मानी जाती हैं. अब तक शहर में चार बहुमंजिली पार्किंग हैं. अधिकारियों के अनुसार 30 हजार क्षमता वाले निर्माणाधीन स्टेडियम में तकरीबन 12 हजार लोग वाहन से आने का अनुमान लगाया गया है. स्टेडियम में पहले से 1500 वाहनों की क्षमता की पार्किंग प्रस्तावित है.