भारत में मैन्युफैक्चरिंग: एक सुनहरा अवसर और चाइना से मुकाबला

भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर आज एक नया मोड़ ले रहा है। एक समय था जब चाइना के उत्पादों के बारे में भारत में नकारात्मक राय होती थी, लेकिन अब वही चाइना एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बन चुका है। यदि हम पीछे मुड़कर देखें, तो चाइना को कभी मजाक का विषय माना जाता था, लेकिन आज यह देश BYD जैसी गाड़ियों, स्पेस टेक्नोलॉजी, और टेलीकॉम उत्पादों के मामले में दुनिया भर में प्रमुख बन चुका है। यह एक बड़ा सवाल पैदा करता है: भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता?
भारत में मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं, और भारत का भविष्य इस क्षेत्र में काफी रोशन नजर आता है। भारतीय सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में देश को आत्मनिर्भर बनाना है। यदि हम चाइना से आयात को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाएं, तो यह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक बड़ी संभावना बन सकती है।
भारत में मैन्युफैक्चरिंग के अवसर
चाइना से व्यापार में बदलाव के बाद, भारत को एक अच्छा अवसर मिल सकता है। चाइना से निर्यात में कमी आने से भारत के पास वह मौका होगा कि वह अपने मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को मजबूत करे। भारतीय सरकार पहले ही विभिन्न उद्योगों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा कर चुकी है, जैसे PLI (Production Linked Incentive) स्कीम। इसका उद्देश्य उन कंपनियों को प्रोत्साहित करना है जो भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश करें।
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भारत में मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का विकास
जैसे Maruti ने भारत में एक मजबूत ऑटोमोटिव इकोसिस्टम बनाया, उसी तरह Apple और अन्य कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक स्थिर और सशक्त इकोसिस्टम बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। जब विदेशी कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग करती हैं, तो इससे ना केवल रोजगार बढ़ता है, बल्कि कई अन्य संबंधित उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है।
भारत में मैन्युफैक्चरिंग का एक और बड़ा फायदा यह है कि यहां की श्रमिक शक्ति काफी सस्ती है और भारत में उत्पादन लागत चीन के मुकाबले कम हो सकती है। इसके अलावा, अगर भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग में सुधार करता है, तो यह पूरे एशियाई और वैश्विक बाजार में एक मजबूत प्रतिस्पर्धा बन सकता है।
नए निवेशकों के लिए एक सुनहरा अवसर
भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर जो उत्साह है, वह निवेशकों के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है। यदि निवेशक अब भारत में मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम में कदम रखते हैं, तो अगले कुछ सालों में उन्हें काफी अच्छा लाभ मिल सकता है। सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्र, जहां भारत अभी भी चाइना पर निर्भर है, वहां भी तेजी से बदलाव देखने को मिल सकता है। जैसे-जैसे भारत में सेमीकंडक्टर डिजाइन और पैकेजिंग कंपनियां स्थापित होती जाएंगी, वैसे-वैसे भारत चाइना के प्रतिस्पर्धी बन सकता है।
भारत की मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में बदलाव और सुधार की प्रक्रिया में अभी थोड़ा समय लगेगा, लेकिन आने वाले पांच वर्षों में यह सेक्टर निवेशकों के लिए एक बड़ा अवसर बन सकता है। चाइना से आयात पर निर्भरता कम होने और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तेजी से विकसित हो सकता है। यह समय है जब भारत को अपना मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम मजबूत करने के लिए सही कदम उठाने चाहिए, और निवेशकों को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहिए।