Basti Politics: बस्ती में बीजेपी ही नहीं सपा के लिए भी कठिन है रास्ते जानें क्यों?
Basti News: - बिना सत्ता के विधायकी, बिना गोली के बन्दूक की तरह - चार सीटें जीतने के बावजूद सपा कार्यकर्ता निराश - भाजपाई खेमा भी मायूस - उपद्रव में शामिल सपा कार्यकर्ताओं की धरपकड़ तेज
-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. विधानसभा चुनाव में बस्ती के पांच में से चार सीटों पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई है. भाजपा के अजय सिंह ने किसी तरह हर्रैया से जीत हासिल कर पार्टी की लाज बचाया. बस्ती सदर से सपा जिलाध्यक्ष महेन्द्र नाथ यादव, रूधौली से राजेन्द्र प्रसाद चौधरी, कप्तानगंज से अतुल चौधरी व महादेवा से दूधराम ने जीत हासिल की. कहा जाता है की बिना सत्ता की विधायकी बिना गोली के बन्दूक जैसी होती है.
पिछले विधानसभा चुनाव में बस्ती में भाजपा ने पांचों सीटों पर क्लीन स्वीप किया था. पार्टी में उपजे अन्तर्कलह और कार्यकर्ताओं की अनदेखी से चार सीटों पर प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा. जिससे भाजपा खेमें में मायूसी छाई हुई है.
समाजवादी पार्टी की चार सीटों पर जीत के बावजूद पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह नजर नहीं आ रहा है. प्रदेश में सरकार बनने से दूर रह जाने का मलाल पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों के चेहरों पर साफ देखा जा सकता है. जीत का आंकड़ा भले ही पार्टी के पक्ष में गया हो मगर जिस तरह से पहले विधायकों के जीत पर यशगान होता था वो उत्साह इस बार नदारद है.
भाजपा खेमें में हार के बाद सोशल मीडिया से लगायत चौक-चौराहों पर आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला जारी है. कम मतों के अंतर से हारे सीटों पर मंथन करने के लिए बड़े नेताओं द्वारा स्थानीय संगठन से रिपोर्ट मांगी जा रही है. ऐसे में चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों का विरोध करने वाले और हार में अपना भविष्य तलाशने वाले नेताओं पर गाज गिरने की संभावना बनी हुई है.
मतगणना के पूर्व सपा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ किया गया दुर्व्यवहार अब भारी पड़ रहा है. भाजपा की सरकार सत्ता में आते दिखते ही प्रशासन द्वारा आनन-फानन में दुर्व्यवहार में शामिल नेताओं के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया. उपद्रव में शामिल नेताओं के घरों पर दबिश दी जा रही है. कार्यवाही से परेशान नेता भूमिगत हो गये है. वहीं समाजवादी पार्टी नेताओं द्वारा उपद्रव में शामिल नेताओं की जमानत कराने में पसीने छूट रहे है.
देखना दिलचस्प होगा की सपा के चार विधायकों का मुकाबला भाजपा कैसे करती है. समाजवादी विधायक विपक्ष में रहकर जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतर सकते है. ऐसे तमाम सवाल हैं जिनके जवाब भविष्य के गर्भ में छिपे हुए है.