OPINION: आत्मनिर्भर भारत,सामरिक, स्वास्थ्य, विज्ञान के उपकरणों का बड़ा निर्यातक
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संजीव ठाकुर
भारत वैश्विक स्तर पर युद्ध के शस्त्रों का बड़ा निर्यातक देश होने जा रहा है. रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि भारत विश्व के लगभग 80 देशों को सामरिक अस्त्र भेजने की तैयारी में है .पहले भारत दूसरे देशों के अस्त्र तथा शास्त्र का बड़ा खरीददार हुआ करता था.पूर्व में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस तथा इसराइल जैसे देशों से रक्षा उपकरणों की खरीदी कर अपने सैन्य बल को मजबूत रखने की कोशिश करता था.यहां तक कि भारत के रक्षा सौदा परंपरागत दुश्मन,चीन से भी कई बार हुए हैं. किंतु चीन की प्राथमिकता हमेशा पाकिस्तान ही रही है. ऐसे में भारत ने यूरोपीय देशों पर ज्यादा भरोसा कर यूरोप तथा अमेरिका, इसके अलावा रूस से भी रक्षा सौदे किए एवं बड़ी मात्रा में लड़ाकू विमान तथा टैंक खरीदता रहा है.
पर धीरे-धीरे हिंदुस्तान ने आत्मनिर्भरता हासिल करने का प्रयास किया और भारत की रक्षा एजेंसी डी.आर.डी.ओ.यानी ( डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन)ने अनथक प्रयास कर, भारत को रक्षा उपकरणों का निर्यातक देश बनाने का काम किया है, उदाहरण के तौर पर भारत कई देशों में अपने महत्वपूर्ण मिसाइल ब्रम्होस मिसाइल निर्यात करने की स्थिति में आ गया है. उनमें महत्वपूर्ण देश इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम तथा अन्य देश शामिल हैं. इन्हें वह उपरोक्त मिसाइल निर्यात शीघ्रता शीघ्र करेगा. वैसे तो भारत ने कूटनीति के तहत अमेरिका, इजराइल,फ्रॉस, ब्रिटेन, रूस के साथ अन्य यूरोपीय देशों से अरबों रुपए के सामरिक सौदे किए हैं.

इनके अलावा सऊदी अरब संयुक्त अरब,अमीरात तथा दक्षिण अफ्रीका के देश शामिल हैं. भारत ने रूस के साथ समझौता कर कई युद्ध के उपकरणों को बनाने में भारी सफलता पाई है, उनमें से प्रमुख 290 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल अत्याधुनिक मिसाइलों में गिनी जाती है. एवं निकट भविष्य में इसका निर्यात रूस की सहमति के साथ फिलिपिंस को किया जाना है.यह मिसाइल एक क्रूज मिसाइल है, जिसको थल,वायु जल सेना में एक साथ उपयोग किया जा सकता है,इसके निर्यात के साथ ही भारत शस्त्र का बड़ा निर्यातक देश बनने की दिशा में कदम रखेगा, एवं बड़ा निर्यातक देश बन जाएगा. इसी तरह आकाश मिसाइल भी बड़ी मारक मिसाइल है जो हवा में 25 किलोमीटर रेंज में मारक क्षमता रखता है, एवम इस रेंज में आए किसी भी हवाई जहाज अथवा ड्रोन जहाज को नष्ट करने की क्षमता रखता है. विश्लेषकों के अनुसार दक्षिण पूर्व एशियाई के देशों जैसे बहरीन,सऊदी अरब, मिश्र,अल्जीरिया,संयुक्त अरब अमीरात,भी इसको खरीदने की योजना बना रहे हैं.