यूपी में शिफ्ट होंगे ये बस अड्डे, चार गांवों की जमीन का होगा अधिग्रहण, रोज आती हैं 700 से ज्यादा बसें

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यूपी में शिफ्ट होंगे ये बस अड्डे, चार गांवों की जमीन का होगा अधिग्रहण, रोज आती हैं 700 से ज्यादा बसें
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UPSRTC News: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के कई बस डिपो जब स्थापित हुए थे, तब उसके आसपास शहरी आबादी कम थी. वक्त बीता और आबादी बढ़ती गई. अब तो कई डिपो के आसपास समस्या यह कि लोगों के घरों की दीवार, बस अड्डे की चाहरदीवारी से सटी रहती है. न सिर्फ यह आलम है बल्कि ट्रैफिक की समस्या भी आम हो चुकी है. राजधानी लखनऊ हो या बस्ती जिला, हर जगह यह समस्या है. लखनऊ में भी चारबाग बस अड्डे को लेकर निर्माण कार्य की प्रक्रिया जारी है. वहीं बस्ती में बस अड्डे के लिए नई जमीन खोज ली गई है.
 
ताजा मामला मेरठ का है. यहां मेरठ और भैंसाली बस डिपो शिफ्ट होंगे. यहां रोज लगभग 800 बसों की आमद-रफ्त होती है. अगर एक बस में 55 यात्रियों की संख्या मानें तब भी कम से कम 44 हजार यात्री रोज यहां से आते जाते हैं.
 
मेरठ और भैंसाली डिपो से 650 बसें और 150 बसें अन्य डिपो की है. भैंसाली और मेरठ, दोनों ही बस अड्डे एक ही चाहरदीवारी के भीतर है. हरियाणा, दिल्ली, पूर्वांचल, पश्चिमी यूपी के लिए सभी जिलों के लिए बसें चलती हैं. 
 
इन गांवों की जमीन होगी अधिग्रहीत
जानकारी के अनुसार एक बस अड्डा मोदीपुर में विश्वविद्यालय के पास शिफ्ट होगा. वहीं दूसरा भूडबराल मेट्रो स्टेशन के पास निर्मित होगा. इसके अलावा पल्हेड़ा में रीजनल वर्कशॉप के पास ही एक अन्य वर्कशॉप बनेगी. इसके लिए कंकरखेड़ा में एक अन्य छोटा बस अड्डा बनेगा ताकि अन्य रूट्स पर यात्रियों को दिक्कत न हो.
 
डीएम दीपक मीणा ने बताया कि मेरठ के भूडबराल, सिवाया, पल्हैड़ा और दुल्हैड़ा गांव में 39 हजार 930 वर्ग मीटर जमीन अधिग्रहीत की जाएगी. दोनों बस अड्डे वहीं शिफ्ट होंगे.  मेरठ बस अड्डे 29 हजार 82 वर्ग मीटर और भैंसाली के लिए 11848 वर्ग मीटर जमीन लगेगी. यहां के लिए सिवाया, पल्हैड़ा और दुल्हैड़ा गांव शामिल है. जिलाधिकारी ने बताया कि 9 सितंबर 2024 के बाद जमीनों का अधिग्रहण होगा.
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विकास कुमार पिछले 20 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। उत्तर प्रदेश की राजनीति पर इनकी मजबूत पकड़ है, विधानसभा, प्रशासन और स्थानीय निकायों की गतिविधियों पर ये वर्षों से लगातार रिपोर्टिंग कर रहे हैं। विकास कुमार लंबे समय से भारतीय बस्ती से जुड़े हुए हैं और अपनी जमीनी समझ व राजनीतिक विश्लेषण के लिए पहचाने जाते हैं। राज्य की राजनीति पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक भरोसेमंद पत्रकार की पहचान देती है