यूपी रोडवेज की मुश्किलें बढ़ीं: 19 डिपो प्राइवेट, 6 रीजन बिना अफसर

यूपी रोडवेज की मुश्किलें बढ़ीं: 19 डिपो प्राइवेट, 6 रीजन बिना अफसर
यूपी रोडवेज की मुश्किलें बढ़ीं: 19 डिपो प्राइवेट, 6 रीजन बिना अफसर

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम इस समय भारी स्टाफ कमी से परेशान है. बस चलाने से लेकर मेंटेनेंस तक हर स्तर पर कर्मचारियों की संख्या बेहद कम पड़ गई है. कई डिपो ऐसे हैं जहां न तो अधिकारियों की सही तैनाती है और न ही तकनीकी कर्मी मौजूद हैं. परिणामस्वरूप बसों का संचालन लगातार प्रभावित हो रहा है.

कई जगहों पर स्थिति इतनी खराब है कि जिन डिपो को निगम खुद संभालता है, वहां अधिकारी नहीं हैं, जबकि जो डिपो निजी या अनुबंधित कंपनियों को दिए गए हैं, वहां पर अफसर मौजूद हैं. इससे काम की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं.

कई परिक्षेत्र बिना क्षेत्रीय प्रबंधक के चल रहे

प्रदेश के 20 परिक्षेत्रों में से 6 परिक्षेत्र ऐसे हैं जहां क्षेत्रीय प्रबंधक की तैनाती ही नहीं है. सेवा प्रबंधकों को ही अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपकर काम चलाया जा रहा है. अफसरों की कमी का असर सीधे बस संचालन, रखरखाव और यात्रा सुविधाओं पर पड़ रहा है. यात्रियों को समय पर बसें नहीं मिल पा रही हैं और आय घटने से निगम की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है.

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रिक्त पदों को भरने के लिए प्रक्रिया तेज

अधिकारियों और कर्मचारियों की घटती संख्या को ध्यान में रखते हुए निगम प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है. परिवहन निगम ने 108 सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों की भर्ती लोक सेवा आयोग से कराने व 547 तकनीकी व संचालन से जुड़े ग्रेड-3 कर्मचारियों की भर्ती अधीनस्थ चयन आयोग से कराने का प्रस्ताव भेज दिया है. अधियाचन आयोगों को भेजा जा चुका है और आगे प्रक्रिया शुरू होने की तैयारी है.

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कमी के कारण डिपो पड़े निजी हाथों में

कर्मचारियों की कमी का सबसे बड़ा असर यह हुआ कि निगम को मजबूर होकर अपने 19 डिपो निजी हाथों में देने पड़े. यहां तक कि मुख्यालय के पीछे स्थित अवध डिपो की वर्कशॉप भी प्राइवेट सिस्टम पर काम कर रही है. लखनऊ रीजन में भी दो महत्त्वपूर्ण डिपो निजी हाथों में संचालित हो रहे हैं.

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  • आलमबाग डिपो - अनुबंधित बसों का संचालन
  • अवध डिपो - रोडवेज बसें, लेकिन कार्यशाला निजी

इसके उलट कैसरबाग और चारबाग जैसे पुराने डिपो में अधिकारी ही नहीं हैं और वे अतिरिक्त स्टाफ के भरोसे चल रहे हैं.

सेवा प्रबंधक दोहरी जिम्मेदारी उठाने को मजबूर

पूरे प्रदेश में 20 रीजन हैं. नियम के अनुसार हर रीजन में एक क्षेत्रीय प्रबंधक और एक सेवा प्रबंधक नियुक्त होना चाहिए. सेवा प्रबंधक सामान्यतः बसों की वर्कशॉप और मेंटेनेंस देखते हैं, जबकि क्षेत्रीय प्रबंधक संचालन संभालते हैं. लेकिन 6 रीजन हरदोई, इटावा, नोएडा, प्रयागराज, झांसी और मुरादाबाद ऐसे हैं जहां क्षेत्रीय प्रबंधक खाली पड़े हैं. ऐसे में सेवा प्रबंधक ही दोनों भूमिकाएँ निभा रहे हैं, जिससे कामकाज पर भारी बोझ पड़ रहा है.

आधिकारिक बयान

UPSRTC के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अमरनाथ सहाय ने इस विषय पर जानकारी देते हुए स्वीकार किया कि निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी है. उन्होंने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी.

कमी का असल कारण 

  • UPSRTC में अधिकारियों की कमी इतनी गंभीर है कि कई सेवानिवृत्त अधिकारियों को फिर से संविदा पर बुलाया जा रहा है. 
  • संविदा पर लौटे अधिकारी केवल औपचारिक काम कर रहे हैं, जिससे संचालन पर कोई बड़ा सुधार नहीं दिख रहा.

भर्ती की तैयारी

  • निगम ने रिक्त पदों को भरने के लिए आयोगों से भर्ती कराने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है.
  • वर्तमान में 6 रीजन ऐसे हैं जहां एक अधिकारी दो-दो पदों की जिम्मेदारी संभाल रहा है.
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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।