UP: प्रेमानंद महाराज के पदयात्रा को लेकर अपडेट, समय में बदलाव
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वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा में हाल ही में बदलाव किया गया है. पहले यह यात्रा प्रतिदिन रात 2 बजे उनके निवास स्थान श्री कृष्णा शरणम् से शुरू होकर श्री राधा केलि कुंज तक जाती थी. जिसमें हजारों भक्त शामिल होते थे. इस दौरान ढोल.नगाड़े, आतिशबाजी और भजन.कीर्तन के कारण शोर.शराबा होता था. जिससे स्थानीय निवासियों को असुविधा होती थी. विशेषकर एनआरआई ग्रीन कॉलोनी की महिलाओं ने इस शोरगुल के कारण विरोध जताया था.
प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा का वक्त बदला
उन्होंने गुरु गौरी शरण जी महाराज से गुरुदीक्षा ली. वाराणसी में संन्यासी जीवन के दौरान वो रोज गंगा में तीन बार स्नान करते. तुलसी घाट पर भगवान शिव और माता गंगा का ध्यान-पूजन करते. दिन में केवल एक बार भोजन करते. प्रेमानंद महाराज भिक्षा मांगने की जगह भोजन प्राप्ति की इच्छा से 10-15 मिनट बैठते थे. अगर इतने समय में भोजन मिला तो उसे ग्रहण करते, नहीं तो सिर्फ गंगाजल पीकर रह जाते. संन्यासी जीवन की दिनचर्या में प्रेमानंद महाराज ने कई दिन बिना कुछ खाए-पीए बिताया. आज जिन प्रेमानंद महाराज के भक्तों में आम आदमी से लेकर सेलिब्रिटी तक शुमार हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई सिर्फ 8वीं कक्षा तक हुई है. 9वीं में भास्करानंद विद्यालय में एडमिशन दिलाया गया था, लेकिन 4 महीने में ही स्कूल छोड़ दिया. इसके बाद वह भगवान की भक्ति में लीन हो गए. सरसौल नंदेश्वर मंदिर से जाने के बाद वह महराजपुर के सैमसी स्थित एक मंदिर में कुछ दिन रुके. फिर कानपुर के बिठूर में रहे. बिठूर के बाद काशी चले गए.
तबीयत के चलते 5 दिन तक नहीं निकले
16 अप्रैल को जब आश्रम के सेवादार ने माइक से अनाउंस किया कि महाराज जी पदयात्रा पर नहीं निकलेंगे। यह सुनकर उनके दर्शन के लिए पहुंचे कई भक्त रो पड़े थे. प्रेमानंद महाराज रात 2 बजे वृंदावन में श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी से रमणरेती स्थित आश्रम हित राधा केली कुंज के लिए निकलते हैं. 2 किमी पैदल चलकर जाते हैं। प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए रात को हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. घरवालों ने उनकी खोजबीन शुरू की. काफी मशक्कत के बाद पता चला कि वो सरसौल में नंदेश्वर मंदिर पर रुके हैं. घरवालों ने उन्हें घर लाने का हर जतन किया, लेकिन अनिरुद्ध नहीं माने. फिर कुछ दिनों बाद बची-खुची मोह माया भी छोड़कर वह सरसौल से भी चले गए. आम दिनों में यह संख्या करीब 20 हजार के करीब होती है. वीकेंड पर दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. वहीं, बड़े पर्वों पर 3 लाख से ज्यादा हो जाती है. केलि कुंज आश्रम के संत नवल नागरी दास महाराज ने बताया-प्रेमानंद महाराज को करीब 20 साल से किडनी की समस्या है. पहले हफ्ते में 3 बार डायलिसिस होती थी. लेकिन अब समस्या बढ़ गई तो हफ्ते में 4 से 5 बार डायलिसिस की जा रही है. संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं. सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं. HR1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं. 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं, जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है. इसी फ्लैट में उनका हफ्ते में 4 से 5 बार डायलिसिस की जा रही है. संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं. सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं. HR1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं. 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं, जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है.
इसी फ्लैट में उनका हफ्ते में 4 से 5 बार डायलिसिस की जा रही है. 13 साल की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज ने घर छोड़ दिया था प्रेमानंद महाराज का कानपुर के अखरी गांव में जन्म और पालन-पोषण हुआ. यहीं से निकलकर वो इस देश के करोड़ों लोगों के मन में बस गए। उनके बड़े भाई गणेश दत्त पांडे बताते हैं- मेरे पिता शंभू नारायण पांडे और मां रामा देवी हैं। हम 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं. प्रेमानंद हमेशा से प्रेमानंद महाराज नहीं थे। बचपन में मां-पिता ने बड़े प्यार से उनका नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा था.द गणेश पांडे बताते हैं- हमारे पिताजी पुरोहित का काम करते थे. मेरे घर की हर पीढ़ी में कोई न कोई बड़ा साधु-संत होकर निकलता है. पीढ़ी दर पीढ़ी अध्यात्म की ओर झुकाव होने के चलते अनिरुद्ध भी बचपन से ही आध्यात्मिक रहे. बचपन में पूरा परिवार रोजाना एक साथ बैठकर पूजा-पाठ करता था। अनिरुद्ध यह सब बड़े ध्यान से सभी देखा-सुना करता था. शिव मंदिर में चबूतरा बनाने से रोका, तो घर छोड़ दिया बचपन में अनिरुद्ध ने अपनी सखा टोली के साथ शिव मंदिर के लिए एक चबूतरा बनाना चाहा. इसका निर्माण भी शुरू करवाया, लेकिन कुछ लोगों ने रोक दिया. इससे वह मायूस हो गए. उनका मन इस कदर टूटा कि घर छोड़ दिया.
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शम्भूनाथ गुप्ता पिछले 5 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं। 'मीडिया दस्तक' और 'बस्ती चेतना' जैसे प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और वीडियो एडिटिंग टीम में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। न्यूज़ प्रोडक्शन और डिजिटल कंटेंट निर्माण में गहरा अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे 'भारतीय बस्ती' की उत्तर प्रदेश टीम में कार्यरत हैं, जहां वे राज्य से जुड़ी खबरों की गंभीर और सटीक कवरेज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।