यूपी की इस महिला ने घी-छाछ से रच दी नई मिसाल, 894 किसान बोले – हमें भी जोड़ लो बहनजी
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यूपी में खेती में नवाचार और संगठनात्मक दृष्टि कोड से अब महिलाओं को स्वावलंब का मार्ग दिखाया जा रहा है जिसमें महिलाएं आधुनिक कृषि तकनीकी और व्यवसाय सोच से स्थानीय ग्रामीण में क्रांति जैसा बदलाव लाया जा रहा है. अब महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वाभिलंब बनाने की दिशा में तथा पारंपरिक ग्रहणी जीवन से निकलकर हुए उत्पादन और बिक्री के आधुनिक क्षेत्र में अपना भविष्य निखार सकती है.
बड़े पैमाने पर मिली सहभागिता
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में खेती किसानी अब केवल पुरुषों का ही काम नहीं रहा बल्कि कारोबार की तरह अधिक मुनाफा कमाने की तैयारी की जा रही है जिसमें यह सिद्ध किया गया है कि परसपुर के बहुवन मदार माझा की उन्नतशील किसान और स्वरोजगारी साधना सिंह ने ग्रहणी से किसान बनी साधना के एफपीओ किसान उत्पादक संगठन का सालाना टर्नओवर लगभग लगभग 60 लाख रुपए से अधिक है. अब इनसे प्रेरणा लेकर क्षेत्र और गांव की अन्य महिलाएं भी घर की चारदिवारी से निकलकर पुरुषों के साथ-साथ खेती करने में मदद कर रही हैं. अब साधना सिंह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी घर का कामकाज भी संभाल रही थी.
लेकिन वह स्वरोजगार करने की कई दिनों से उनकी इच्छा थी परिवार के पुरुष किसानी खेती करते थे लेकिन परंपरागत खेती में जितनी लागत किस्तों में लगती थी उससे कम आमदनी ही होती थी. लेकिन परिजनों का दर्द ना देखा गया साधना ने खेती में नवाचार करने की रणनीति आए दिन करती रहती थी और इनका यह मास्टर प्लान सफल हो गया. अब परिजनों से अनुमति लेकर इन्होंने उत्पादक संगठन के बारे में विस्तृत जानकारी लेकर चार्टर्ड अकाउंट से कंपनी एक्ट में पंजीकरण करवा लिया. इन्होंने आगे बताया है कि एफपीओ के माध्यम से किसानों को बाजार भाव और एमएसपी से अधिक दाम मिल ही जाता है जिसमें अनाज आईसीटी, जिओमार्ट, आईसीटी पतंजलि इत्यादि को बेच दिया जाता है पशुपालक किसानों से एफपीओ के माध्यम से दूध भी खरीदते हैं.
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
जिसमें अवध एग्रीकल्चर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी नाम से एपीओ का कृषि विभाग में पंजीकरण करा कर पशुपालन प्रारंभ कर दिया वह डेयरी पर दूध न बचकर खुद मक्खन तथा घी निकालकर पैकिंग कर बेचना प्रारंभ कर दिया जिसमें अवध गोल्ड नाम से उनका मक्खन और घी, छाछ तीव्र गति से बिकने लगा जिसमें उनकी आमदनी बढ़ती देखकर 894 किस उनके एफपीओ से जुड़कर अच्छे मूल्य पर अपनी उपज को बेच रहे हैं. जिसमें साधना ने अपने घर से सोलर ड्रायर मशीन भी लगा रखी है जब टमाटर सस्ता होता है.
तो उसे बड़ी मात्रा में खरीद कर रख लेती हैं जिसे ड्रायर मशीन से सुखाकर पैकिंग कर रख लिया जाता है इस प्रकार मशरूम को भी सुखाकर पैकिंग करती हैं फिर टमाटर का सीजन खत्म होने के बाद इंदौर की बड़ी कंपनी को अच्छे भाव में सुखा टमाटर और मशरूम बेच देती हैं अब इससे ज्यादा मुनाफा होता है. आगे उन्होंने बताया है कि सुखा टमाटर से सॉस और केचप आसानी से तैयार हो जाता है इनका एफपीओ मुर्गी पालन भी करता है अब एपीओ का सालाना टर्नओवर करीब करीब 60 लख रुपए से अधिक है. साधना के एफपीओ से मौजूदा समय में 894 किस जुड़ चुके हैं जिसमें एफपीओ के अंतर्गत इन किसानों से मक्का, गेहूं, धान खरीद का नगद भुगतान भी कर लिया जाता है.