यूपी के इस जिले में उद्योगों का जाल, 11618 करोड़ रुपए हुए निवेश

यूपी के इस जिले में उद्योगों का जाल, 11618 करोड़ रुपए हुए निवेश
Gorakhpur News

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछले आठ वर्षों में औद्योगिक विकास के मामले में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कई योजनाओं और पहलियों के माध्यम से उत्तर प्रदेश को एक औद्योगिक हब बनाने की दिशा में काम किया है। यह समय रहा है जब राज्य में न केवल निवेश बढ़ा है, बल्कि रोजगार के भी नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। 

योगी सरकार के 8 साल में बिछने लगा उद्योगों का जाल

योगी सरकार के कार्यकाल में उद्योगों का जाल बिछने लगा है, जो राज्य के आर्थिक विकास को नई ऊंचाई पर ले जा रहा है। योगी सरकार की मंशा यहां बड़े उद्योगों का संजाल बिछाने के साथ इसे इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर के रूप में विकसित कर करने की है। यह इंडस्ट्रियल कॉरिडोर गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से तो जुड़ा ही है, आने वाले समय में रेल कनेक्टिविटी से भी जुड़ जाएगा। उल्लेखनीय है कि धुरियापार में बनने के बाद से ही बंद पड़ी चीनी मिल के कुछ हिस्से में इंडियन ऑयल की तरफ से कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट लगाया जा चुका है। जिस जिले से उद्यमियों ने मुंह फेर लिया था, वहां 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से औद्योगिक प्रगति का ऐसा माहौल बनना शुरू हुआ कि देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां, यहां तक कि मल्टीनेशनल भी इंडस्ट्री लगा रही हैं। आठ पहले तक औद्योगिक पहचान के संकट से जूझ रहे गोरखपुर ने अब पूर्वांचल के इंडस्ट्रियल हब बनने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। इंडस्ट्री लगाने के लिए उद्यमियों की तरफ से बढ़ रही मांग के मद्देनजर गीडा (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण) द्वारा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ 800 एकड़ में औद्योगिक गलियारा (इंडस्ट्रियल कॉरिडोर) विकसित किया जा रहा है। आने वाले समय मे गोरखपुर की औद्योगिक प्रगति को और रफ्तार मिलनी तय है। यहां गीडा में 25 एकड़ में गारमेंट पार्क, 88 एकड़ में प्लास्टिक पार्क विकसित हो रहा है तो 34 करोड रुपये की लागत से फ्लैटेड फैक्ट्री भी लगभग बन चुकी है। गीडा की तरफ से प्लास्टिक पार्क प्रोजेक्ट गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे सेक्टर-28 में 88 एकड़ में विकसित किया गया है। गोरखपुर में विकास व निवेश की संभावनाएं हमेशा रही हैं। कारण, यह समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार और नेपाल की तराई तक की आबादी के शिक्षा, चिकित्सा, कारोबार और शहरी आवासन के लिए केंद्रीय भूमिका में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस भूमिका से पहले से वाकिफ हैं। औद्योगिक विकास और गोरखपुर के बीच दशकों तक विरोधाभासी रिश्ता बना रहा लेकिन आठ साल पहले योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद माहौल ऐसा बदला कि अब दोनों एक दूसरे के पूरक रूप में देखे जा रहे हैं। जिस गोरखपुर में स्थानीय पूंजीपति भी औद्योगिक निवेश करने से घबराते थे, अब वहां देश की नामी कम्पनियों के आने की होड़ सी दिखती है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि 2017 के पहले तक लचर कानून व्यवस्था, सुविधाओं के घोर अभाव और सरकारों के उदासीन रवैये से गीडा में निवेश, दूर की कौड़ी लगती थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने उद्यमियों और उनकी पूंजी की सुरक्षा की गारंटी देने का अनवरत ऐलान किया, इंडस्ट्री फ्रेंडली नीतियां बनाईं तो गीडा भी निवेश के लिए लिए बेहतरीन गंतव्य बन गया है। पहले जहां सालों कोई मुख्यमंत्री गीडा झांकने तक नहीं आता था, वहीं बतौर मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ हर साल छह-सात बार गीडा आकर उद्यमियों को प्रोत्साहित करते हैं।

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योगी सरकार का औद्योगिक क्रांति की दिशा में कदम

बदलाव के इन आठ सालों (2017 से 2025 तक) में गोरखपुर को 319 औद्योगिक इकाइयों के सापेक्ष 11618.75 करोड़ रुपये का औद्योगिक निवेश प्राप्त हुआ, जिससे 39448 लोगों के रोजगार का मार्ग प्रशस्त हुआ। जबकि योगी सरकार के पहले 2012 से 2017 तक औद्योगिक निवेश दो यूनिट्स के सापेक्ष महज 29.33 करोड़ रुपये और इसके जरिये रोजगार की संख्या मात्र 307 थी। योगी सरकार के आठ साल में माहौल बदलने का असर क्या है, इसका एक बड़ा सटीक जवाव आपको आज के गोरखपुर को देखकर मिल जाएगा। लंबे दौर तक पहचान को जूझता रहा यह जिला अब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, रोड, रेल और एयर कनेक्टिविटी के मामले में मजबूत होकर औद्योगिक नक्शे पर भी चमक गया है। गोरखपुर को औद्योगिक विकास के नक्शे पर स्थापित करने के लिए नोएडा की तर्ज पर गीडा (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण) की स्थापना यूं तो साढ़े तीन दशक पहले ही कर दी गई थी लेकिन नोएडा से प्रतिस्पर्धा का दौर बीते आठ सालों में शुरू हुआ है। योगी सरकार के आठ साल के कार्यकाल में गोरखपुर के विशिष्ट औद्योगिक क्षेत्र गीडा में मल्टीनेशनल समेत कई ऐसी बड़ी यूनिट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ जो पहले सिर्फ कल्पनाओं की बात होती थीं। इस प्लांट के बाद धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के मूर्त रूप में आने के बाद इस क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में लगने वाले उद्योगों से करीब 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार सुलभ होगा। कुछ बड़े औद्योगिक घरानों की तरफ से सीमेंट फैक्ट्री लगाने के लिए धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में जमीन की मांग की है। इसके अलावा कई अन्य औद्योगिक समूह भी यहां निवेश में रुचि दिखा रहे हैं। धुरियापार क्षेत्र में जहां इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बसाया जा रहा है, वहां की जमीन ऊसर थी। इस पर तिनका भी मुश्किल से उगता था। अब  वहां योगी सरकार उद्योगों की फसल लगवाएगी। धुरियापार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए 17 गांवों की अनुपजाऊ जमीनों के अधिग्रहण का कार्य जारी है। लिहाजा उन्होंने यहां इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और हर तरह की कनेक्टिविटी के साथ शिक्षा, चिकित्सा, शहरीकरण के क्षेत्र में कई प्रोजेक्ट को ऊंचाई दी। निवेश का इको सिस्टम बनाने में इन तथ्यों ने, खासकर रोड, रेल और एयर कनेक्टिविटी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां प्लास्टिक उद्योग की 92 इकाइयों के लिये स्थान एवं समस्त आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध होगी। इसमें लगभग 5000 व्यक्तियों को रोजगार मिल सकेगा। इस कॉरिडोर में उद्योग भी लगने लगे हैं। इसके साथ ही धुरियापार में भी 5500 एकड़ में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बसाया जा रहा है।

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