यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार कराएगी सर्वे, घरौनी को लेकर भी जल्द मिलेगी यह सुविधा

यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार कराएगी सर्वे, घरौनी को लेकर भी जल्द मिलेगी यह सुविधा
यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार कराएगी सर्वे, घरौनी को लेकर भी जल्द मिलेगी यह सुविधा

भारत में आवासीय संपत्तियों और संपत्ति के मामलों में घरौनी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है. बहुत से लोग अपने घर या संपत्ति को लोन के लिए गिरवी रखते हैं. ताकि वे जरूरत के समय वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकें. हालांकि समय के साथ संपत्ति की कीमतों में बदलाव, आर्थिक स्थितियों में उतार.चढ़ाव, और अन्य कारणों से कई बार घरौनी की शर्तों को संशोधित करने की आवश्यकता महसूस होती है। ऐसे में सरकार और वित्तीय संस्थाएं घरौनी में संशोधन की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नए उपायों पर विचार कर रही हैं.

योगी सरकार लाएगी नया अधिनियम

घरौनी में संशोधन करने का मुख्य उद्देश्य लोनधारक को बेहतर वित्तीय स्थिति और कर्ज चुकाने में सुविधा प्रदान करना है. जब किसी व्यक्ति की आय में बदलाव आता है, या संपत्ति की मूल्य में वृद्धि होती है. तो घरौनी की शर्तों में संशोधन से लोनधारक को कम ब्याज दरों या बेहतर भुगतान शर्तों का लाभ मिल सकता है. उत्तर प्रदेश में लोगों को घरौनी में संशोधन कराने की सुविधा जल्द मिलेगी। योगी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी के सर्वे और मालिकाना हक के लिए विधेयक लाने जा रही है. प्रस्तावित प्रारूप के अनुसार, घरौनी का प्रमाणपत्र मिलने के छह माह के भीतर संबंधित पक्ष उस पर आपत्ति कर सकेगा. इसकी सुनवाई सहायक रिकॉर्ड ऑफिसर (एआरओ) करेंगे. यहां से असहमत पक्ष जिला रिकॉर्ड ऑफिसर (आरओ) यानी डीएम के यहां अपील कर सकेंगे। फिर भी मामला नहीं सुलझा तो सिविल कोर्ट का विकल्प उपलब्ध होगा। शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, विधेयक के प्रारूप का विधायी विभाग परीक्षण कर रहा है. इसे विधानमंडल के मानसून सत्र में प्रस्तुत किए जाने की योजना है. ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी वाले हिस्सों पर मालिकाना हक पहले राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं था. इससे विवाद की स्थिति में दिक्कतें होती थीं. घर बनाने के लिए बैंकों से लोन भी नहीं मिल पाता था. इससे निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने 8 अक्तूबर 2020 को ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी का सर्वे और घरौनी प्रबंध नियमावली की अधिसूचना जारी की. लेकिन यह नियमावली अभी तक किसी अधिनियम के अधीन नहीं है. 

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जल्द मिलेगी घरौनी में संशोधन की सुविधा

सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में एक नई पहल की घोषणा की है. जिसके तहत घरौनी के मामले में संशोधन की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाए जाएंगे. इस योजना के तहत लोनधारकों को निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं. मौके पर बने आवासों व खाली भूमि का स्वामित्व, सड़क, गलियों, पोल, ट्रांसफॉर्मर, हैंडपंप, पाइप लाइन, बिजली की लाइन, सीवर लाइन, रेलवे लाइन, कम्युनिटी एरिया, मंदिर व अन्य पवित्र स्थानों का ब्योरा सर्वे में रखा जाएगा. अभी एक बार घरौनी में ऑनलाइन नाम दर्ज होने के बाद संशोधन की व्यवस्था नहीं है. लेकिन, अधिनियम में यह प्रबंध है कि घरौनी प्रमाणपत्र मिलने के छह माह के भीतर एआरओ के यहां आपत्ति की जा सकती है इसलिए प्रदेश सरकार ने शीघ्र ही ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक 2025 विधानमंडल के दोनों सदनों में लाने का निर्णय लिया है। इसमें ग्रामीण आबादी का सर्वे और स्वामित्व के प्रमाणपत्र की प्रक्रिया एआरओ यानी उप जिलाधिकारी की निगरानी में पूरी होगी। सर्वे टीम और राजस्व निरीक्षक के काम की सीधी निगरानी संबंधित तहसीलदार व नायब तहसीलदार करेंगे. सरकार और वित्तीय संस्थाओं ने एक साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने की योजना बनाई है कि घरौनी में संशोधन से लोनधारकों को सही तरीके से लाभ मिले. सरकार द्वारा जारी दिशा.निर्देशों के तहत बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और लोनधारकों के साथ निष्पक्ष व्यवहार किया जाए.

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शम्भूनाथ गुप्ता पिछले 5 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं। 'मीडिया दस्तक' और 'बस्ती चेतना' जैसे प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और वीडियो एडिटिंग टीम में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। न्यूज़ प्रोडक्शन और डिजिटल कंटेंट निर्माण में गहरा अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे 'भारतीय बस्ती' की उत्तर प्रदेश टीम में कार्यरत हैं, जहां वे राज्य से जुड़ी खबरों की गंभीर और सटीक कवरेज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।