उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग का भरा खजाना, शराब बिक्री में हुई बंपर वृद्धि
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प्रदेश में शराब व्यापार को लेकर पिछले कुछ 6 सालों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है इस वृद्धि से राज्य सरकार की नई आबकारी नीति और ऑनलाइन लॉटरी प्रणाली प्रभावी परिणाम मिल चुका है.
शराब बेचने से राजस्व का भरा खजाना
उत्तर प्रदेश में आबकारी नीति के तहत आमूलचूल परिवर्तन राजस्व में काफी फायदा मिल चुका है उत्तर प्रदेश में शराब के बिक्री साल 2024 और 25 में का आंकड़ा सामने आ चुका है जिसमें 51000 करोड रुपए तक राजस्व विभाग ने इतिहास रचा है. अब राज्य के आबकारी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते वर्ष 2018 और 19 महामारी से पहले के 23927 करोड रुपए की राशि के आंकड़े से दुगने से भी अधिक दिखाई दिया.
नीति में हुआ महत्वपूर्ण बदलाव
मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है कि नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव समग्र रूप से शराब की दुकानों की शुरुआत हुई थी इस दौरान खुदरा विक्रेता को एक लाइसेंस के अंतर्गत बीयर और भारतीय निर्मित विदेशी शराब इन दोनों को बेचने की अनुमति मिल चुकी है यह मॉडल जो पहले से ही मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में पूर्ण रूप से सफल रहा इसी बीच स्टैंड अलोन बियर और आईएमएफएल दुकानों की जगह प्राप्त कर ली. आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह ने बताया है कि अब इस कदम के द्वारा ग्राहक आधार का विस्तार किया गया है
ग्रेटर नोएडा जैसे उच्च मांग वाले इलाकों में कुछ सामग्र दुकानों में 265 आवेदकों को आकर्षित किया गया है. वही बिहार राज्य में 2016 से शराबबंदी लागू होने के बाद से यूपी में सीमावर्ती जिलों में जैसे की बलिया, कुशीनगर, देवरिया मांग के अनुसार तेजी से वृद्धि देखी जा रही है. अब इन क्षेत्रों में खुदरा विक्रेताओं ने बताया है कि बिक्री तीन गुना अब बढ़ चुकी है क्योंकि आप बिहार के कई ग्राहक शराब खरीदने के लिए राज्य की सीमा पार करते नजर आ रहे हैं.