गोरखपुर, लखनऊ रूट पे रेल्वे करेगा खास काम, ट्रेन के आमने सामने आने पर नही होगी टक्कर
Gorakhpur-Lucknow
-(1).png)
अधिकारियों के अनुसार, पूर्वोत्तर रेलवे के लगभग 3,295 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का कार्य संपन्न हो चुका है। अब केवल 155 किलोमीटर का कार्य बचा हुआ है। इसके साथ-साथ, लॉन्ग टर्म इवॉल्यूशन सिस्टम भी शीघ्र ही लागू किया जाएगा। इसके लिए एस्टीमेट तैयार करके बोर्ड को भेजा जाएगा। इस नए सिस्टम से सूचनाओं को प्राप्त करना और संचार करना अब और भी आसान होगा।
जब यह पूरा होगा, तब टॉवर और ट्रैक पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) का काम आरंभ होगा। इन तीनों कामों के पुण हो जाने के पश्चात, एनईआर का छपरा-गोरखपुर-बाराबंकी रूट कवच बहुत ही सुरक्षित हो जाएगा। इस तकनीक का यह कहना है कि यह इतनी प्रेसाइसन है कि अगर दो ट्रेनें भी पूरी गति से आमने-सामने आ जाएं, तो भी कोई हादसा नहीं होगा।

कवच एक नवाचारी प्रणाली है, जिसमें दो ट्रेनें आमने-सामने आने पर वे स्वयं ही निश्चित दूरी पर रुक जाएंगी। इस प्रणाली में कवच लोको पायलट के सभी क्रियाकलापों की निगरानी करती है, जैसे ब्रेक, हॉर्न, थ्रोटल हैंडल आदि। यदि ड्राइवर में कोई गड़बड़ी होती है, तो कवच पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से चेतावनी देगा। जब लाल सिग्नल पार होते हैं, तो ट्रेन अपने आप ब्रेक लगा देगी। साथ ही, पांच किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेनें सुरक्षित रूप से चलेंगी।
ताजा खबरें
About The Author

वागार्थ सांकृत्यायन
संपादक, भारतीय बस्ती
वागार्थ सांकृत्यायन एक प्रतिबद्ध और जमीनी सरोकारों से जुड़े पत्रकार हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। भारतीय बस्ती के संपादक के रूप में वे खबरों को सिर्फ़ घटनाओं की सूचना तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उनके सामाजिक और मानवीय पक्ष को भी उजागर करते हैं।
उन्होंने भारतीय बस्ती को एक मिशन के रूप में विकसित किया है—जिसका उद्देश्य है गांव, कस्बे और छोटे शहरों की अनसुनी आवाज़ों को मुख्यधारा की मीडिया तक पहुंचाना। उत्तर प्रदेश की राजनीति, समाज और संस्कृति पर उनकी विशेष पकड़ है, जो खबरों को गहराई और विश्वसनीयता प्रदान करती है