यूपी के मदरसे में बच्चों से पूछा सवाल जवाब नहीं मिलने पर नोटिस जारी
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उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. जिसमें मदरसे के 10वीं कक्षा के छात्र अंग्रेजी में अपना नाम भी नहीं लिख पाए. यह घटना शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को उजागर करती है. जहां बुनियादी शिक्षा के स्तर पर भी भारी कमी देखी जा रही है.
मदरसे में शिक्षा की स्थिति
एक मदरसे में आयोजित एक परीक्षा के दौरान छात्रों से अंग्रेजी में अपने नाम लिखने को कहा गया. हैरानी की बात यह है कि अधिकांश छात्र यह कार्य भी नहीं कर पाए. इस घटना के बाद मदरसा प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया. जिसमें छात्रों की शैक्षिक स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई और सुधारात्मक कदम उठाने की बात की गई. उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला मुख्यालय के एक मदरसे में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के निरीक्षण में 10वीं क्लास के एक भी छात्र के अंग्रेजी में अपना नाम नहीं लिख पाने के बाद विभाग ने संचालक को चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किया.
एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. यह घटना न केवल इस मदरसे की. बल्कि समग्र शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को दर्शाती है. मदरसे जो पारंपरिक इस्लामी शिक्षा प्रदान करते हैं. में आधुनिक विषयों जैसे गणित. विज्ञान और अंग्रेजी की पढ़ाई की व्यवस्था अक्सर सीमित होती है. इसका परिणाम यह होता है कि छात्र बुनियादी शिक्षा में भी पिछड़ जाते हैं. संजय मिश्र ने कहा, ‘‘बच्चों पर ध्यान न देकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.’’ स्थिति में सुधार लाने की चेतावनी देते हुए यह कहा गया कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. मदरसे के संचालक व एब्सेंट टीचर को नोटिस दिया गया है. बहराइच जिले में कुल 301 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, इनके अलावा बीते दिनों कराए गये एक सर्वेक्षण में 495 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पता लगया गया है.
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शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को उजागर
सरकार और शैक्षिक संस्थानों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. मदरसे में आधुनिक विषयों की पढ़ाई की व्यवस्था को मजबूत करना शिक्षकों की प्रशिक्षण प्रक्रिया में सुधार करना और छात्रों के लिए उपयुक्त अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना आवश्यक है. इसके अलावा मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने के प्रयास भी किए जाने चाहिए. अधिकारी ने यह बताया कि मदरसे में अरबी, फारसी के अलावा और विषयों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया जाता है जिसके कारण बच्चों की स्थिति इतनी चिंताजनक है. बच्चो की पढ़ाई के साथ लापरवाही नहीं बर्दाश्त की जाएगी.
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्र ने मीडिया को यह बताया कि रविवार को बड़ी तकिया में मान्यता प्राप्त मदरसा जामिया गाजिया सैयदुलुलुम का औचक निरीक्षण किया गया और इस दौरान एक टीचर एब्सेंट मिला, लेकिन रजिस्टर में उसकी गैरहाजिरी दर्ज नहीं थी. उन्होंने यह बताया कि मुंशी, मौलवी और आलिम की क्लास में भी बच्चों की संख्या पंजीकरण के सापेक्ष बहुत ही कम थी. संजय मिश्र ने यह दावा किया कि निरीक्षण के दौरान दसवीं क्लास के छात्रों से अंग्रेजी में अपना नाम और मदरसे का नाम लिखने को कहा गया, लेकिन एक भी छात्र अपना नाम सही नहीं लिख पाया. इस मदरसे की घटना यह स्पष्ट करती है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है. यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए. तो आने वाली पीढ़ी को बुनियादी शिक्षा में भी पिछड़ने का खतरा रहेगा. इसलिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है.