कांग्रेस का मिशन 2027: बूथ से सत्ता तक की तैयारी शुरू, 100 दिवसीय अभियान से फूंका बिगुल

इस कार्यशाला में पहली बार लंबे समय बाद राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला स्तरीय कांग्रेस नेता एक मंच पर दिखाई दिए। मंच पर सिर्फ उन्हीं नेताओं को बोलने का अवसर मिला जिन्हें औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया था। कार्यशाला की शुरुआत महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीरों के साथ हुई। 'वंदे मातरम' के साथ 'जय भीम' के नारे लगाए गए और पाकिस्तान संघर्ष में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन भी रखा गया।
कार्यशाला में वक्ताओं ने 2027 में सत्ता में वापसी का संकल्प दोहराया और संगठन को पांच स्तरीय ढांचे में विस्तार देने की बात कही। यह पांच स्तर होंगे – जिला, ब्लॉक, मंडल, न्याय पंचायत और बूथ। हर स्तर पर कमेटियों का गठन किया जाएगा और फ्रंटल संगठनों, विभागों और प्रकोष्ठों को भी पुनर्गठित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त बीएलए-1 और बीएलए-2 की नियुक्ति कर उन्हें मतदाता सूची से संबंधित कार्य सौंपा जाएगा।
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प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने बताया कि इन सभी कार्यों को आगामी 100 दिनों में पूरा किया जाना है। साथ ही जिलों में कानूनी सलाह शिविर भी आयोजित होंगे और हर 15 दिनों पर समीक्षा बैठकें की जाएंगी।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी देशहित में जिस साहसिक लड़ाई को लड़ रहे हैं, उससे घबराकर भाजपा उनके खिलाफ साजिशें कर रही है। कांग्रेस इन साजिशों का डटकर मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2022 में प्रियंका गांधी द्वारा शुरू किए गए संगठन निर्माण अभियान का असर 2024 के लोकसभा चुनाव में साफ दिखा। अब पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए पहले से मैदान में उतर रही है।
कांग्रेस की इस कार्यशाला में सामाजिक न्याय, दलित-पिछड़ा वर्ग और क्षेत्रीय संतुलन जैसे अहम मुद्दों को प्रमुखता दी गई। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पिछड़ा वर्ग विभाग के चेयरमैन डॉ. अनिल जयहिंद ने तेलंगाना मॉडल को सबसे प्रभावशाली विकास मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय को लागू करने के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है।
मंच पर मौजूद वरिष्ठ नेताओं में आराधना मिश्रा मोना, पवन खेड़ा, शशिकांत सेंथिल, सुप्रिया श्रीनेत, अलका लांबा, इमरान प्रतापगढ़ी, वरुण चौधरी, धीरज गुर्जर, राजेश तिवारी, सत्यनारायण पटेल, नीलांशु चतुर्वेदी, तौकीर आलम, प्रदीप नरवाल, वीरेंद्र चौधरी, अनिल यादव और मनोज यादव सहित कई नेताओं ने विचार रखे।
इस पूरी कार्यशाला के दौरान कांग्रेस एक नई ऊर्जा और नए संकल्प के साथ मैदान में उतरती नजर आई। दलित और पिछड़े वर्गों को जोड़ने की रणनीति, संगठनात्मक पुनर्गठन और बूथ स्तर पर जमीनी मजबूती की तैयारी इस बात का संकेत है कि कांग्रेस 2027 के लिए अब सिर्फ तैयारी नहीं कर रही, बल्कि जमीनी लड़ाई का आगाज भी कर चुकी है।