UP में जमीन का पूरा हिसाब! चकबंदी के लिए नए GPS नक्शे तैयार, इंच-इंच जमीन होगी साफ़
नई तकनीक, नया भरोसा
चकबंदी विभाग ने पहली बार यह योजना बनाई है कि हर खेत, हर गाटा और हर हिस्से की सीमाएँ जीपीएस आधारित तकनीक से ऑनलाइन तैयार होंगी. यानी अब कागज़ी नकल पर नहीं, बल्कि उपग्रह की सटीक नज़र पर भरोसा किया जाएगा.
जिन नक्शों पर दशकों से काम चल रहा था, वे इतने पुराने और खराब हो चुके हैं कि कई जगह असली सीमा का अंदाज़ भी नहीं लगता. इसलिए पूरा भू-मानचित्र फिर से डिजिटल रूप में तैयार किया जाएगा, ताकि आगे कोई विवाद बचे ही नहीं.
कब्जे अब साफ़ दिखेंगे
नई प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि रिकॉर्ड और ज़मीनी हक़ीक़त दोनों की तुलना स्पष्ट रूप से की जाएगी. यदि किसी किसान के नाम पर कागज़ में 2 एकड़ दर्ज है और मौके पर वह 2.5 एकड़ जोत रहा है, तो लेखपाल इस अंतर को नए डिजिटल नक्शे में साफ़-साफ़ दर्ज करेगा. यह काम जीपीएस रोवर नाम के विशेष उपकरण से किया जाएगा, जो सेंटीमीटर स्तर तक सटीक नाप करता है.
रोवर क्या करता है?
रोवर एक ऐसा उपकरण है जो उपग्रह से संकेत लेकर यह बताता है कि जमीन के किस बिंदु की स्थिति ठीक कहाँ है. इसे आम तौर पर सर्वे, नक्शानवीसी और निर्माण कार्य में बेहद सटीक माप के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यही मशीन अब खेतों की हदबंदी तय करेगी, जिससे गलतफहमी और विवाद की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी.
महंगी मशीनों से बड़ा काम
सूत्रों के अनुसार, राजस्व परिषद की मंजूरी के बाद 20 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले कई रोवर खरीद लिए गए हैं. पहले चरण में इन्हीं से चकबंदी विभाग काम शुरू करेगा. आगे इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए और भी रोवर की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि यह काम काफी बड़ा और विस्तृत है.
ग्राम समाज की जमीन भी होगी सुरक्षित
नए नक्शों में यह भी तय किया जाएगा कि ग्राम समाज की जमीनें कहाँ-कहाँ बिखरी पड़ी हैं. कोशिश रहेगी कि ऐसी जमीनों को एक ही स्थान पर “चक” के रूप में समेकित किया जाए, जिससे उसे सार्वजनिक कामों के लिए और बेहतर तरीके से उपयोग में लाया जा सके जैसे स्कूल, खेल मैदान, तालाब या सामुदायिक भवन.
क्या होगा परिवर्तन?
इस पूरी प्रक्रिया में हर गांव की जमीन का ऐसा डिजिटल रिकॉर्ड तैयार हो जाएगा जो इंच-इंच जमीन की साफ तस्वीर देगी. किसके पास कितनी जमीन है, कहाँ कब्जा अधिक है, किस गाटा की वास्तविक सीमा क्या है, सब कुछ ऑनलाइन और पारदर्शी रूप में दर्ज होगा.
आने वाले समय में विवाद कम होंगे, सरकारी योजनाएँ जमीन पर बेहतर तरह उतरेगीं, और किसानों को भी अपनी जमीन का स्पष्ट, भरोसेमंद और सटीक रिकॉर्ड मिलेगा, यही इस परिवर्तन का सबसे बड़ा लाभ होने वाला है.
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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।