यूपी में लेखपाल-कानूनगो तबादलों पर फिर ब्रेक, नियमों की कमी बनी बड़ी वजह

यूपी में लेखपाल-कानूनगो तबादलों पर फिर रोक

यूपी में लेखपाल-कानूनगो तबादलों पर फिर ब्रेक, नियमों की कमी बनी बड़ी वजह
Uttar pradesh news

उत्तर प्रदेश में लेखपाल और कानूनगो के अंतरमंडलीय तबादलों पर फिर से असमंजस की स्थिति बन गई है। सूत्रों की मानें तो इस बार भी लेखपालों के जिले बदलने की उम्मीदें धरी की धरी रह जाएंगी। वजह साफ है, नियमावली में अंतरमंडलीय तबादलों को लेकर कोई ठोस प्रावधान ही नहीं है। कानूनगो के तबादले को लेकर भी तस्वीर अभी धुंधली है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि उनके तबादलों पर भी फिलहाल ग्रहण लगा रहेगा।

उत्तर प्रदेश लेखपाल सेवा नियमावली के अनुसार


 लेखपालों का कैडर पूरी तरह जिला स्तर का है और उनकी नियुक्ति की जिम्मेदारी सीधे जिलाधिकारी के पास होती है। साल 2018 में राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर लेखपालों के अंतरमंडलीय तबादलों का रास्ता खोला था। इसके तहत ऑनलाइन आवेदन लेकर कुछ तबादले भी हुए, लेकिन यह सिलसिला महज दो साल चला।

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लेखपाल तबादलों पर फिर ब्रेक

इसके बाद कोरोना महामारी ने न सिर्फ तबादलों पर ब्रेक लगाया बल्कि पूरी प्रक्रिया ठप कर दी। अब जब नई तबादला नीति लागू हुई है, तो लेखपालों से फिर से ऑनलाइन आवेदन जरूर लिए गए, लेकिन नियमों की कमी के कारण इस बार भी उनके जिले बदलने की संभावना कम ही नजर आ रही है।

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राजस्व परिषद द्वारा लिए गए ऑनलाइन आवेदनों के मुताबिक, इस बार लेखपालों ने करीब 3500 और कानूनगो ने लगभग 400 तबादले के लिए आवेदन किए हैं। राजस्व परिषद ने इन सभी ऑनलाइन आवेदनों के आधार पर शासन को तबादले का प्रस्ताव भेजा था।

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तबादलों को लेकर कोई प्रावधान नहीं है       

सूत्रों के अनुसार, लेखपालों के तबादले से पहले नियमावली को ध्यान से देखा गया। जब उसमें जांच की गई तो पता चला कि लेखपाल जिला स्तरीय कैडर में आते हैं और उनकी नियुक्ति का अधिकार जिलाधिकारी के पास होता है। ऐसे में नियमों में अंतरमंडलीय तबादलों को लेकर कोई प्रावधान ही नहीं है। इसी वजह से पूरा मामला अटक गया।

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लेखपाल पर अटके कानूनगो तबादले, नियमावली बनी रोड़ा

कानूनगो के तबादलों को लेकर भी कोई फैसला नहीं हो पाया है। इसकी एक वजह यह भी बताई जा रही है कि जब तक लेखपालों के तबादले पर स्थिति साफ नहीं होती, तब तक कानूनगो के तबादलों पर भी विचार नहीं किया जाएगा। प्रमुख सचिव राजस्व पी. गुरुप्रसाद ने भी कहा है कि लेखपालों के तबादले में सबसे बड़ी रुकावट उनकी नियमावली ही है, जिसकी वजह से तबादला प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।

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