यूपी में अवैध प्लॉटिंग कर बेच रहे थे जमीन, विकास प्राधिकरण ने तोड़ी 6 अवैध साइटें

यूपी में अवैध प्लॉटिंग कर बेच रहे थे जमीन, विकास प्राधिकरण ने तोड़ी 6 अवैध साइटें
Uttar Pradesh News

यूपी के कई जिलों में अवैध पर प्लाटिंग का मामला ब्रेक होने का नाम ही नहीं ले रहा जिसमें कड़ी सख्ती के बावजूद भी कई बिल्डरों के हौसले और भी बुलंद हो चुके हैं. अब लगातार अवैध कालोनियां विकसित की जा रही है बिना नक्शा पास कारण तथा कृषि भूमि पर कालोनिया काटी जा रही है जिससे शायरी योजनाओं का उल्लंघन माना जा रहा है और मूलभूत सुविधाओं की कमी दिखाई पड़ रही है. 

लगातार कार्रवाई लेकिन उनके परिणाम फीके क्यों

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अवैध प्लाटिंग का मामला सनसनी फैला दिया है जिसमें कड़ी निगरानी के बाद भी बिल्डर के मन बढ़ चुके हैं मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है कि मानक विपरीत प्लाटिंग पर बुलडोजर कार्रवाई की गई है जिसमें काकोरी और बीकेटी में बुलडोजर फैसला जारी है. जिसमें छह अवैध प्लाटिंग को तत्काल ध्वस्त करवा दिया गया है. इस मामले में बिना लेआउट स्वीकृति प्लाटिंग की जा रही थी अवैध जमीन बेचने की फिराक में बिल्डर्स ने इन गलत तरीकों को आजमाया है लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अभियान चलाकर कड़ी कार्रवाई कर रही है. बिल्डर बिना किसी नक्शा स्वीकृत के बड़ी प्लाटिंग कर गांव की पारीधि तक फैल चुके हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण के कार्यवाही के बावजूद भी बिल्डर्स नए सिरे से निर्माण अभी भी इनका जारी है 
सरकारी कर्मचारियों और बिल्डरों के बीच कागजों में आपसी मिलीभगत स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है 

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निगरानी और अभियान की हालिया पहल

जिसमें अधिकारियों पर कार्रवाई करके निलंबन की जा रही है शहर के समूह इलाकों में आंतरिक अतिक्रमण के कारण संरचनात्मक सुरक्षा और निवासियों की चिंता को व्यापक कर दिया है लेकिन राज्य सरकार आज कई महीनो से अभियान की घोषणा भी किया था लेकिन इन पर कोई भी किसी भी प्रकार का अमल नहीं किया गया मामलों पर कार्रवाई नहीं हुई सारा कार्य लंबित रहा. लेकिन आगे बताया गया है कि लखनऊ में अवैध प्लाटिंग को रोकने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण की करवाई तात्कालिक असर धीरे-धीरे ला रही है जिसमें बिल्डर और अतिक्रमणकारियों अब नए तरीके से दोबारा सक्रिय और नियम का पालन करते हुए दिखाई दे रहे हैं अब यह दर्शाता है की समस्या केवल प्रशासनिक कार्रवाई से नहीं अपितु  सिस्टम और मानसिकता स्तरीय सुधार की मांग करती महसूस की गई है.

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