यूपी में किस तरह होती है कुंभ में स्नान करने वालो की गिनती ?
आस्था, संस्कृति और एकता का संगम महाकुंभ मेला 2025 13 जनवरी से शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि ये 144 साल बाद वाला महाकुंभ है। जिस वजह से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं। मान्यताओं अनुसार महाकुंभ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भीड़ की गिनती, ऐतिहासिक झलक
मकर संक्रांति से एक दिन पहले पौष पूर्णिमा पर भी करीब डेढ़ करोड़ लोगों ने स्नान किया था. यानी सिर्फ दो दिनों में पांच करोड़ से ज्यादा लोगों के स्नान का दावा प्रशासन की ओर से किया जा रहा है. प्रयागराज में कुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा और इस दौरान तीन प्रमुख शाही स्नान होंगे. अगला शाही स्नान (अमृत स्नान) 29 जनवरी को अमावस्या को होगा और फिर 3 फरवरी को बसंत पंचमी के मौके पर होगा. इसके अलावा माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दिन भी कुंभ स्नान किया जाएगा। 4 जनवरी को प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का पहला शाही स्नान (अमृत स्नान) था और प्रशासन का दावा है कि इस दिन 3.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद अपने एक्स हैंडल पर ये जानकारी दी. देर शाम उन्होंने एक्स पर लिखा, ष्प्रथम अमृत स्नान पर्व पर आज 3.50 करोड़ से अधिक पूज्य संतों/ श्रद्धालुओं ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया। सबसे ज्यादा भीड़ अमावस्या पर होती है और अनुमान है कि उस दिन स्नान करने वालों का आंकड़ा दस करोड़ के आस-पास होगा. माना जा रहा है कि इस बार के महाकुंभ में करीब 45 करोड़ श्रद्धालु स्नान करेंगे। 2013 से पहले श्रद्धालुओं की गिनती के लिए मेला के डीएम और एसएसपी की रिपोर्ट को ही सच माना जाता था और उनकी रिपोर्ट इसी आधार पर तैयार होती थी कि कितनी बसें आईं, कितनी ट्रेनें आईं और उनसे कितने लोग उतरे. निजी वाहनों पर भी नजर रखी जाती थी. इसके अलावा अखाड़ों से भी उनके यहां आने वाले श्रद्धालुओं की जानकारी ली जाती थी। साल 2013 के कुंभ में पहली बार सांख्यिकीय विधि से भीड़ का अनुमान लगाया गया था. इस विधि के अनुसार, एक व्यक्ति को स्नान करने के लिए करीब 0.25 मीटर की जगह चाहिए और उसे नहाने में करीब 15 मिनट का समय लगेगा. इस गणना के मुताबिक एक घंटे में एक घाट पर अधिकतम साढ़े बारह हजार लोग स्नान कर सकते हैं।AI और CCTV की मदद से गिनती
जानकारों के मुताबिक, कुंभ में आने वाले यात्रियों की गणना का काम 19वीं सदी से ही शुरू हुआ था और अलग-अलग समय पर श्रद्धालुओं की गिनती के विभिन्न तरीके अपनाए गए. साल 1882 के कुंभ में अंग्रेजों ने संगम आने वाले सभी प्रमुख रास्तों पर बैरियर लगाकर गिनती की थी. इसके अलावा रेलवे टिकट की बिक्री के आंकड़ों को भी आधार बनाकर कुल स्नान करने वालों की संख्या का आकलन किया गया था और उस वक्त करीब दस लाख लोग मेले में पहुंचे थे। पूरे प्रयागराज जिले की आबादी चालीस-पचास लाख है, और ये सारे लोग यदि संगम की तरफ चल पड़ें तो वहां जगह ही नहीं बचेगी. हर घंटे में एक लाख लोग ट्रेनों से बाहर भेजे जा रहे हैं तो 24 घंटे में 24 लाख लोग ही तो जाएंगे. अन्य साधनों से आने वालों को भी इतना मान लीजिए और प्रयागराज के स्थानीय लोगों को भी जोड़ लीजिए. यानी बहुत ज्यादा हुआ तो एक करोड़. इससे ज्यादा संख्या तो कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लगती. कुल मिलाकर यह सब भारी-भरकम बजट को जस्टीफाइ करने की कोशिश है। प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से ही तय कर दिया जाता है कि संख्या कितनी बता दी जाए और यही किया जा रहा है. वो कहते हैं, जितनी संख्या प्रशासन बताता है, मीडिया वही छाप देता है. लेकिन पहले ऐसा नहीं था. पहले अखबार और मीडिया हाउस अपनी तरफ से, अपने रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों से जानकारी लेते थे और फिर अपने आधार पर भी आंकड़ों का अनुमान लगाते थे। श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई लैस कैमरे हर मिनट में डेटा अपडेट करते हैं. ये सिस्टम सुबह तीन बजे से शाम 7 बजे तक पूरी तरह से सक्रिय रहेंगे. चूंकि मुख्य पर्वों पर स्नान काफी सुबह ही शुरू हो जाता है इसलिए इन्हें उससे पहले ही एक्टिव कर दिया जाता है। हालांकि वास्तविक संख्या बता पाना अभी भी बहुत मुश्किल है क्योंकि तमाम यात्री अलग-अलग जगहों पर जाते हैं और यहां तक कि अलग-अलग घाटों पर भी जाते हैं. ऐसे में उनकी गिनती एक बार से ज्यादा ना हो, ऐसा कहना बहुत मुश्किल है। प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत के मुताबिक, इस बार कुंभ मेले में आए श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया, ष्महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सटीक गिनती के लिए इस बार एआई से लैस कैमरे लगाए गए हैं. यह पहली बार है जब एआई के जरिए श्रद्धालुओं की सटीक संख्या जानने की कोशिश की जा रही है।