बाराबंकी में हेल्थ सिस्टम फेल! 55 अस्पताल बिना लाइसेंस के चल रहे, विभाग बेखबर
बाराबंकी: 55 अस्पताल बिना लाइसेंस, विभाग बेखबर
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बाराबंकी के जिले में 55 निजी अस्पताल बिना वैध लाइसेंस के चल रहे हैं। इन अस्पतालों के लाइसेंस की मियाद तीन महीने पहले ही खत्म हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी संचालकों ने लाइसेंस को दोबारा बनवाने की कोशिश नहीं की। बिना लाइसेंस के अस्पतालों का चलना नियमों के खिलाफ है, फिर भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठा रहे हैं।
बाराबंकी जिले में कुल 277 पंजीकृत अस्पताल हैं। इनमें से 170 अस्पतालों के संचालकों ने अपने लाइसेंस का नवीनीकरण करा लिया है। 52 अस्पतालों के लाइसेंस की प्रक्रिया अभी चल रही है। लेकिन 55 अस्पताल ऐसे हैं, जिनके संचालकों ने अब तक लाइसेंस दोबारा बनवाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की है। इसके बावजूद ये अस्पताल बिना डर के पहले की तरह ही चल रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि सीएमओ कार्यालय को इसकी जानकारी होने के बाद भी इन अवैध अस्पतालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, इन अस्पतालों को विभाग के ही कुछ लोग बचा रहे हैं। विभाग में काम करने वाले कुछ कर्मचारी हर कार्रवाई की खबर पहले ही इन अस्पतालों तक पहुंचा देते हैं। इसी वजह से जब जांच टीम अस्पताल पर पहुंचती है तो वहां ताला लगा होता है। टीम के वापस जाते ही ताला खोलकर फिर से अस्पताल चलने लगता है।
कार्रवाई सिर्फ नोटिस तक ही सीमित
जांच में अगर कोई अस्पताल बिना लाइसेंस के चलता हुआ पकड़ा भी जाता है, तो भी विभाग की कार्रवाई सिर्फ नोटिस देने तक ही होती है। अस्पतालों को सील करने के बजाय यह कहा जाता है कि संचालक को अपना पक्ष रखने का मौका देना जरूरी है। दो दिन पहले कुर्सी इलाके में करीब सात अस्पतालों की जांच हुई थी। इनमें से पांच अस्पताल ऐसे थे, जिनके पास कोई जरूरी दस्तावेज नहीं थे। इसके बावजूद जांच टीम ने उन्हें बंद नहीं कराया, सिर्फ नोटिस देकर औपचारिकता पूरी कर ली।
आखिरी चेतावनी दी गई
जनहित में जरूरी खबर, जो लोगों को करती है सतर्क
यह रिपोर्ट आम जनता को जागरूक करती है कि उनके आसपास चल रहे निजी अस्पताल कितने सुरक्षित और कानूनी हैं। बिना वैध लाइसेंस के अस्पतालों का संचालन गंभीर खतरे पैदा कर सकता है। इस खबर से लोग सतर्क होंगे और इलाज के लिए किसी अस्पताल का चुनाव करते समय ज्यादा सोच-समझकर फैसला लेंगे। यह सीधे तौर पर मरीजों की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़ा मुद्दा है।
प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश
खबर यह भी दिखाती है कि कैसे विभाग के कुछ लोग खुद अवैध अस्पतालों के बचाव में लगे हुए हैं। जांच से पहले सूचना लीक करना, सिर्फ नोटिस देकर खानापूरी करना, यह सब प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग पर कार्रवाई का दबाव बनाती है और व्यवस्था में सुधार की दिशा में पहला कदम बन सकती है।