Maha Kumbh 2025 में यूं दिखेगी भव्यता और दिव्यता, सेल्फी प्वाइंट पर होगा सबका फोकस
महाकुम्भ की शुरुआत से पहले प्रयागराज जंक्शन पर तैयार किया गया महाकुम्भ सेल्फी प्वाइंट यात्रियों और श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गया है
प्रयागराज में महाकुंभ का महाआयोजन अब बस चंद दिन दूर है और महाकुम्भनगर में पूज्य संतों का आगमन शुरू हो चुका है। 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-पाठ करने के साथ-साथ देवी.देवताओं का आह्मन करके पूरे विधि विधान के साथ आगाज स्थापित की जाती है।
आधुनिकता और संस्कृति का संगम
सेल्फी प्वाइंट को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह महाकुम्भ के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करता है। इसमें संगम का प्रतीक, शिवलिंग और गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के मिलन को दर्शाने वाले कलात्मक तत्व शामिल हैं। यात्रियों के अनुभव को अधिक रोचक और यादगार बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया यह सेल्फी पॉइंट न केवल स्टेशन की शोभा बढ़ा रहा है। बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को महाकुम्भ की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के करीब ला रहा है।
इस विशेष संरचना में संगम का प्रतीक, शिवलिंग, पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के मिलन को दर्शाने वाले कलात्मक तत्व शामिल हैं। रौशनी और डिजिटल इफेक्ट्स के साथ, यह सेल्फी पॉइंट न केवल एक फोटो स्थल है, बल्कि महाकुम्भ की भव्यता और दिव्यता को जीवंत अनुभव में परिवर्तित करता है। रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्री इस सेल्फी पॉइंट के साथ अपनी तस्वीरें लेकर उन्हें सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं, जिससे इसकी लोकप्रियता दिन.ब.दिन बढ़ती जा रही है। श्रद्धालुओं का कहना है कि सेल्फी पॉइंट के माध्यम से उन्हें महाकुम्भ के भाव और महत्व का अनुभव स्टेशन पर उतरते ही हो जाता है। यह न केवल उनकी यात्रा को यादगार बनाता है, बल्कि प्रयागराज की पहचान को भी उजागर करता है।
छोटू बाबा को नही मिला अभी तक कोई शिविर
इसी बीच प्रयागराज महाकुंभ से जुड़ी अजीब चर्चा सामने आ रही है। हज़ारों की संख्या में नागा सन्यासी अपनी छावनियों में दाखिल होकर धूनी रमाते हुए जप -तप और साधना में जुट गए हैं, लेकिन इनमे से गंगापुरी महाराज लोगों के बीच ख़ास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. कोई उन्हें देखकर रुक जाता है, कोई फोटो खींचता है तो कोई सेल्फी लेना चाहता है. सड़क पर आते ही लोगों की भीड़ में घिर जाने की वजह से ही वह ज़्यादातर वक़्त किसी कैम्प में छिपकर रहते हैं या फिर गंगा के तट पर एकांत में साधना करते हैं। गंगापुरी महाराज यहां एक भी बार गंगा स्नान नहीं करेंगे. गंगापुरी महाराज महाकुंभ में अपनी हाइट को लेकर सुखिऱ्यों में हैं और आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
उनकी हाइट महज तीन फिट है. यानी जितनी लंबाई पांच - छह साल के बच्चे की होती है, बाबा सिर्फ उतने ही बड़े हैं उन्हें छोटू बाबा के नाम से भी बुलाते हैं तो कोई उन्हें टाइनी बाबा कहता है. गंगापुरी जी महाराज से जुडी एक और ख़ास बात है. वह पिछले बत्तीस सालों से नहाए नहीं हैं. इसके पीछे उनका एक संकल्प है, जिसकी पूर्ति यानी सिद्धि बत्तीस सालों में भी नहीं हो सकी है. हालांकि संकल्प को लेकर वह खुलासा नहीं करना चाहते. उनका कहना है कि जिस दिन उनका संकल्प पूरा होगा, वह सबसे पहले क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाएंगे. बाबा के मुताबिक़ शरीर से ज्यादा अन्तर्मन को शुद्ध रखने की ज़रुरत होती है.
वह दूसरे नागा संतों की भीड़ से अलग एकांत में तंत्र साधना करना ज़्यादा पसंद करते हैं. कई बार तो वह शमशान में भी साधना करते हैं। गंगापुरी महाराज उर्फ़ छोटू बाबा प्रयागराज महाकुंभ में पहली बार आए हैं. इसी वजह से अभी तक उन्हें कोई शिविर आवंटित नहीं हुआ है. वह कभी किसी संत के शिविर में रहते हैं तो कभी किसी दूसरे के. उन्हें उम्मीद है कि यूपी के संत सीएम जल्द ही उन्हें भी शिविर और सुविधाएं मुहैया कराएंगे. इस छोटू बाबा को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटी रहती हैं. दूसरे संतों और श्रद्धालुओं का कहना है कि बाबा दिखने में भले ही छोटे हों, लेकिन वह बेहद गूढ़ बातें करते है।