यूपी में सरकार देगी बच्चों की पढ़ाई की फीस, मिलेगा 50 हजार तक का लाभ

यूपी में सरकार देगी बच्चों की पढ़ाई की फीस, मिलेगा 50 हजार तक का लाभ
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उत्तर प्रदेश सरकार ने मत्स्य पालकों के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, इंटरमीडिएट से लेकर स्नातकोत्तर, पीजी स्तर तक के छात्रों की फीस का भुगतान राज्य सरकार करेगी। 

योजना का लाभ उठाने की प्रक्रिया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्रों में तेजी से काम कर रही है। महिला सशक्तिकरण और युवाओं के कौशल विकास के लिए भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। यह योजना राज्य के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक और प्रयास है। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए लाभार्थियों को विभागीय पोर्टल पर आवेदन करना होगा। आवेदन करते समय छात्रों को एसडीएम द्वारा जारी जाति और आय प्रमाण पत्र अपलोड करना अनिवार्य होगा। महत्वपूर्ण निर्देश, प्रमुख सचिव मत्स्य, रविंद्र नायक, ने महानिदेशक को निर्देश जारी करते हुए कहा कि योजना का लाभ पात्र छात्रों को समय पर मिलना चाहिए। योजना का लाभ उन छात्रों को मिलेगा जो किसी अन्य सरकारी योजना से लाभान्वित नहीं हो रहे हैं जबकि इंटरमीडिएट या उसके समकक्ष तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाने वाला शुल्क या 10 हजार रुपये में से जो कम होगा, उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी। शासकीय, सहायता प्राप्त और निजी संस्थानों में स्ववित्त पोषित पाठयक्रमों के लिए उसी संस्थान में संचालित नियमित पााठ्यक्रम के शुल्क के अनुसार मिलेगी। परास्नातक स्तर के गैर तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाने वाला शुल्क या 30 हजार रुपये में से जो कम होगा, स्नातक स्तर के गैर तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाने वाला शुल्क या 50 हजार रुपये में से जो कम होगा, उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी। यह योजना शिक्षा को बढ़ावा देने और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के बच्चों को मुख्यधारा में लाने का एक प्रयास है। इंटरमीडिएट से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना छात्रों की उच्च शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करेगा। योजना के दिशा-निर्देशों को राज्यपाल ने स्वीकृति दे दी है। इस संबंध में प्रमुख सचिव उप्र शासन के. रविन्द्र नायक ने मस्त्य विभाग को पत्र भेजा है।

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समुदायों का सशक्तिकरण

मत्स्य पालन से जुड़े परिवारों के लिए बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना एक चुनौती है। इस योजना से आर्थिक बोझ कम होगा और बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए प्रेरित किया जाएगा। यह योजना न केवल शिक्षा को बढ़ावा देती है बल्कि निषाद, मांझी, कश्यप, और अन्य समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। योजना के तहत इंटरमीडिएट के छात्रों को चार श्रेणियों में शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी। परास्नातक स्तर के सभी तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाने वाला शुल्क या 50 हजार रुपये में से जो कम होगा, उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी। दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत 10 से लेकर 50 हजार रुपये की शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी। योजना का लाभ उन बच्चों को मिलेगा, जो अन्य किसी योजना में इस तरह का लाभ न उठा रहे हों। योजना के संचालन के लिए दिशा-निर्देशों को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। योजना का लाभ निषाद, रैकतार, मांझी, बिंद, धीगर, कश्यप, मत्स्य आखेटक, केवट, तुरेहा, तुराहा, मल्लाह, गोडिया, कहार समुदाय को मिलेगा। दो लाख रुपये से कम आय वाले मत्स्य पालकों के बच्चे इसके लिए विभागीय पोर्टल पर आवेदन कर सकेंगे। पात्रता के लिए एसडीएम द्वारा आय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र देना होगा। यदि किसी छात्र को पिछड़ा वर्ग, समाज कल्याण और राज्य या भारत सरकार की किसी योजना के तहत शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिल रहा है तो उसे इसके लिए पात्र नहीं माना जाएगा।

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