यूपी में यंहा तीन किलोमीटर लंबी सड़क बनेगी फोरलेन, स्टेट हाईवे को जोड़ेगी रोड
विकास प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में बांदा को एक नई सिटी के रूप में विकसित करने की योजना पर चर्चा की गई
अब लोगों को जाम के झाम से निजात दिलाने में सरकार पूरी तरह से जुट गया है। ट्रैफिक जाम को खत्म करने के लिए प्राधिकरण ने प्रयास तेज कर दिए हैं। जाम से निजात दिलाने के लिए अंडरपास व अन्य सभी विकल्पों पर तेजी से काम करने के निर्देश दिए हैं।
बांदा में नया शहर बसाने की तैयारी
सरकार से मिली हरी झंडी
विकास प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में बांदा को एक नई सिटी के रूप में विकसित करने की योजना पर चर्चा की गई, जिसे अब शासन से मंजूरी मिल गई है। इस योजना के तहत मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण और नए शहर प्रोत्साहन योजना के तहत एक नई टाउनशिप बसाई जाएगी। इसमें अस्पताल, पार्क, सड़क, पानी जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी और विकास प्राधिकरण इस परियोजना पर जल्द काम शुरू करेगा। सदर विधायक के प्रतिनिधि रजत सेठ ने बताया है कि बांदा-बबेरू-राजापुर स्टेट हाईवे संख्या 92 के 3.1 किमी. हिस्से में चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण प्रस्तावित है। बताया कि दोनों तरफ 7-7 मीटर चौड़ी फोरलेन सड़क में डेढ़ मीटर चौड़े डिवाइडर और सड़क के दोनों ओर एक-एक मीटर चौड़ा नाला निर्माण प्रस्तावित है। शहर के कालूकुआं स्थित अवंतीबाई चौक से लेकर पल्हरी रोड आरटीओ आफिस के पास खेतसिंह खंगार चौराहे तक 3.1 किमी लंबी सड़क के चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण का प्रस्ताव बनाकर लोक निर्माण विभाग ने शासन को भेजा था। 2280.70 लाख लागत वाली इस परियोजना के लिए प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के साथ ही 1140.35 लाख रुपये की धनराशि शासन ने अवमुक्त कर दी है। इस टाउनशिप में लोगों को आवास लॉटरी सिस्टम के माध्यम से आवंटित किए जाएंगे। इच्छुक लोग इन आवासों को किश्तों के आधार पर भी खरीद सकेंगें। 20 साल की किश्त योजना के तहत हर व्यक्ति आवेदन कर सकता है, जिससे इसे सभी वर्गों के लिए सुलभ और किफायती बनाया जाएगा। जिलाधिकारी नागेंद्र प्रताप ने इस योजना के लिए आवश्यक भूमि का चयन कर लिया हैण् बांदा के नजदीकी ग्राम महोखर और मवई बुजुर्ग में लगभग 35 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगाए और इस परियोजना के लिए 80 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, इस नई टाउनशिप में कुल 1000 आवासों का निर्माण होगा। और इस पर काम नवंबर या दिसंबर से शुरू होने की उम्मीद है। परियोजना को दो वर्षों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है।