प्रयागराज में बाढ़ का संकट: गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ा, 40 हजार लोग प्रभावित, 87 राहत चौकियां तैयार!
प्रयागराज में बाढ़ संकट: 40 हजार लोग प्रभावित, 87 राहत केंद्र तैयार
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संगम नगरी प्रयागराज में अब बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। गंगा और यमुना नदियाँ अपने खतरे के निशान के बहुत पास पहुँच गई हैं। रविवार सुबह गंगा का जलस्तर 83.06 मीटर और यमुना का जलस्तर 83.19 मीटर तक पहुँच गया था। पिछले 24 घंटों में गंगा का जलस्तर 45 सेंटीमीटर और यमुना का जलस्तर 56 सेंटीमीटर बढ़ चुका है। दोनों नदियाँ अब चेतावनी बिंदु 82.73 मीटर को पार कर चुकी हैं, जबकि खतरे का निशान 83.73 मीटर के आसपास है।
जलस्तर में और वृद्धि की संभावना
जिला प्रशासन ने अनुमान जताया है कि रविवार शाम तक गंगा और यमुना नदियाँ खतरे के निशान को पार कर सकती हैं। प्रशासन का कहना है कि मध्य प्रदेश की केन और बेतवा नदियों तथा राजस्थान की चंबल नदी का लगभग साढ़े लाख क्यूसेक पानी यमुना में आ रहा है। इसी तरह, गंगा में हरिद्वार, कानपुर बैराज और नरौरा बांध से ढाई लाख क्यूसेक पानी आ रहा है, जिससे बाढ़ का असर और बढ़ सकता है।
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40 हजार लोग प्रभावित
गंगा और यमुना नदियों में उफान आने के कारण प्रयागराज के 11 तटीय मुहल्लों और 43 गांवों में पानी घुस गया है। इसके चलते 40 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। जिला प्रशासन ने शरणार्थियों के लिए शहर में 10 शरणालय तैयार किए हैं, जिनमें से तीन को अभी चालू किया गया है। अब तक इन तीन शरणालयों में 105 लोग शरण ले चुके हैं। बाढ़ राहत शिविरों में दिन-रात मजिस्ट्रेट और पुलिस की तैनाती की गई है ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
तीन तहसीलों में 18 मार्ग जलमग्न
बाढ़ के कारण प्रयागराज की करछना, मेजा, बारा, सोरांव, फूलपुर और हंडिया तहसील के तटीय गांव सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। फूलपुर के बदरा और सोनौटी गांवों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो गया है। जिले भर में अब तक 18 मार्गों पर बाढ़ का पानी बहने लगा है। इन जलमग्न मार्गों पर लोगों की आवाजाही के लिए 56 नावों की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही बाढ़ में फंसे इलाकों जैसे दारागंज, बघाड़ा, सादियाबाद, ढरहरिया, राजापुर, नेवादा, द्रौपदी घाट, बेली कछार और शंकरघाट में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान मोटर बोट के साथ राहत कार्य में जुटे हुए हैं।
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गांवों से लेकर शहर तक 87 बाढ़ राहत चौकियां बनाई गईं
बाढ़ के चलते जिला प्रशासन ने गांवों से लेकर शहर तक 87 बाढ़ राहत चौकियां बनाई हैं। इन चौकियों में राजस्व कर्मियों और होमगार्ड को तैनात किया गया है। इन चौकियों का मुख्य उद्देश्य बाढ़ की निगरानी रखना, पीड़ित परिवारों को निकालना और उनके भोजन व रहने का इंतजाम करना है। फूलपुर, हंडिया, सोरांव, करछना, बारा और मेजा तहसील के 52 गांवों और शहर के विभिन्न मुहल्लों में 35 राहत चौकियां बनाई गई हैं। इन चौकियों को नाव भी मुहैया कराई जाएगी, जो रविवार शाम तक उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही चौकियों पर स्टाफ के लिए सीयूजी मोबाइल नंबर और वायरलेस सेट भी दिए जा रहे हैं।