यूपी के इस जिले में रिंग रोड को लेकर किसानों ने मांगी यह ख़ास मांग

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में स्थित चंदौली से वाराणसी को जोड़ने वाली रिंग रोड यात्रियों के लिए अच्छा विकल्प है, परंतु स्थानीय किसानों के लिए यह सड़क अब सिरदर्द बन गई है. विकास की इस योजना ने खेती-किसानी को नई चुनौतियों के तरफ कर दिया है. विशेष रूप से शकूराबाद, सुल्तानीपुर और मवई कला गांवों के किसान अपनी उपजाऊ जमीन तक पहुंचने के लिए अब भारी दिक्कतों को झेल रहे हैं.
गांववालों का आरोप है कि रिंग रोड को निर्मित कराने के समय न तो अंडरपास का निर्माण किया गया और न ही कोई सर्विस रोड उपलब्ध कराई गई, जिससे अब खेतों तक पहुंचना बहुत कठिन हो गया है.
पहले जहां सीधे खेत तक पहुंचा जा सकता था, वहीं अब किसानों को कई किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है. इसका सीधा असर उनकी लागत, समय और मेहनत पर पड़ रहा है. गांव के लोग इस परेशानी को लेकर कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं. विरोध प्रदर्शन भी हो चुका है, लेकिन नतीजा अभी तक कुछ भी नहीं निकला. ग्रामीणों का कहना है कि 900 एकड़ उपजाऊ भूमि को बचाने के लिए उन्होंने पहले ही अंडरपास और सर्विस रोड की मांग की थी. जमीन अधिग्रहण के वक्त एनएचएआई और प्रशासन से इसे लेकर कई बार वादे किए गए, परंतु अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई.
ग्रामीणों के अनुसार, अधिकारियों ने समाधान के तौर पर गंगा किनारे समानांतर सर्विस रोड को निर्मित कराने का भरोसा दिलाया था ताकि किसान ट्रैक्टर, ट्रॉली और मशीनें लेकर खेतों तक पहुंच सकें. परंतु यह योजना भी अब फाइलों में दबकर रह गई है और इस भी नजर अंदाज कर दिया गया है.
किसानों ने अपनी बात सांसद वीरेंद्र सिंह से लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तक पहुंचाई है. परंतु अभी तक कोई समाधान सामने नहीं आया. उनका आरोप है कि अन्य क्षेत्रों में सर्विस रोड और अंडरपास को निर्मित किया गया हैं, परंतु उनके गांवों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया.
वर्तमान में दोबारा से ग्रामीणों ने एकजुट होकर सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द गंगा के किनारे सर्विस रोड को निर्मित कराने का कार्य शुरू किया जाए और रिंग रोड पर अंडरपास बनाए जाएं. किसानों का साफ कहना है कि अगर खेती बाधित हुई, तो इसका असर सिर्फ गांवों पर नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.