यूपी में इतने रुपए बढ़ा बिजली का दाम, हर महीने बढ़ेगा दाम!

यूपी में इतने रुपए बढ़ा बिजली का दाम, हर महीने बढ़ेगा दाम!
UP Electricity News

उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में हालिया वृद्धि एक बड़ा आर्थिक झटका साबित हो रही है. उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में बढ़ोतरी की है. जिससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा. उपभोक्ता परिषद ने इन बढ़ोतरी के खिलाफ आपत्ति जताई है और इसे लागू नहीं होने देने की बात कही है. उनका कहना है कि यह बढ़ोतरी उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेगी और इसे वापस लिया जाना चाहिए.

उपभोक्ता परिषद की आपत्ति

भारत में महंगाई एक गंभीर आर्थिक समस्या बन चुकी है. जो न केवल आम आदमी की क्रयशक्ति को प्रभावित कर रही है. बल्कि देश की समग्र आर्थिक स्थिति पर भी असर डाल रही है. इन बदलावों के लागू होने से उपभोक्ताओं को अपनी बिजली की खपत और बिलों पर पुनः विचार करना आवश्यक होगा. महंगाई एक जटिल और गंभीर समस्या है. जिसका समाधान केवल एक आर्थिक चुनौती नहीं बल्कि यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है. यदि सरकार प्रभावी नीतियां बनाए, उद्योग नवाचार और उत्पादकता बढ़ाए और नागरिक जिम्मेदारी के साथ अपनी भूमिका निभाए तो यह समस्या नियंत्रित हो सकती है. उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका लगा है.

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पांच साल बाद बिजली की दरें बढ़ाई गईं हैं. अप्रैल के बिल से ही फ्यूल सरचार्ज के तौर पर उपभोक्ताओं से बिजली की वसूली होगी. राज्य में ऐसा पहली बार होगा जब सरचार्ज लागू होने से हर महीने बिजली के बिल घटते बढ़ते रहेंगे. प्रदेश में बिजली की दरों में 1.24 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है. लोगों को मितव्ययिता और बचत के महत्व के बारे में जागरूक करना भी महंगाई से लड़ने में सहायक हो सकता है.​ आयातित वस्तुओं पर निर्भरता घटाने के लिए स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए.. कमी और सब्सिडी बढ़ाने जैसी नीतियां अपनानी चाहिए. इसके अलावा कालाबाज़ारी और जमाखोरी पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए. मांग और आपूर्ति का संतुलन बनाने के लिए कृषि और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि करनी चाहिए. महंगाई से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. जिससे समाज में असंतुलन बढ़ता है.​ महंगाई के कारण लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करने लगते हैं. जिससे बचत घट जाती है. महंगाई के कारण दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करना कठिन हो जाता है. जिससे लोग अपनी जीवनशैली में कटौती करने पर मजबूर होते हैं.

मांग और आपूर्ति का असंतुलन

बता दें उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 में इस साल जनवरी बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनयिों को हर महीने खुद ही फ्यूल सरचार्ज तय करने का हक दे दिया था. आयोग द्वारा यह अधिकार मिलने के बाद कंपनियों ने पहली बार सरचार्ज लगाया. इस फैसले से राज्य में बिजली कंपनियों को 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं से 78.99 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होगी. यूपीपीसीएल ने बिजली के बिल में गुपचुप तरीके से बढ़ोत्तरी की है. सभी बिजली उपभोक्ताओं पर 1.24ः ईधन अधिभार शुल्क लगा है. वर्मा ने दावा किया कि पिछले दिनों एक 5 सितारा होटल में हुई बैठक में उसमे निजी घरानों ने कहा था कि यहां बिजली की दर तो बढ़ती नहीं है,

उन्ही घरानों को खुश करने के लिए अधिकारियों ने ये किया है. 33,122 करोड़ हमारा पहले से सरप्लस है, उसमे एडजस्ट करना था, लेकिन नहीं किया. उन्होंने मांग की है कि अगले महीने 2 फीसदी यह सरचार्ज कम हो अब हर माह  ईधन अधिभार शुल्क घटेगा या बढ़ेगा. यूपी में बिजली बिल डीजल/पेट्रोल की तर्ज पर हर माह घटेगा बढ़ेगा. उधर विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली बिल में बढ़ोत्तरी का विरोध किया है. न्च् विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि  यूपीपीसीएल पर उपभोक्ताओं के 33, 122 करोड़ रूपये बकाया है. यूपीपीसीएल ने बिना उपभोक्ताओं के पैसे अदा किए बिजली बिल में बढ़ोत्तरी क्यों किया? उन्होंने कहा कि यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद विरोध करेगा.  महंगाई यानी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी. किसी भी देश की आर्थिक सेहत और समाज के हर वर्ग पर गहरा असर डालती है. भारत जैसे विकासशील देश में इसका प्रभाव और भी व्यापक होता है क्योंकि यहां बड़ी आबादी मध्यम और निम्न वर्ग में आती है. महंगाई सिर्फ एक आर्थिक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह आम आदमी की आर्थिक स्वतंत्रता, मानसिक शांति और सामाजिक संतुलन को प्रभावित करने वाला कारक है. इसे नियंत्रित करना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं, व्यापारियों और नीति निर्माताओं सभी की सामूहिक भूमिका जरूरी है.

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शम्भूनाथ गुप्ता पिछले 5 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं। 'मीडिया दस्तक' और 'बस्ती चेतना' जैसे प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और वीडियो एडिटिंग टीम में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। न्यूज़ प्रोडक्शन और डिजिटल कंटेंट निर्माण में गहरा अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे 'भारतीय बस्ती' की उत्तर प्रदेश टीम में कार्यरत हैं, जहां वे राज्य से जुड़ी खबरों की गंभीर और सटीक कवरेज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।