ब्राह्मण-दलित टकराव से दहला साधारणपुर गांव: मामूली कहासुनी ने लिया जातीय संघर्ष का रूप

पूरा विवाद एक कुत्ते के भौंकने और उसके जवाब में पूछे गए सवाल से शुरू हुआ—"तेरा कुत्ता काटेगा तो नहीं?" जबाब आया—"नहीं काटेगा", लेकिन उसके बाद जो हुआ, वह पूरे गांव के लिए एक बुरा सपना बन गया। कुत्ते का भौंकना, एक डंडे से मारा जाना और फिर एक के बाद एक लोग जुटते गए। देखते ही देखते दोनों पक्षों में लाठी-डंडे, पत्थर और ईंटें चलने लगीं।
इस हिंसा में दोनों ओर से चार-चार लोग घायल हुए, जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं। हालात बिगड़ते देख पुलिस को介हस्तक्षेप करना पड़ा और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। लेकिन विवाद वहीं नहीं थमा।
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भीम आर्मी के कथित कार्यकर्ताओं पर माहौल बिगाड़ने का आरोप
स्थानीय लोगों के अनुसार, बाहर से कुछ लोग गांव में आए जो खुद को भीम आर्मी का कार्यकर्ता बता रहे थे। आरोप है कि कुछ ने शराब का सेवन भी किया हुआ था और जानबूझकर अस्पताल में तनाव बढ़ाने की कोशिश की। गांव के रुद्र त्यागी ने बताया कि यह केवल दो लोगों के बीच का मामला था, लेकिन कुछ तत्वों ने इसे जातीय रंग देकर पूरा माहौल खराब कर दिया।
वहीं पीड़ित दलित पक्ष के सुरेंद्र कुमार का कहना है कि विवाद बच्चों के झगड़े से शुरू हुआ। बच्चों को एक ब्राह्मण परिवार के कुत्ते ने डराया, जिससे बात बढ़ गई और गाली-गलौज व मारपीट शुरू हो गई।
पुलिस प्रशासन कर रहा सख्त निगरानी
घटना के बाद गांव में तनाव बना हुआ है, लेकिन स्थिति अब नियंत्रण में है। एसपी देहात सागर जैन के अनुसार, वायरल वीडियो, बयान और तहरीर के आधार पर देवबंद थाने में 10 नामजद और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने चार लोगों का मेडिकल कराया है और कुछ की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
एसपी ने बताया कि 18 मई को एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष के व्यक्ति के साथ मारपीट की गई थी। वीडियो में दिखाई देने वाले सभी आरोपियों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गांव में पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि शांति बनी रहे।
साजिश या संयोग? उठ रहे सवाल
स्थानीय लोग अब इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि क्या यह सब केवल संयोग था या फिर किसी बड़े साजिश का हिस्सा। क्या सच में बाहर से आकर किसी संगठन के नाम पर माहौल बिगाड़ा गया या फिर यह केवल गुस्से और अफवाहों का परिणाम था?
फिलहाल, प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि किसी भी भ्रामक जानकारी पर विश्वास न करें और शांति बनाए रखें। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से अफवाहों को बल मिल रहा है, जिससे पुलिस लगातार नजर बनाए हुए है।
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि छोटी सी चिंगारी भी अगर समय रहते न बुझाई जाए, तो वह बड़े सामाजिक टकराव में बदल सकती है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को कैसे शांतिपूर्वक सुलझाता है और दोषियों को कितनी जल्दी सजा दिला पाता है।