यूपी के इन 38 गाँव के लिए बड़ी खबर, इस नदी से इस तरह होगा लाभ
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उत्तर प्रदेश में 38 गांव के लिए अब यह नदी जीवन रेखा को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. अब गांव के लिए माना जा रहा है नदी जीर्णोद्धार की योजना का एक महत्वपूर्ण कदम है. इस दौरान जलस्तर को नियंत्रित करने और आसपास के इलाकों में बाढ़ की संभावना को कम करने के उपाय भी निकल जा रहे हैं.
बदलेगी की 38 गांव की जीवन रेखा
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में एक महत्वपूर्ण खबर सामने आ रही है की प्रयागराज के यमुना इलाके की लपरी नदी अब 38 गांव की जीवन रेखा को बनाने निकली है. अब नदी को उसके पहले पुराने रूप में लौट के लिए जीर्णोद्धार को लेकर अब व्यापक रूप से तैयारी की जा रही है. इस निर्माण कार्य के दौरान अतिक्रमण हटाने के साथ ही अब नदी के दोनों तरफ हरियाली बढ़ाने के लिए विशाल रूप से पौधारोपण भी किया जा सकता है. जिले के मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह ने बताया है की
नदी के किनारे अतिक्रमण को हटाने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए हर स्तर से पौधारोपण का निर्देश दिया गया है. लपरी नदी कोरांव से अब निकल कर टोंस नदी में जाकर मिलती है. अब इसका प्राकृतिक स्वरूप बहाल करने के लिए प्रशासन स्तर से व्यापक प्रयास करवाया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार बताया गया की 2 साल पहले 17.5 किलोमीटर लंबी ट्रेन के पुनर्जीवन की पहल के उद्देश्य से की गई थी जिसके अंतर्गत मनरेगा योजना से सिल्ट निकासी करवाई गई थी.
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योजना को सफल बनाने के लिए जागरूकता अभियान
अब इस योजना के अंतर्गत और आगे बढ़ते हुए प्रशासन की योजना के मुताबिक भविष्य में नदी में मछली पालन को बढ़ावा दिया जा सकता है और इसका पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाया जा सकता है. इसके साथ-साथ ही नदी में पूरे साल जल संरक्षण सुनिश्चित करने की रणनीति हर स्तर से तैयारी की जा रही है अब नदी के पुनरुद्धार से ना से पर्यावरण को ही लाभ मिल पाएगा अपितु यहां आस-पास के गांव को आर्थिक और कृषि के क्षेत्र में भी मजबूती मिल सकती है
सीडीओ हर्षिका सिंह ने बताया है कि अब इस योजना के अंतर्गत बहुत प्राथमिकता पर हर कार्य लाया जा रहा है. आगे उन्होंने कहा है कि परियोजना के तहत नदी के किनारे पौधारोपण और जल संरक्षण उपायों की योजना बनाए रखने के उद्देश्य से आवश्यक संरचनाओं का निर्माण करवाया जा रहा है जिसमें स्थानीय समुदाय की सहभागिता से अब योजना को सफल बनाने के लिए जागरूकता अभियान भी और इसी के साथ-साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करवाए जाएंगे अब इस फाइल से न केवल 38 गांव की जीवन रेखा को मजबूती मिल पाएगी तथा यह पूरे इलाके में जल प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मॉडल के रूप में उभर कर नया कार्य कर पाएगा.