यूपी में संविदाकर्मियों के लिए बड़ी खबर! जल्द नई पॉलिसी लाएगी योगी सरकार

विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्त संविदा कर्मियों को नियमित करने की दिशा में शासन ने फिर कसरत शुरू कर दी है

यूपी में संविदाकर्मियों के लिए बड़ी खबर! जल्द नई पॉलिसी लाएगी योगी सरकार
यूपी में संविदाकर्मियों के लिए बड़ी खबर! जल्द नई पॉलिसी लाएगी योगी सरकार

विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्त संविदा कर्मियों को नियमित करने की दिशा में शासन ने फिर कसरत शुरू कर दी है। सेवा पूरी करने वाले कार्मिकों को नियमित करने की व्यवस्था की गई। इसके लिए इस बार विभागवार काम कर रहे हर तरह के कर्मचारी का डाटा एकत्र किया जा रहा है। 

अधिकारियों की मनमानी से बिगड़ रहा सिस्टम

उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में 6.12 लाख संविदा और आउटसोर्स कर्मियों के सहारे काम चलाया जा रहा है। दो विभागों बाल विकास पुष्टाहार और स्थानीय निकायों में इनकी संख्या सर्वाधिक है। बाल विकास पुष्टाहार में 2.88 लाख तो निकायों में 1.70 लाख ऐसे कर्मचारी काम कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जब प्रदेश के 28 विभागों ने ही मात्र कार्मिक विभाग को इसकी सूचना दी है। सभी विभागों की संख्या मिलने के बाद यह आंकड़ा काफी चौंकाने वाला हो सकता है। इससे माना जा रहा है कि राज्य सरकार के लाख प्रयास के बाद भी सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की संख्या अधिकारियों की मनमानी से बढ़ती जा रही है। प्रदेश सरकार संविदा कर्मियों के लिए नई नीति लाने की दिशा में काम कर रही है।

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इसका उद्देश्य है कि इनकी नियुक्ति में योग्यता, पात्रता और आरक्षण के मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि अनावश्यक रूप से कर्मियों की भर्ती कर अपने लोगों को फायदा न पहुंचाया जाए। संविदा, आउटसोर्स और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए श्रम विभाग को एक नीति बनाने का निर्देश दिया गया है। यह नीति इन कर्मियों के अधिकारों की रक्षा और उनके स्थायित्व को सुनिश्चित करेगी। उच्च स्तर पर निर्देश दिया गया है कि सभी विभाग संविदा कर्मियों की संख्या और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी पूरी जानकारी कार्मिक विभाग को उपलब्ध कराएं। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मियों का आंकड़ा पारदर्शी हो। सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, कई विभागों में उच्चाधिकारियों द्वारा अपने स्तर पर संविदा कर्मियों की नियुक्ति हो रही है। इन नियुक्तियों में योग्यता और आरक्षण के नियमों की अनदेखी की शिकायतें भी सामने आई हैं। इसके अलावा, कार्मिक विभाग के बार.बार सूचना मांगे जाने के बावजूद,  कई विभागों ने संविदा कर्मियों की सही जानकारी नहीं दी है।

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कार्मिक विभाग को सूचना देने में आनाकानी

प्रदेश में सरकारी विभागों में कामकाज का बड़ा हिस्सा संविदा और आउटसोर्स कर्मियों के भरोसे चल रहा है। राज्य सरकार ने सरकारी कामकाज के लिए स्थाई कर्मियों की व्यवस्था की है। इसके लिए आयोग और बोर्डों का गठन किया गया है। इनके द्वारा लगातार कर्मियों की भर्तियां की जा रही हैं। सरकारी विभागों, स्कूलों और निकायों में 17.78 लाख के आसपास कर्मचारी बताए जाते हैं। कार्मिक विभाग का स्पष्ट आदेश है कि बहुत जरूरी होने पर ही समूह ग व घ के पदों पर ही संविदा कर्मी रखे जाएंगे। इसके बाद भी उच्चाधिकारी द्वारा अपने स्तर पर सभी पदों पर संविदा कर्मियों को रख रहे हैं। लेकिन अभी तक 28 विभागों द्वारा ही पूरी तरह से जानकारी दी गई है।

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राज्य सरकार संविदा कर्मियों को लेकर नई नीति लाना चाहती है। इसीलिए बार-बार ऐसे कर्मियों की संख्या मांगी जा रही है। इसमें यह देखा जा रहा है कि इन्हें रखते समय योग्यता, पात्रता और आरक्षण का पालन किया गया है या नहीं। यह भी देखा जा रहा है कि ऐसा तो नहीं बिना मतलब के ही कर्मियों को रखकर अपनों को उपकृत किया जा रहा है या फिर कोई खेल चल रहा है। इसीलिए कार्मिक विभाग से इसके लिए पूरी सूचना एकत्र करने का निर्देश उच्च स्तर से दिया गया है।

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श्रम विभाग संविदा, आउटसोर्स और दैनिक रूप से रखने जाने वाले कर्मियों के लिए नीति बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे इनके भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कामकाज के लिए स्थायी कर्मियों की भर्ती के लिए आयोग और बोर्डों का गठन किया है। वर्तमान में 17.78 लाख स्थायी कर्मचारी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। सरकार का निर्देश है कि संविदा कर्मियों की नियुक्ति केवल पदों पर अत्यंत आवश्यक होने पर ही की जाए।

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