काशी में बनेंगे 363 पिलर, गंगा किनारे फ्लड जोन के लिए ₹1.48 करोड़ का प्रोजेक्ट

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में नदियों के किनारे रहने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है. हरिद्वार से बलिया तक गंगा नदी के दोनों ओर बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों को पहली बार फ्लड जोन के रूप में चिन्हित किया जाएगा. इस योजना की शुरुआत हो चुकी है और जल्द ही इन क्षेत्रों में सुरक्षा से जुड़ा निर्माण कार्य भी देखा जाएगा.
इस कार्य की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को सौंपी गई है. विभाग के अधिशासी अभियंता सुरेश चंद्र आज़ाद ने इस विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि वाराणसी परिक्षेत्र के 4 जिलों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अगले हफ्ते इसे सार्वजनिक किया जाएगा.
जिन जिलों में फिलहाल बाढ़ का खतरा नहीं है, वहां सबसे पहले निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा. शेष जगहों पर मानसून के समाप्त होने के बाद कार्य किया जाएगा. यह पहल राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर की जा रही है, जिसके अंतर्गत गंगा किनारे मौजूद जिलों में बाढ़ संभावित क्षेत्रों को सुरक्षित किया जाएगा.
इन चिन्हित क्षेत्रों में हर एक किलोमीटर पर सूचना बोर्ड और लगभग 200 मीटर की दूरी पर मजबूत सीमेंट के खंभे (पिलर) लगाए जाएंगे जिससे सीमाएं स्पष्ट रहें और लोग अलर्ट रह सकें.
जलशक्ति मंत्रालय के निर्देश पर रुड़की स्थित राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिकों ने कानपुर से बलिया तक आधुनिक तकनीक की सहायता से लगभग 4 महीने में सर्वे पूरा किया है. इस सर्वे के आधार पर गंगा के किनारे बहने वाले जिलों जैसे कानपुर, फतेहपुर, प्रयागराज, मीरजापुर, भदोही, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में फ्लड जोन को लेकर रिपोर्ट तैयार की गई है. यह रिपोर्ट सिंचाई विभाग को सौंप दिया गया है.
विभाग के अनुसार वाराणसी परिक्षेत्र के 4 जिलों में कुल 1508 पिलर और 279 साइनेज बोर्ड लगाए जाएंगे. इस कार्य पर लगभग 1.48 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. ये निर्माण कार्य वाराणसी के साथ-साथ चंदौली, भदोही और मिर्जापुर जिलों में भी होंगे. इसके अतिरिक्त मिर्जापुर और आजमगढ़ परिक्षेत्र में आने वाले कुछ क्षेत्रों और बलिया जिले में भी पिलर व बोर्ड लगाए जाएंगे.