सावधानी से इस्तेमाल करें रिफाइंड आयल और सरसो तेल, बिगड़ सकती है दिल की हालत

- लागत के सापेक्ष कम में बिक रहा है तेल - बाजार में बिक रहे ब्राण्डेड तेल संदेह के घेरे में - मिलावटी तेल खाने से बढ़ रहा है दिल का खतरा

सावधानी से इस्तेमाल करें रिफाइंड आयल और सरसो तेल, बिगड़ सकती है दिल की हालत
Musturd Oil News

सरसों के तेल में बाजार का  खेल ही निराला है. सरसों के दाम को देखें तो तेल का दाम कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है. मजे की बात इस हमाम में सभी नंगे नजर आ रहे है.  सरसों तेल बेचने  के व्यवसाय में लगी बड़ी-बड़ी कम्पनियां भी कीमतों के मामले में संदेह के घेरे में  है. खुले बाजार में एक किलो सरसों का दाम लगभग 70 रूपए किलो है. तीन किलो सरसों में एक किलो तेल निकलता है. जबकि तीन किलो सरसों की पेराई पर 15 रूपए खर्च बैठता है. इस तरह से कुल एक किलो तेल की लागत लगभग 225 रूपए होती है.  सरसों की पेराई के बाद निकलने वाली खली को यदि बेच दिया जाए तब भी तेल का दाम 190 रूपए बैठ जाता है. अब यहीं से सवालों और संदेहों का दौर शुरू होता है. 

छोटे और बड़े स्पेलर मशीनों द्वारा पेराई के खेल में जमकर खेल किया जाता है. पेराई के दौरान ही ग्राहकों की आंख में घूल झोंक कर तेल में प्याज मिला दिया जाता है. जिससे तेल बढ़ जाता है. तेल को जब आंच पर गर्म किया जाता है तो आंखों में तेल लगने लगता है. लोग इसे शुद्ध सरसों का तेल समझ कर उपयोग करते है. जबकि  शुद्ध समझा जाने वाला आपके किचन का मस्टर्ड आयल मिलावटी होता है.

सरसों तेल के इस खेल में बड़ी-बड़ी कम्पनियां भी संदेह के घेरे में आ रही है. बाजार में बिकने वाले डिब्बा बंद तेल के दाम बाजार में 170 से 190 रूपए प्रति लीटर तक है. वहीं खुले में बिकने वाला कथित शुद्ध सरसों तेल भी 200 रूपए प्रति लीटर बेचा जा रहा है.  ऐसे में शुद्धता का दावा कर कच्ची घानी के नाम तेल बेचने वाली कम्पनियां ग्राहकों के दिल के साथ खेल रही है. विज्ञापनों में तेल कम्पनियां दिल के रोग से बचाव के लाख दावे करती हों मगर उनका खाद्य तेल खतरों से भरा हुआ है.

यह भी पढ़ें: यूपी सरकार का नया आदेश: अब हमलावर कुत्तों को होगी आजीवन जेल!

इससे भी बुरा हाल रिफाइंड आयल का है. घरों में कुछ सालों पहले उपयोग होने वाले डालडा घी की जगह पाम आयलों ने ले ली है. यहां भी बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां सरसों के तेल से भी सस्ते दामों में रिफाइंड तेल बेच रही है. बाजार में प्रतिष्ठित फार्चून रिफाइंड  तक फुटकर दामों में 165 रूपए में मिल जा रहा है. ऐसे में इन तेलों की गुणवत्ता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. 

यह भी पढ़ें: पूर्वांचल में अगले हफ्ते भारी बारिश की संभावना – जानें पूरी डिटेल

पिछले सालों के रिकार्ड को देखें तो मिलावटी खाद्य तेलों के अंधाधुंध प्रयोग से देश भर में दिल के रोगियों की संख्या में डरावनी बढ़ोत्तरी हुई है. दिल के रोगियों पर कोरोना ने जमकर कहर बरपाया. दिल के रोगियों को कोरोना से ठीक होने के  बाद अचानक अटैक आने से उनकी मौतों की बढ़ी संख्या ने वर्तमान समय में लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. 

यह भी पढ़ें: Basti: सपा कार्यालय पर विधि विधान से पूजे गये सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा

दुर्भाग्य से देश व प्रदेश सरकारें खाद्य तेलों की जांच के नाम पर कोरम पूरा करने तक सिमटी हुई है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमि है की किसके इशारों पर पश्चिमी देशों में प्रतिबंधित पाम आयलों से बने खाद्य तेल भारत के बाजारों में बिकने के लिए बेखौफ बेचे जा रहे है. 

On

About The Author

Anoop Mishra Picture

अनूप मिश्रा, भारतीय बस्ती के पत्रकार है. बस्ती निवासी अनूप पत्रकारिता में परास्नातक हैं और अपनी शुरुआती शिक्षा दीक्षा गवर्नमेंट इंटर कॉलेज से पूरी की है.