‘लव जिहाद’ के मामले में मौन है संतकबीर नगर पुलिस

‘लव जिहाद’ के मामले में मौन है संतकबीर नगर पुलिस
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अनूप मिश्र

संतकबीर नगर ( Santkabir Nagar News भा.ब.). पूरे संसार को एकता, मानवता का संदेश देने वाले महान संत कबीर की कर्मस्थली संतकबीर नगर( Santkabir Nagar)  अनैतिक कामों से सुर्खियों में है.

ताजा मामला ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) से जुड़ा है. इस प्रकरण में संतकबीर नगर के धनघटा तहसील (Dhantghata)के खैरा गांव के रहने वाले पीडि़त जय प्रकाश राजभर ने पुलिस अधीक्षक से मिलकर अपने ही गांव के रहने वाले आलम पुत्र रशीद पर अपनी पत्नी को बहला-फुसला कर भगा ले जाने का आरोप लगाया है.

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पत्र में कहा है की काम के सिलसिले में वह मेरठ (Meerut)जनपद में काम करता है. अक्सर अपने परिवार से मिलने अपने गांव आता रहता है. पति की गैरमौजूदगी में पत्नी का अवैध संबंध उसी गांव के आलम से हो गया. पत्नी को भगाने और उसका धर्मांतरण कराने में गांव के प्रधान नफीस अहमद उर्फ लादेन और मौलाना नबी अमिद की मुख्य भूमिका रही है.

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एसपी को दिये पत्र में कहा की जब उसे अपने पत्नी के चले जाने की खबर मिली तो वह वापस अपने गांव आया. जिसकी लिखित शिकायत उसने मुकामी थाने पर की. मगर स्थानीय पुलिस चुप्पी साधे बैठी रही. जिससे आरोपियों का हौसला बुलंद हो गया.

क्या है दावा-

आरोपियों ने पीडि़त जय प्रकाश को डरा धमकाकर सादे स्टांप पेपर पर दस्तखत तक करा लिया. इसी महीने के 8 सितम्बर को मेरी पत्नी का पहले धर्मांतरण कराकर कलमा पढ़वाया. फिर उसका निकाह आलम पुत्र रसीद के साथ करा दिया. पत्र में आरोप लगाया है की ग्राम प्रधान नफीस अहमद ने पूर्व में भी कई लोगों का धर्मांतरण कराया है. जिसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को दण्डित किया जाए.

क्या कहते हैं Santkabir Nagar पुलिस अधीक्षक बृजेश सिंह-

बृजेश सिंह ने कहा की इस मामले में कुछ नहीं हो सकता. दुर्गावती बालिग है. मजिस्ट्रेट के सामने उसने अपने पति पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है. उसने अपने पति के साथ न रहने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी है की इस तरह के मामलों में अगर पति के साथ पत्नी नहीं रहना चाहती तो उसे बाध्य नहीं किया जा सकता है. निकाह और धर्मांतरण के सवाल पर जांच की बात कह कर चुप्पी साध ली.

उठ रहे ये सवाल

सवाल उठता है की स्थानीय थाने पर जय प्रकाश राजभर द्वारा पत्र दिये जाने के बाद भी धनघटा पुलिस इतने दिनों तक क्यों सोती रही. जय प्रकाश द्वारा नफीस अहमद पर धर्मांतरण कराये जाने के आरोपों पर प्रशासन मौन क्यों है. जो भी हो इस मामले के उजागर हो जाने के बाद स्थानीय प्रशासन, ओहदेदार, माननीयों से लेकर हिन्दुत्व का परचम लहराने वाले सवालों के घेरे में है.

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