115 साल बाद फिजी से बस्ती पहुंचे अपने कबरा गांव, मिला बिछड़ा परिवार, छलक उठीं आंखें

115 साल बाद फिजी से बस्ती पहुंचे अपने कबरा गांव, मिला बिछड़ा परिवार, छलक उठीं आंखें
115 साल बाद फिजी से बस्ती पहुंचे अपने, कबरा गांव में मिला बिछड़ा परिवार, छलक उठीं आंखें

खून के रिश्ते भी अजीब होते हैं, वे वर्षो बाद भी अपनों से बहुत दूर मिलने के लिये बेचैन रहते हैं। पूर्वान्चल में गिरिमिटिया मजदूरांें की अपनी अलग दास्तान है। बस्ती जनपद के बनकटी विकास खण्ड क्षेत्र के कबरा गांव में 115 साल बाद फिजी से अपने परिवार को ढूढने लोग पहुंचे और तो अपनों से मिलकर आंखे छलक आयी।

फिजी से एक परिवार अपने पूर्वजों की जन्म स्थली को खोजने आया था।  इनके पुरखे 115 साल पहले फिजी जाकर बस गए थे. आखिरकार, उन्होंने अपनी जड़ों की तलाश पूरी कर ली और उस परिवार को ढूंढ़ निकाला, जो उनका है।  रवीन्द्रदत्त और उनकी पत्नी केशनी हरे की खुशी इस मौके पर देखने लायक थी।  रवींद्र ने इससे पहले अयोध्या में रामलला के दर्शन कर मन्नत भी मांगी थी।

रविन्द्र दत्त ने बताया कि अंग्रेजी शासन काल के दौरान 1910 में भारत से कई लोगों को गिरमिटिया मजदूर बनाकर फिजी भेजा गया था।  उनके परदादा गरीब राम भी इसमें शामिल थे।  फिजी में इनके परदादा से मजदूरी कराई गई और उन्हें भारत नहीं आने दिया. इसके बाद उनका परिवार वहीं बस गया. काफी खोजबीन करने के बाद उन्हें अपने परदादा का एक इमिग्रेशन पास मिला, जिसमें उनके बारे में काफी जानकारी लिखी थी।

Basti News: सद्भावना यात्रा में उमड़े लोग, बाबा साहब को किया नमन् यह भी पढ़ें: Basti News: सद्भावना यात्रा में उमड़े लोग, बाबा साहब को किया नमन्

up news  (17)
2019 में रविन्द्र भारत आए थे,  इस पास के मिलने के बाद 2019 में रविन्द्र भारत आए और अपने परिवार के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की. इस बीच वह अयोध्या गए और भगवान राम से मन्नत मांगी कि उन्हें उनके बिछुड़े परिवार से मिला दें। कई सालों तक इंटरनेट से जानकारी इकठ्ठा करने और लोगों से बात करने के बाद रविन्द्र शुक्रवार को बस्ती के कबरा पहुंचे जहां गरीब राम के नाती भोला चौधरी, गोरखनाथ, विश्वनाथ, दिनेश, उमेश, रामउग्रह सहित परिवार के अन्य सदस्यों से मिले. रविन्द्र जब अपने परिवार के सदस्यों से मिले तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था. आंखों में खुशी के आंसू थे।


 रवीन्द्र दत्त और उनकी पत्नी केशनी इस कदर खुश थे जैसे उन्हें अपनी खोई हुई सबसे प्रिय चीज मिल गई हो।  115 साल बाद अपने परिवार की छठी पीढ़ी से मिलने के बाद रविन्द्र दत्त ने उन्हें फिजी आने का न्योता दिया।  रविन्द्र ने कहा कि अब भारत से उनका गहरा नाता बन गया है. हर सुख-दुख में वे अपने परिवार के पास आते रहेंगे।


 गांव के प्रधान प्रतिनिधि रवि प्रकाश चौधरी ने बताया कि जैसे ही उन्हें पता चला कि फिजी से दो लोग आए हैं और अपने परिवार को खोज रहे हैं तो रविन्द्र दत्त से जानकारी ली। रविप्रकाश  ने अथक प्रयास कर वर्षो से बिछड़ों को अपनों से मिलाया। रामदत्त के परिवार के पास ले गए और उनका बिछुड़ा परिवार मिल गया. रविंद्र ने फोटो को यादों के रूप में कैमरे में कैद किया. इसके बाद वह वापस फिजी लौट गए।

 बता दें कि फिजी देश में करीब 37 प्रतिशत आबादी भारतीयों की है। रवीन्द्र दत्त और उनकी पत्नी केशनी ने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के साथ कुछ पल बिताया और बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। 115 वर्ष बाद अपने परिजनों से मिलकर परिजन और गांव के लोग बहुत खुश थे। रवीन्द्र दत्त परिजनों से मिलकर इस उम्मीद के साथ फिजी रवाना हुये कि अब तो आना-जाना लगा रहेगा। 

On

About The Author

Bhartiya Basti Picture

Bhartiya Basti